कितने समय तक टिक पाएंगारूस ? जवाब वाशिंगटन के पास है… US में खूब गरजे जेलेंस्की
कीव
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रूस दौरे को लेकर तीखी प्रतिक्रिया दे चुके यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की इस समय अमेरिका में हैं. वह वॉशिंगटन में नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन (NATO) की बैठक में हिस्सा लेने वहां पहुंचे हैं. ऐस में उन्होंने रोनाल्ड रीगन इंस्टीट्यूट के मंच से कई अहम बातें कही.
जेलेंस्की ने कहा कि मैं यूक्रेन की मदद और उसकी स्वतंत्रता की रक्षा के लिए अमेरिका के दृढ़ निश्चय के लिए उनका आभार जताता हूं. रूस के आतंक का खात्मा करना अब बहुत जरूरी हो गया है. जेलेंस्की ने यूक्रेन युद्ध में अमेरिका की भागीदारी का जिक्र करते हुए कहा कि पुतिन कितने समय तक टिकेंगे इसका जवाब वाशिंगटन के पास है.
उन्होंने कहा कि 20वीं सदी में अमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन के शब्द आज भी बहुत तर्कसंगत लगते हैं कि शांति के लिए रणनीति हमेशा से बहुत साधारण रही है कि मजबूत बने रहें ताकि कोई भी विरोधी एक पल के लिए ये ना सोचे कि युद्ध से लाभ हो सकता है.
जेलेंस्की ने कहा कि रीगन ने 1988 में नाटो की स्ट्रैटेजी को लेकर ये बात कही थी. ऐसे में वॉशिंगटन में नाटो समिट की पूर्वसंध्या पर उनकी बातों को दोहराना प्रतीकात्मक है. लेकिन अब समय के गुजरने के साथ-साथ ज्यादा से ज्यादा लोग राष्ट्रपति रीगन की इन बातों से इत्तेफाक रख रहे हैं.
उन्होंने कहा कि ये शब्द अमेरिका के बारे में हैं. अमेरिका जिसे दुनिया महत्व देती है. रीगन ने ये भाषण 23 फरवरी 1988 को दिया था. इसके बाद आई 24 फरवरी की तारीख लेकिन एक अलग युग में. 24 फरवरी 2022 को रूस ने हमारी क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन कर हम पर हमला किया था.
जेलेंस्की ने कहा कि ये दिन रीगन की विरासत और नियम आधारित वैश्विक व्यवस्था जिसे वह संजोकर रखना चाहते थे, दोनों के लिए बड़ी चुनौती का दिन था. लेकिन क्या इसे अब संजोकर रखा गया है? अब हर कोई नवंबर का इंतजार कर रहा है. अमेरिका, यूरोप, मिडिल ईस्ट, इंडो पैसिफिक और पूरी दुनिया की निगाहें नवंबर में होने जा रहे अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव पर है. पुतिन को भी इसका इंतजार है, लेकिन यह नवंबर क्या लेकर आएगा, उसके लिए भी तैयार रहने की जरूरत है.
जेलेंस्की ने कहा कि यह समय किसी की भी परछाई से बाहर निकलने, मजबूत फैसले लेने, नवंबर या किसी अन्य महीने का इंतजार करने का नहीं बल्कि काम करने का है. हमें किसी भी हालात में समझौता नहीं करना है. पुतिन और उसकी फौज से लोकतंत्र की रक्षा करनी है, उनके आतंक से लाखों यूक्रेनवासियों को बचाना है. हम सभी ने मिलकर काम किया है, हमने एक दिन या एक मिनट का भी इंतजार नहीं किया. हम हर दिन जूझ रहे हैं और बिना झुके डटे हुए हैं. दुनिया ने देखा है कि पुतिन हार सकते हैं और लोकतंत्र जीत सकता है. जब ऐसा लगना असंभव लगे, तब भी हम जीत सकते हैं.
उन्होंने कहा कि लेकिन हमने ऐसा सोचना कब से शुरू कर दिया कि कोई भी कदम उठाने से बेहतर देरी करना है? या जीत से बेहतर आंशिक समाधान है? और ऐसा कब लगने लगा कि आजादी की वकालत करना कथित तौर पर असुरक्षित है? या पूरी दुनिया को ब्लैकमेल करने के लिए पुतिन को सबक सिखाने से कथित तौर पर कोई फायदा नहीं होगा?
जेलेंस्की ने कहा कि दुनिया अमेरिका के बिना सुरक्षित नहीं हो सकती. दुनियाभर के मामलों की परवाह किए बगैर अमेरिका ना तो वर्ल्ड लीडर बन सकता है और ना ही ड्रीममेकर. अमेरिका को अपनी ताकत को पहचानना चाहिए क्योंकि इससे दुनिया की आजादी महफूज रहती है. इस वजह से दुनिया अमेरिका को तरजीह देता है क्योंकि अमेरिका हाथ पर हाथ रखकर नहीं बैठता.
उन्होंने कहा कि हमें मई-जून में बड़ी जीत मिली थी. हमने रूस की सेना को यूक्रेन के दूसरे सबसे बड़े शहर खारकीव में घुसने से रोक दिया था. हमारे लोगों की बहादुरी और रूस में सैन्य ठिकानों पर हमला करने की अमेरिका की मंजूरी से ये मुमकिन हो सका. मैं इसके लिए राष्ट्रपति बाइडेन का आभारी हूं.
सत्ता में कितना टिक सकेंगे पुतिन?
लेकिन पुतिन सत्ता में कितना टिकेंगे? इसका जवाब अमेरिका के पास है- इसका जवाब आपके नेतृत्व, आपके एक्शन, आपकी पसंद, कदम उठाने के आपके फैसले पर निर्भर करता है. नाटो समिट में कड़े फैसले लिए जाने की जरूरत है और हम उनका इंतजार कर रहे हैं. 75 सालों तक यूरोप के लोग आश्वस्त हो सकते थे कि नाटो के बीच मतभेद से कोई फर्क नहीं पड़ता
दशकों तक दुनिया क्षेत्रीय अखंडता के सिद्धांतों पर निर्भर रहा है. क्या ये सिद्धांत अभी भी बने हुए हैं? यूक्रेन, रूस के पड़ोसी और अमेरिका के सहयोगी राष्ट्रों को इसके जवाब की जरूरत है.