कैसे चुना जाता है लोकसभा का स्पीकर, 72 साल बाद होगा ऐसा; क्या इतिहास
नई दिल्ली
पहले प्रोटेम स्पीकर और अब स्पीकर को लेकर सत्तारूढ़ NDA और विपक्षी गठबंधन INDIA के बीच तलवारें खिंच चुकी हैं। एक ओर जहां एनडीए ने ओम बिरला को ही लोकसभा स्पीकर बनाने की तैयारी की है। वहीं, विपक्ष ने भी के सुरेश के रूप में उम्मीदवार उतार दिया है। चुनाव 26 जून को होना है। खास बात है कि भारत 1952 के बाद पहली बार स्पीकर के चुनाव का गवाह बनने जा रहा है।
स्पीकर को लेकर सियासी उथल-पुथल
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा, 'मल्लिकार्जुन खरगे के पास केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह का फोन आया राजनाथ सिंह जी ने खरगे जी से अपने स्पीकर के लिए समर्थन मांगा, विपक्ष ने साफ कहा है कि हम स्पीकर को समर्थन देंगे लेकिन विपक्ष को डिप्टी स्पीकर मिलना, राजनाथ सिंह जी ने कल शाम कहा था कि वे खरगे जी कॉल रिटर्न करेंगे अभी तक खरगे जी के पास कोई जवाब नहीं आया है।'
कांग्रेस सांसद ने कहा, 'पीएम मोदी कह रहे हैं रचनात्मक सहयोग हो फिर हमारे नेता का अपमान किया जा रहा है। नीयत साफ नहीं है। नरेंद्र मोदी जी कोई रचनात्मक सहयोग नहीं चाहते हैं। परंपरा है कि डिप्टी स्पीकर विपक्ष को होना चाहिए विपक्ष ने कहा है अगर परंपरा को रखा जाएगा तो हम पूरा समर्थन देंगे।'
वहीं, केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा, 'पहले उपाध्यक्ष कौन होगा ये तय करें फिर अध्यक्ष के लिए समर्थन मिलेगा, इस प्रकार की राजनीति की हम निंदा करते हैं… स्पीकर किसी सत्तारूढ़ पार्टी या विपक्ष का नहीं होता है वो पूरे सदन का होता है, वैसे ही उपाध्यक्ष भी किसी पार्टी या दल का नहीं होता है पूरे सदन का होता है। किसी विशिष्ट पक्ष का ही उपाध्यक्ष हो ये लोकसभा की किसी परंपरा में नहीं है।'
कैसे चुना जाता है स्पीकर
संविधान के अनुच्छेद 93 में स्पीकर के चुनाव की बात कही गई है। नई लोकसभा गठित होने के बाद ही यह पद खाली हो जाता है। अब सत्र शुरू होने के बाद राष्ट्रपति प्रोटेम स्पीकर नियुक्त करते हैं, ताकि नए सदस्यों को शपथ दिलाई जा सके। खास बात है कि लोकसभा के स्पीकर का चयन सिर्फ बहुमत के आधार पर ही हो जाता है। कुल सदस्यों की संख्या में से जो ज्यादा वोट हासिल करता है, उसे अध्यक्ष बनने का मौका मिलता है।
मैदान में कौन-कौन
नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस की ओर से बिरला ने नामांकन दाखिल कर दिया है। वहीं, कांग्रेस सांसद भी अध्यक्ष पद के लिए नामांकन दाखिल कर चुके हैं। खास बात है कि सत्तारूढ़ और विपक्ष को लेकर प्रोटेम स्पीकर को लेकर भी तनातनी हुई थी। फिलहाल, भर्तृहरि महताब को प्रोटेम स्पीकर बनाया गया था। जबकि, कांग्रेस सुरेश का नाम आगे बढ़ा रही थी।
72 सालों में पहली बार चुनाव
आमतौर पर स्पीकर का चुनाव सत्तारूढ़ और विपक्ष के बीच सर्वसम्मति से हो जाता है। इससे पहले 1952 में लोकसभा के पहले स्पीकर के लिए कांग्रेस ने जीवी मावलंकर का नाम आगे बढ़ाया था। उन्होंने तब चुनाव में विपक्ष के उम्मीदवार एसएस मोरे के हराकर पद हासिल किया था। लाइव मिंट की रिपोर्ट के अनुसार, इससे पहले सेंट्रल लेजिस्लेटिव एसेंबली यानी तब के इम्पीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल के निचले सदन के स्पीकर को चुनने के लिए 1925 में चुनाव हुआ था। 1925 से लेकर 1946 तक सेंट्रल लेजिस्लेटिव एसेंबली के स्पीकर के लिए 6 बार चुनाव हुआ है।
रिपोर्ट के मुताबिक, तब 24 अगस्त को हुए चुनाव में स्वराज पार्टी के नेता विट्ठलभाई जे पटेल ने टी रंगाचेरियार को हरा दिया था। हालांकि, यह जीत उन्हें महज 2 मतों से ही मिली थी। एक ओर जहां उनके खाते में 58 वोट आए थे। जबकि, रंगाचेरियार को 56 वोट मिले थे। एक कार्यकाल के बाद 20 जनवरी 1927 को पटेल फिर जीत गए थे, लेकिन 28 अप्रैल 1930 में उन्हें पद छोड़ दिया था। तब 9 जुलाई 1930 को सर मोहम्मद याकूब 78 वोट हासिल कर चुनाव जीते थे। जबकि, नंदलाल को 22 वोट मिले थे।
अखबार के अनुसार, चौथी एसेंबली में सिर इब्राहिम रहीमतुल्ला को 76 वोट मिले और हरि सिंह गौर को 36 मत मिले। हालांकि, रहीमतुल्ला ने स्वास्थ्य संबंधी कारणों के चलते 7 मार्च 1933 को इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद 14 मार्च 1933 को सर्वसम्मति से शानमुखम चेट्टी स्पीकर बने। पांचवीं एसेंबली के लिए 24 जून 1935 को सर अब्दुर रहीम ने 70 वोट पाकर 62 वोट हासिल करने वाले शेरवानी को हराया था। रहीम इस पद पर 10 सालों तक रहे।
संख्याबल
4 जून को ही लोकसभा चुनाव 2024 के परिणामों का ऐलान हुआ है। इसमें विपक्षी गठबंधन INDIA ने 233 सीटों पर जीत हासिल की है। जबकि, भारतीय जनता पार्टी की अगुवाई वाला एनडीए 293 सीटों पर जीत के साथ सरकार बनाने में सफल हुआ है।
क्यों बिगड़ गई बात?
इससे पहले राजनाथ सिंह के साथ मीटिंग में कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि कल आपने कहा था कि हम डिप्टी स्पीकर को लेकर आपको बताएंगे. लेकिन अभी तक आपने बताया नहीं है. दरअसल, स्पीकर के नॉमिनेशन पेपर पर साइन करने के लिए राजनाथ सिंह ने केसी वेणुगोपाल को बुलाया था. डीएमके नेता टीआर बालू भी राजनाथ से मिलने पहुंचे थे.
विपक्ष ने कहा, हमारा उम्मीदवार उतरेगा
मंगलवार सुबह विपक्ष ने साफ किया कि स्पीकर पोस्ट के लिए अपना उम्मीदवार खड़ा किया जाएगा. कांग्रेस नेता के सुरेश के नाम पर मुहर लगा दी गई. के सुरेश 8 बार के सांसद हैं. नाम फाइनल होने के कुछ देर बाद के सुरेश ने नामांकन पत्र भी दाखिल कर दिया. विपक्ष शक्ति प्रदर्शन की तैयारी में है. निर्दलीय सांसदों को अपने पक्ष में लाने की कवायद भी शुरू कर दी है. विपक्ष के 237 सांसद हैं. इनमें तीन निर्दलीयों का समर्थन शामिल है.
के सुरेश के नामांकन पत्र में इंडिया ब्लॉक के सहयोगी डीएमके, शिवसेना (उद्धव), शरद पवार (एनसीपी) और अन्य प्रमुख दलों ने हस्ताक्षर किए हैं. टीएमसी ने अभी तक हस्ताक्षर नहीं किए हैं. वे ममता बनर्जी की मंजूरी का इंतजार कर रहे हैं.
इससे पहले एनडीए की तरफ से ओम बिरला ने नामांकन किया. इस दौरान एनडीए तमाम नेताओं के साथ राजनाथ सिंह, अमित शाह और जेपी नड्डा लोकसभा सेक्रेटरी जनरल रूम में पहुंचे और नॉमिनेशन करवाया. सत्ता पक्ष के पास पूर्ण बहुमत है. एनडीए के पास 292 सांसदों का समर्थन है.
फिलहाल, अब लोकसभा अध्यक्ष को लेकर चुनाव होगा. 72 साल बाद लोकसभा स्पीकर को लेकर चुनाव होने जा रहा है. बुधवार सुबह 11 बजे मतदान होगा. उसके बाद नतीजा आएगा. अब तक स्पीकर को लेकर आम सहमति बनती रही है. विपक्षी दल से जुड़ा नेता डिप्टी स्पीकर चुना जाता रहा है.
क्या हुआ था 1952 में?
मई 1952 में पहली लोकसभा के सांसद स्पीकर का चुनाव करने के लिए एकत्र हुए. कांग्रेस के उम्मीदवार जीवी मावलंकर थे, जो 1946 से स्पीकर की कुर्सी पर थे. उनके सामने शंकर शांताराम मोरे उतरे. मोरे संसद में नए सदस्य चुने गए थे. चुनाव एक औपचारिकता माना जा रहा था. चूंकि कांग्रेस के पास लोकसभा में अच्छा बहुमत था. ज्यादातर सदस्यों ने मावलंकर के लिए वोट किया.