ग्वालियर पुलिस ने दिखाई मानवता, सालों से चले आ रहे जमीनी विवाद को ऐसे खत्म किया, जमकर हो रही तारीफ
ग्वालियर
मध्य प्रदेश के ग्वालियर में पुलिस का एक मानवीय चेहरा सामने आया है। इससे पता चलता है कि पुलिस का काम केवल अपराध को नियंत्रित करना ही नहीं है, बल्कि उसे जड़ से समाप्त कर आपसी भेदभाव और मनमुटाव को खत्म कर भविष्य की नींव को संवारना भी है। इस मामले में दो पक्षों के बीच जमीन को लेकर चले आ रहे विवाद में पुलिस ने ऐसा काम किया कि लोग चारो ओर उनकी तारीफ कर रहे हैं।
जानकारी के अनुसार बिजौली थाना के ग्राम जग्गुपुरा के रहने वाले ज्ञान सिंह, नाथू परिहार, रामकुमार परिहार, गुड्डी बाई, रौना बाई, अशोका बाई और दर्शन सिंह परिहार ने अलग-अलग शिकायती आवेदन लेकर एसडीओपी बेहट संतोष कुमार पटेल के पास आये थे। उनके द्वारा चार सीएम हेल्पलाइन भी लगाई थी। मामला जमीन विवाद से जुड़ा हुआ था।
मिटा सालों पुराना मनमुटाव
पता चला कि 7-8 साल पहले सगी चाची ने ज़मीन विवाद को लेकर सगे भतीजे राकेश परिहार पर छेड़छाड़ का मुक़दमा भी लगवाया था। जिसमें वह बाद में दोषमुक्त हुआ था। जमीन विवाद के मामले को देखने के लिए जब चार पुलिस वालों को लेकर एसडीओपी बेहट संतोष कुमार पटेल जग्गुपुरा गांव पहुंचे और पुलिस ने हाथ में टेप लेकर नापना शुरू किया तो 15 वर्ष पुरानी बुराइयां समाप्त होनी शुरू हो गयी। राकेश परिहार जिसे उसके ही भाई गुंडा बदमाश बोलते थे। उसने सड़क किनारे की ज़मीन भी दान कर दी।
15 साल बाद मिली अपनी जमीन
बारिश का महीना आते ही गांवों में ज़मीन विवाद बढ़ने लगते हैं। गांव छोड़कर शहर में रहने वाले भी गांव में खेती करने जाते हैं। इसलिए लड़ाई झगड़े होते हैं। ऐसा ही एक मामला महाराजपुरा थाना हस्तिनापुर का था। जिसमें तीन भाइयों में से सबसे छोटे भाई व पत्नी की मृत्यु के बाद उसके तीनों बच्चे पढ़ने के लिए शहर में रहने चले गए थे। 15 साल बाद जब गांव में गए तब उनके ही अपनों न रहने के लिए घर दिया और न ही ज़मीन। उसके बाद एसडीओपी संतोष कुमार पटेल व थाना प्रभारी हस्तिनापुर राजकुमार राजावत ने गांव जाकर बटवारा की बात की तो गांव व रिश्तेदारों ने एक दिन में सही बंटवारा कर दिया। पुलिस द्वारा जमीनी विवाद पर की गई पहल से वर्षों पुराने विवाद का निराकरण हुआ और सभी पक्ष खुश हुए।
लोगों ने की जमकर तारीफ
उक्त मामले में आम जन का कहना था कि पुलिस का यह भी चेहरा होता है यह तो उन्हे पता ही नहीं था। अगर इस तरह पुलिस अपनी जिम्मेदारी निभाए तो अपराध और अपराधी दोनों ही अपने आप पुलिस को आत्म समर्पण कर देंगे। साथ ही जब पुलिस इस तरीके से काम करती है तो जनता पुलिस से अपने मन की बात कहने में कोई झिझक भी नहीं रहती है।