41 की उम्र में दूसरी बार मां बनेगी गौहर खान, डॉक्टर ने बताए लेट प्रेग्नेंसी के असर
गौहर खान ने 41 साल की उम्र में अपनी दूसरी प्रेग्नेंसी की खुशखबरी साझा की है, जो लोगों के बीच चर्चा का विषय बन गई है। मां बनना किसी भी महिला के लिए खास होता है, लेकिन उम्र के साथ इससे जुड़े जोखिम भी बढ़ते हैं।
डॉ. मानन गुप्ता, डायरेक्टर ऑब्स्ट्रिक एंड गायनेकोलॉजी, ऐलांटिस हेल्थकेयर, नई दिल्ली बताते हैं कि देर से गर्भधारण करने वाली महिलाओं को कुछ अतिरिक्त सावधानियों की जरूरत होती है। शारीरिक और हार्मोनल बदलावों के कारण कुछ जटिलताएं पैदा हो सकती हैं, लेकिन सही देखभाल और डॉक्टर की निगरानी से इसे सुरक्षित और सुखद अनुभव बनाया जा सकता है।
लेट प्रेग्नेंसी आजकल आम होती जा रही है, लेकिन इसके साथ आने वाले संभावित प्रभावों को जानना जरूरी है। इससे न सिर्फ मां की सेहत का ध्यान रखा जा सकता है, बल्कि बच्चे के विकास को भी बेहतर तरीके से सुनिश्चित किया जा सकता है।
देर से गर्भधारण: क्यों बढ़ रहा है ये ट्रेंड?
महिलाएं अब करियर, जीवन स्थिरता और आत्मनिर्भरता के चलते देर से मां बनने का निर्णय ले रही हैं। तकनीकी और मेडिकल सुविधाओं की उपलब्धता ने इस ट्रेंड को और भी सहज बना दिया है।
लेट प्रेग्नेंसी में कौन-कौन से जोखिम हो सकते हैं?
डॉ. मनन बताते हैं कि उम्र के साथ हाई ब्लड प्रेशर, गर्भावस्था में डायबिटीज़, समय से पहले डिलीवरी और गर्भपात का खतरा थोड़ा बढ़ सकता है। इसके अलावा सी-सेक्शन की संभावना भी ज़्यादा हो सकती है।
बच्चे के स्वास्थ्य पर कैसा असर पड़ सकता है?
उम्र के साथ अंडाणुओं की गुणवत्ता पर असर पड़ता है, जिससे बच्चे में जेनेटिक डिसऑर्डर (जैसे डाउन सिंड्रोम) की आशंका बढ़ सकती है। हालांकि, सही निगरानी और समय पर टेस्ट से इन जोखिमों को कम किया जा सकता है।
क्या करें महिलाएं सुरक्षित लेट प्रेग्नेंसी के लिए?
फॉलो-अप चेकअप्स, पोषणयुक्त आहार, फोलिक एसिड सप्लीमेंट्स और रेगुलर एक्सरसाइज़ लेट प्रेग्नेंसी में बहुत मददगार साबित होते हैं। स्ट्रेस कम रखना और मानसिक रूप से तैयार रहना भी उतना ही जरूरी है।
लेट प्रेग्नेंसी का एक भावनात्मक पहलू भी होता है
उम्र के साथ महिलाएं मानसिक रूप से अधिक मैच्योर होती हैं, जिससे वे मदरहुड को ज्यादा संतुलन और समझदारी के साथ अपनाती हैं। इससे बच्चों के पालन-पोषण में भी स्थिरता देखने को मिलती है।