Madhya Pradesh

मध्य प्रदेश में महिला सशक्तिकरण प्रयासों में पहली बार आलमी तबलीगी इज्तिमा में महिला सक्रियता दिखाई दी

भोपाल

प्रदेश में जारी महिला सशक्तिकरण के सरकारी प्रयासों में आलमी तबलीगी इज्तिमा के जरिए एक और तहरीर जुड़ती दिखाई दे रही है। करीब 77 बरस पुराने इस आयोजन में पहली बार किसी महिला की सक्रियता बनी है। विभागीय मंत्री कृष्णा गौर के इज्तिमा प्रयासों को एक नई शुरुआत और इस आयोजन के बेहतर क्रियान्वयन से जोड़ा जा रहा है।

अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री कृष्णा गौर ने गुरुवार सुबह ईंटखेड़ी स्थित इज्तिमगाह पहुंचकर तैयारियों का जायजा लिया। जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन के आला अधिकारियों के अलावा सभी संबंधित विभागों को उन्होंने समय सीमा में काम पूरा करने के निर्देश दिए। उन्होंने देश दुनिया से आने वाली जमातों के लिए बेहतर इंतजाम करने के लिए कहा। ताकि यहां से लौटने वाले जमाती अच्छे अनुभव लेकर लौटें। इज्तिमा प्रबंधन कमेटी के मीडिया कोऑर्डिनेटर डॉ उमर हफीज और अन्य जिम्मेदारों ने मंत्री कृष्णा गौर को तैयारियों की जानकारी देते हुए चार दिन के दौरान रहने वाली व्यवस्था से अवगत कराया। इस मौके पर शहर के उलेमा और नागरिक भी मौजूद थे।

इज्तिमा और महिला : पहली बार
आमतौर पर इज्तिमा आयोजन के दौरान महिलाओं की सहभागिता प्रतिबंधित होती है। इस्लाम की पर्दा प्रथा के लिहाज से यह व्यवस्था प्रचलित है। लेकिन इस समय मप्र कैबिनेट में अल्पसंख्यक कल्याण विभाग की जिम्मेदारी कृष्णा गौर के हाथों में है। इससे पहले तत्कालीन शिवराज सिंह चौहान की सरकार में इस विभाग की जिम्मेदारी ललिता यादव के पास रही है। लेकिन उस समय मुख्यमंत्री स्वयं ही इज्तिमा व्यवस्थाओं पर निगरानी रखा करते थे। इसके चलते ललिता यादव का इज्तिमा से सीधा ताल्लुक नहीं रहा। कहा जाता है कि चूंकि कृष्णा गौर का सीधा ताल्लुक भोपाल से है। उनके ससुर स्व बाबूलाल गौर भी ठेठ भोपाली कहे जाते थे। इसके चलते उनका मुस्लिम समुदाय और इज्तिमा आयोजन से लगाव और जुड़ाव रहा है। माना जा रहा है कि कृष्णा गौर की निगरानी में हो रहे इज्तिमा आयोजन में पहले से कुछ बेहतर व्यवस्थाएं दिखाई दे सकती हैं।

107 साल रहा बेगमों का शासन
भोपाल रियासत पर रहे नवाब शासनकाल में सर्वाधिक समय बागडोर महिलाओं के हाथ रहा है। भोपाल, सीहोर और रायसेन जिलों को सहेजने वाली भोपाल रियासत में 107 साल तक नवाब शासन रहा है। इस बड़े कार्यकाल पर बेगमों की हुकूमत रही है। महिला सशक्तिकरण के लिए अग्रणीय रहीं बेगमों ने बरसों पहले 1910 में लेडिस क्लब की स्थापना कर दी थी। जिसकी पहली सेक्रेटरी मौलाना आजाद की बहन रही हैं। नवाब बेगमों ने महिला सशक्तिकरण की अवधारणा के साथ भोपाल में परी बाजार को भी आकार दिया था। जो महिलाओं की शॉपिंग के लिए मात्र महिलाओं द्वारा ही संचालित किया जाता था।