RaipurState News

New Criminals Law के तहत छत्तीसगढ़-कबीरधाम में पहली FIR, ट्रैक्टर के कागजात न देकर मारपीट के आरोप

कबीरधाम.

एक जुलाई से देश में नया कानून भारतीय न्याय संहिता (BNS ) लागू हो गया है। इसके लागू होने के कुछ देर बाद ही छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित जिला कबीरधाम में पीड़ित के साथ मारपीट की घटना की सूचना मिलने पर कबीरधाम पुलिस ने बीएनएस की धारा 296, 351(2) के तहत पहला मामला दर्ज किया है। थाना रेंगाखार में नए कानून बीएनएस के तहत पहली एफआईआर दर्ज हुई है।

पीड़ित इतवारी पंचेश्वर पिता सहदेव निवासी मोहनटोला थाना रेंगाखार जिला कबीरधाम द्वारा पुलिस को लिखित शिकायत मिली कि आरोपी गोलू ठाकरे निवासी रेंगाखार ने ट्रैक्टर के कागजात नहीं देते हुए पीड़ित के साथ मारपीट और गाली दी। इस पर थाना रेंगाखार में लिखित आवेदन प्रस्तुत किए जाने पर रात्रि 12.30 बजे आरोपी के खिलाफ बीएनएस की धारा के तहत एफआईआर दर्ज हुई। नए कानून के तहत दर्ज प्रथम FIR पर कबीरधाम जिले के पुलिस अधीक्षक डॉ. अभिषेक ने कहा कि नए कानूनों का उद्देश्य हर नागरिक को त्वरित और निष्पक्ष न्याय सुलभ कराना है। भारतीय न्याय संहिता (BNS) के प्रावधानों के तहत, हमने यह सुनिश्चित किया है कि न्यायिक प्रक्रियाएं अधिक प्रभावी और पारदर्शी हों। आज की घटना में, पीड़ित के आवेदन पर तुरंत कार्रवाई करते हुए पुलिस द्वारा तत्काल FIR दर्ज करना हमारे नए कानूनों की प्रभावशीलता का स्पष्ट प्रमाण है। आगे कहा कि यह दर्शाता है कि हम अपने नागरिकों को न्याय दिलाने के लिए कितने प्रतिबद्ध हैं। इस त्वरित कार्रवाई से न केवल पीड़ित को समय पर न्याय मिलेगा, बल्कि समाज में यह संदेश भी जाएगा कि कानून और न्याय प्रणाली उनकी सुरक्षा और अधिकारों के लिए हमेशा तत्पर है। हमारी टीम की तत्परता और समर्पण इस बात का प्रतीक है कि हम न्याय की दिशा में हर संभव कदम उठाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

नक्सल प्रभावित जिले में नए कानून भारतीय  न्याय संहिता (BNS) के तहत पहला FIR दर्ज होना एक महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक क्षण है। इससे स्पष्ट होता है कि ये कानून न केवल न्यायिक प्रक्रियाओं में सुधार लाने का प्रयास कर रहे हैं, बल्कि उनका मुख्य उद्देश्य है समाज में न्याय और पारदर्शिता को बढ़ावा देना। इन कानूनों के लागू  होने से  देश की न्यायिक प्रणाली में एक नया दौर शुरू होगा, जो न केवल अभियुक्तों के खिलाफ निष्पक्ष कार्रवाई की सुनिश्चित करेगा, बल्कि यह भी साबित करेगा कि सरकार न्यायिक प्रक्रियाओं को सुदृढ़ और सुरक्षित बनाने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। यह नया कानून भारतीय समाज को एक न्यायपूर्ण, समान और सुरक्षित समाज की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।