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गोल्ड लोन देने में गड़बड़ी पर फाइनेंस मिनिस्ट्री ने बैंकों को किया आगाह, गिरवी रखवाए बगैर लोन दिया जा रहा है

नई दिल्ली
गोल्ड लोन देने के मामले में सब कुछ ठीक नहीं है। यह बात सरकार की नजर में आई है। इस बात को लेकर चिंता बढ़ी है कि उचित मात्रा में गोल्ड गिरवी रखवाए बगैर लोन दिया जा रहा है। इससे जुड़ा रिस्क सोने के दाम तेजी से चढ़ने के चलते बढ़ गया है, क्योंकि कुछ बैंक टॉप-अप लोन भी देने लगे हैं। इसे देखते हुए मिनिस्ट्री ने सभी सरकारी बैंकों को सचेत किया है। बैंकों से कहा गया है कि वे अपने गोल्ड लोन पोर्टफोलियो की जांच-पड़ताल करें और जहां भी जरूरी हो, मामला दुरुस्त करें।

गोल्ड लोन से जुड़े मामले में ही RBI ने 4 मार्च को एक आदेश में IIFL फाइनेंस लिमिटेड को ऐसा लोन देने से रोक दिया था। दरअसल कुछ बैंक लेंडिंग बढ़ाने की आपाधापी में जोरशोर से गोल्ड लोन देने लगे हैं। बैंकों के गोल्ड लोन में पिछले सालभर में 17 प्रतिशत का इजाफा दर्ज किया गया है। सोने का भाव तेजी से चढ़ने के चलते गोल्ड लोन से जुड़ा रिस्क बढ़ा है। सालभर में सोने का भाव भी करीब 17 प्रतिशत चढ़ा है। हाल में MCX पर गोल्ड का भाव 66356 रुपये के नए हाई पर चला गया था।

मिनिस्ट्री ने बैंकों को भेजा था पत्र

मिनिस्ट्री के सूत्रों ने बताया कि गोल्ड लोन पर इंटरेस्ट तय करने में गड़बड़ी के अलावा यह भी देखा गया है कि कई मामलों में लोन देने के दिन ही या उसके कुछ ही दिनों बाद कैश रीपेमेंट के जरिए एकाउंट क्लोज कर दिया गया। इसे देखते हुए मिनिस्ट्री ने बैंकों को पिछले महीने पत्र भेजा था। उनसे कहा गया कि पहली जनवरी 2022 से लेकर 31 जनवरी 2024 तक उन्होंने जो भी गोल्ड लोन दिया है, उसकी जांच-पड़ताल करें। बैंकों से यह देखने को कहा गया है कि जो लोन दिया गया, उसके बदले सही मात्रा में कोलैटरल गोल्ड लिया गया था या नहीं। जूलरी की वैल्यू और प्योरिटी आरबीआई के नियमों के अनुसार चेक की गई थी या नहीं। बैंकों से कहा गया है कि इन दो वर्षों में जो लोन अकाउंट क्लोज किए गए, उनकी भी जांच की जाए। आरबीआई के नियमों के अनुसार, बैंक या गोल्ड लोन देने वाली फाइनैंस कंपनियां जूलरी की 75 प्रतिशत वैल्यू तक ही लोन दे सकते हैं।

जांच करने के निर्देश

मिनिस्ट्री के सूत्रों ने बताया कि गोल्ड लोन पर इंटरेस्ट तय करने में गड़बड़ी के अलावा यह भी देखा गया है कि कई मामलों में लोन देने के दिन ही या उसके कुछ ही दिनों बाद कैश रीपेमेंट के जरिए एकाउंट क्लोज कर दिया गया। इसे देखते हुए मिनिस्ट्री ने बैंकों को पिछले महीने पत्र भेजा था। उनसे कहा गया कि पहली जनवरी 2022 से लेकर 31 जनवरी 2024 तक उन्होंने जो भी गोल्ड लोन दिया है, उसके बदले सही मात्रा में कोलेटरल गोल्ड लिया गया था या नहीं। जूलरी की वैल्यू और प्योरिटी आरबीआई के नियमों के अनुसार चेक किया गया था या नहीं। बैंकों से कहा गया है कि इन दो वर्षों में जो लोन अकाउंट क्लोज किए गए, उनकी भी जांच की जाए। आरबीआई के नियमों के मुताबिक, बैंक या गोल्ड लोन देने वाली फाइनेंशियल कंपनियां जूलरी की 75 प्रतिशत वैल्यू तक ही लोन दे सकते हैं।