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शाह के तीन दिवसीय छत्तीसगढ़ दौरे के दौरान नक्सल ऑपरेशन एवं नक्सल समस्या समाधान की समीक्षा ली बैठक

जगदलपुर

सालों से नक्सल मोर्चे पर छत्तीसगढ़ जिस धीमी रफ्तार से चल रहा था उसकी गति केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने प्रदेश में भाजपा की सरकार के साथ बढ़ा दी है. बीते 8 महीने में 146 नक्सली ढेर हुए हैं. वहीं नक्सल प्रभावति क्षेत्रों में 32 नए सुरक्षा कैंप खोले गए हैं. शाह के तीन दिवसीय छत्तीसगढ़ दौरे के दौरान नक्सल ऑपरेशन एवं नक्सल समस्या समाधान की समीक्षा बैठक के बाद नक्सल ऑपरेशन में और तेजी आने की उम्मीद की जा रही है. संयुक्त रूप से अंतर राज्य सीमाओं पर माओवादियों की घेराबंदी, बड़े सीनियर लीडर की धर पकड़ और गिरफ्तारी को लेकर पुलिस आने वाले दिनों में नए जोश के साथ काम करेगी.

छत्तीसगढ़ में आयोजित अंतर राज्य समन्वय बैठक में छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा, मध्यप्रदेश, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना और महाराष्ट्र के मुख्य सचिवों और पुलिस महानिदेशकों के अलावा केंद्र सरकार के शीर्ष सुरक्षा अधिकारी भी मौजूद रहेंगे. पिछले 6 से 7 महीना के अंदर छत्तीसगढ़ को एंटी नक्सल ऑपरेशन में मिली सफलताओं के बाद केंद्र इस गति को और बढ़ाना चाहता है. छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, तेलंगाना और ओडिशा से लगे आंध्र के क्षेत्र में माओवादियों के शीर्ष लीडरों के ठिकानों पर इस दौरान एनआईए की रेट से भी कई महत्वपूर्ण गोपनीय दस्तावेज बरामद किए गए हैं, जिससे अर्बन नेटवर्क पर लगाम लगाने का मौका मिल रहा है.

माओवादियों पर चौतरफा दबाव बनाने तैयार होगी रणनीति
समीक्षा के दौरान माओवादियों पर चौतरफा दबाव बनाने की रणनीति तैयार की जाएगी. अंतर राज्य सीमाओं पर विशेष तौर पर संयुक्त ऑपरेशन पर जोर दिया जाएगा. अगर गौर किया जाए तो छत्तीसगढ़ में बीते 8 महीना में जो 146 नक्सली मारे गए हैं उसमें सर्वाधिक कांकेर नारायणपुर के नजदीक महाराष्ट्र से लगी सीमा पर मारे गए हैं, जहां पर माओवादी खुद को बेहद सुरक्षित मानते रहे हैं. आगे भी पुलिस इस रणनीति पर काम करने की तैयारी कर रही है.

29 नए कैंप खोलने की तैयारी
जानकारी के मुताबिक, छत्तीसगढ़ सरकार नक्सल मोर्चे पर मिली सफलताओं के साथ ही अतिरिक्त अर्ध सैनिक बलों की तैनाती नए गेम खेलने के लिए नई पोस्ट पर सुविधाओं और संसाधनों की मांग केंद्रीय गृह मंत्री के सामने रखेगी. फिलहाल 29 नए और कैंप खोलने की तैयारी नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में की जा रही है, जिनमें दक्षिण बस्तर मुख्य रूप से सरकार की प्राथमिकता में है. इसकी बड़ी वजह यह है कि यह क्षेत्र नक्सलियों के रिवेन्यू मॉडल का सेंटर है, जिसे खोलने से पुलिस को फायदा होगा और माइनिंग एक्टिविटीज में भी तेजी आएगी.

सभी थाने और कैंप अलर्ट मोड पर
साइकोलॉजिकल तौर पर इस क्षेत्र में माओवादियों का जो दबदबा है उसे तोड़ने में भी पुलिस को मदद मिलेगी, क्योंकि अब तक देशभर में सर्वाधिक हिंसक और बड़े हमले इसी क्षेत्र में हुए हैं, जहां पुलिस को सर्वाधिक नुकसान उठाना पड़ा है. वहीं केंद्रीय गृह मंत्री के दौरे पर बस्तर में किसी भी प्रकार की घटनाएं या मुठभेड़ ना हो, इसके लिए बस्तर के सभी थानों व कैंपों को अलर्ट मोड़ पर रखा गया है.