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गुंडों के डर से शिक्षकों ने बंद किया सरकारी स्कूल… मांग रहे थे रंगदारी, 200 छात्रों की पढ़ाई पर संकट…

इम्पैक्ट डेस्क.

बिहार में कानून व्यवस्था पर उठ रहे सवालों के बीच भागलपुर से ऐसी खबर आई है जिसे पढ़कर आप हैरान रह जाएंगे। यहां गुंडे सरकार से ही रंगदारी की मांग करने लगे हैं। नाथनगर थाना इलाके के वार्ड 8 स्थित मुनीराम खेतान सरकारी स्कूल में दंबंगों की धमकी के चलते पढ़ाना बंद कर दिया है। शिक्षकों का कहना है कि एक बाहुबली और उसके लोग उनसे स्कूल में पढ़ाने के लिए रंगदारी की मांग कर रहे हैं। बिना पैसे दिए स्कूल में घुसने पर उन्हें गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दे रहे हैं। जान जाने के डर से शिक्षकों ने स्कूल के गेट पर ताला जड़ दिया है। इससे करीब 200 छात्र-छात्राओं की पढ़ाई पर संकट आ गया है। डीईओ ने स्कूल के प्रभारी प्रधानाध्यपक को सस्पेंड कर दिया है। 

स्कूल के प्रभारी प्रधानाध्यापक पंकज मूसा ने आरोप लगाया कि स्थानीय बाहुबली विक्रांत कुमार उर्फ पूरन साह और उसके गुर्गों ने शिक्षकों को धमकी दी कि अगर उन्होंने स्कूल में प्रवेश करने की कोशिश की तो उन्हें बाहर फेंक दिया जाएगा। आरोपियों ने शिक्षकों से स्कूल चलाने के लिए रंगदारी के तौर पर नियमित रूप से पैसे देने की मांग की। स्कूल के शिक्षकों ने स्थानीय पुलिस से इस संबंध में शिकायत की, साथ ही शिक्षा विभाग के वरीय अधिकारियों को सूचित किया। पंकज का कहना है कि इस मामले में अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। 

जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) संजय कुमार ने गुरुवार को फोन पर एचटी से बात करते हुए बताया कि स्कूल के प्रभारी प्रधानाध्यापक पंकज मूसा को निलंबित कर दिया गया है। जो शिक्षक स्कूल नहीं आ रहे उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी। शिक्षा बच्चों का अधिकार है। इसका उल्लंघन बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। हालांकि, प्रभारी प्रधानाध्यपक को अपने निलंबन के बारे में जानकारी नहीं मिली थी।

एक शिक्षक ने कहा कि बाबा-बार मिल रही धमकियों से स्कूल चलाना संभव नहीं है। नाथनगर थाने के एसएचओ महताब आलम का कहना है कि हमें शिक्षकों से शिकायत मिली है और पुलिस मामले की जांच कर रही है। 

स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया है कि एक सप्ताह से न तो पुलिस और न ही शिक्षा विभाग के किसी अधिकारी ने स्कूल का दौरा किया है। लोगों का कहना है कि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है, पिछले पांच सालों के दौरान स्कूल को दर्जनों बार बंद किया गया है। इस समस्या का स्थायी रूप से समाधान निकालने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। स्कूल में पढ़ने वाले अधिकतर बच्चे गरीब परिवारों से हैं, उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।