रायबरेली से सोनिया के मुकाबले अदिति सिंह के चर्चे! अमेठी में राहुल गांधी की वापसी या प्रियंका की एंट्री
नई दिल्ली
कांग्रेस की भारत जोड़ो न्याय यात्रा मणिपुर से शुरू होकर मुंबई तक जाने वाली है और इसका सबसे अहम पड़ाव उत्तर प्रदेश होगा। कांग्रेस की ओर से शेयर रूट मैप के मुताबिक यूपी में यह यात्रा करीब 1000 किलोमीटर का सफर तय करेगी। इसके तहत तीन अहम पड़ा जिले की तीन सीटें वाराणसी, रायबरेली और अमेठी होंगी। इन सभी में जाकर कांग्रेस अलग-अलग संदेश देना चाहती है। काशी से कांग्रेस यह संदेश देगी कि वह सीधे पीएम मोदी को चुनौती देने की स्थिति में है। इसके अलावा रायबरेली में वह अपने गढ़ को बरकरार रखने की कोशिश करेगी, जबकि अमेठी में वह अपनी खोई प्रतिष्ठा वापस पाने का संकल्प लेगी। अमेठी से 2019 में राहुल गांधी हार गए थे और संभव है कि इस बार यहां से फिर मैदान में उतरें।
इस बीच रायबरेली से भाजपा की तैयारियों की भी चर्चा जोरों से है। स्थानीय स्तर पर चर्चा है कि रायबरेली से भाजपा अदिति सिंह को उतार सकती है, जो लोकप्रिय हैं और महिला कार्ड भी उनके नाम पर चल जाएगा। अदिति सिंह के पिता अखिलेश सिंह का भी जिले में अच्छा कद था और वह निर्दलीय ही विधायक चुने जाते थे। रायबरेली संसदीय सीट पर 2019 में सोनिया गांधी ने 1 लाख 67 हजार वोटों से जीत हासिल की थी। यूं तो यह अंतर काफी है, लेकिन पहली बार उनकी जीत का अंतर इतना कम था। इससे पहले यह कम से कम 3 लाख तक रहता था। ऐसे में भाजपा इसे अपने लिए उम्मीद के तौर पर देख रही है। 2019 में उसने अमेठी सीट जीती ही थी और अब रायबरेली पर उसकी नजर होगी।
क्यों रायबरेली में भी टाइट फाइट में फंस सकती है कांग्रेस
दरअसल सोनिया गांधी बीते 5 सालों में रायबरेली बहुत कम आई हैं। यही नहीं अकसर उनकी गैरमौजूदगी में आने वालीं प्रियंका गांधी वाड्रा भी यहां नहीं दिख रही हैं। इसके चलते कांग्रेस कार्यकर्ताओं के हौसले भी थोड़े गिरे हुए हैं। भाजपा के लोगों का कहना है कि हम इस बार रायबरेली में पूरा जोर लगाएंगे। रायबरेली, सलोन, हरचंदपुर समेत ज्यादातर विधानसभा सीटें भी भाजपा के पास ही हैं। ऐसे में उसे यहां उम्मीद की किरण दिख रही है। यहां से लोकसभा चुनाव में सपा कैंडिडेट नहीं देती है। यह भी कांग्रेस की जीत की एक वजह माना जाता है क्योंकि जब वह विधानसभा चुनावों में कैंडिडेट देती है तो कांग्रेस को झटका लगता है।
रायबरेली से राहुल और अमेठी से प्रियंका गांधी के भी चर्चे
इस बीच कांग्रेस में एक चर्चा यह भी है कि रायबरेली से राहुल गांधी को ही उतारा जा सकता है, जबकि अमेठी में महिला बनाम महिला कार्ड के लिए प्रियंका को वहां स्मृति के मुकाबले भेजा जा सकता है। हालांकि यह सभी चर्चाएं स्थानीय स्तर पर ही चल रही हैं और आधिकारिक स्तर पर कुछ कहा नहीं जा रहा है। गौरतलब है कि यूपी में कांग्रेस ने 2009 के आम चुनाव में 22 सीटें जीती थीं, लेकिन 2014 में यह आंकड़ा 2 पर ही सिमट गया। फिर 2019 में तो रायबरेली के अलावा सब जगह हार मिली। अमेठी में राहुल गांधी भी हार गए और वह अब केरल की वायनाड लोकसभा सीट से ही सांसद हैं।