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10 महिने में बदला डिजिटल प्लेटफार्म — क्रमश: 2 : छत्तीसगढ़ में शिक्षा, अफसरों की प्रयोगशाला बनी या चारागाह… अफसर बदलते बदल जाता है प्लेटफार्म… होते हैं शिक्षक हलाकान…

इम्पेक्ट न्यूज. रायपुर।

छत्तीसगढ़ में शिक्षा, एक प्रकार से अफसरों की प्रयोगशाला या चारागाह बनी हुई है। जब भी अफसर बदलते हैं तो अपना नाम कमाने प्लेटफार्म बदल दिया जाता है। इस चारागाह में शिक्षा को लेकर प्रयोग के नाम पर जो गोरखधंधा चल रहा है उसे राजनीतिक तंत्र के लिए समझना थोड़ा कठिन है। शिक्षा के मसले को लेकर सत्ता हमेशा सतर्क रहती है कि कम से कम इसमें पिछड़ने का दाग ना लगे। यही वजह है जब कभी कोई नया विकल्प दिखाने की कोशिश करता है तो राजनैतिक सत्ता उसे क्रांतिकारी परिवर्तन मानकर स्वीकार कर लेती है। इस बार छत्तीसगढ़ शिक्षा विभाग में यही हुआ… आईये समझते हैं ये क्या है और कैसे?

मैनुअल शिक्षा में होने वाली दिक्कतों को देखते हुए ही छत्तीसगढ़ शासन ने जून 2019 में दीक्षा एप और वेबसाइट के माध्यम से नई शुरूआत की थी। इसमें विडियो, आडियो, पीडीएफ और आन लाइन शिक्षा की तमाम जरूरतों का ध्यान रखा गया था। इसके लिए शैक्षणिक मटेरियल बनाने की जिम्मेदारी राज्य शैक्षिक अनुसंधान परिषद के द्वारा पूरी की गई। दीक्षा वेब https://diksha.gov.in/cg/ में दी गई जानकारी के मुताबिक शिक्षा से जुड़े 107 लोगों की टीम ने इसके लिए कंटेट का निर्माण किया।

10 माह में ना मंत्री बदले, ना सरकार बदली… बदले बस अफसर… डिजिटल प्लेटफार्म बदलकर​ फिर हो रही खर्च की तैयारी… शिक्षक हलाकान…

इसमें 69 पाठ्य पुस्तकों के 3823 क्यूआर कोड जनरेट किए गए। 3945 डिजिटल रिसोर्स बनाए गए। इसी सत्र में वेब साइट के कंजप्शन डाटा के मुताबिक 27 लाख 78 हजार 808 स्केन किए गए। करीब 8 लाख 13 हजार 530 कंटेट डाउनलोड किए गए। 46 लाख 38 हजार 637 बार कंटेट प्ले किया गया। जिसमें इस पोर्टल से करीब दो लाख 10 हजार 621 घंटे कंटेट प्ले किया गया। यानी इसका उपयोग निरंतर चल रहा था।

इसके बाद बीते 4 अप्रेल को http://cgschool.in/ वेब लांच किया गया। इसका उद्देश्य भी आन लाइन शिक्षा, आडियो, विडियो, फोटो और कोर्स मटेरियल के माध्यम से शिक्षा को निरंतरता प्रदान करना ही है। इस पोर्टल के मुताबिक अब तक पंजीकृत स्कूल 8 लाख 87 हजार 924 विद्यार्थी दर्ज किए गए हैं। पंजीकृत  1 लाख 35 हजार 653 स्कूल शिक्षक पंजीकृत हुए हैं। जिसके लिए शिक्षकों पर जबरदस्त दबाव है।

हां एक बात जरूर है कि इसमें प्रदेश के आठ हजार 196 कॉलेज के विद्यार्थी वह एक हजार 498 शिक्षक पंजीकृत किए गए हैं। इसमें 3197 वीडियो, 1786 फोटो, 584 कोर्स मैरेटियल, 82 ऑडियो अपलोड किया गया है। वेब साइट के मुताबिक अभी तक 29 ऑनलाइन कक्षाएं संचालित की गई हैं।

अब सवाल यह है कि जब आन लाइन की पूरी व्यवस्था पहले से ही कस्टमाइज की जा चुकी थी तो यकायक इसके विकल्प की तलाश क्यों की गई। बड़ी बात तो यह है कि दीक्षा एप के लिए तैयार विडियो सिस्टम का ही उपयोग कर पढ़ाई तुंहर द्वार का शुभारंभ किया गया।

विभागीीय सूत्र दबी जुबां से इस बात को कह रहे हैं कि इसके पीछे शिक्षा विभाग के एक आला अफसर की एनजीओ नीति का खेल है। वे इसके माध्यम से लंबा खेलना चाहते हैं। फिलहाल तो यही विचार करने योग्य है कि यदि जिन पाठ्य पुस्तकों के पीडीएफ पहले से तैयार हैं और जिसका उपयोग किया जा रहा है और किया जा सकता है ऐसे में नए सिरे से पीडीएफ करवाने और उसके डिजिटाईजेशन का व्यय क्यों किया जाए?

साथ ही शिक्षकों पर लगातार नए एप और पंजीयन का बोझ डाला जा रहा है। इसके बजाय स्थापित डिजिटल प्लेटफार्म का ज्यादा बेहतर उपयोग किया जा सकता था। नए सिरे से प्रशिक्षण की तैयारी के साथ जो भी किया जा रहा है। उसमें व्यय निश्चित है। पहले ही डिजिटल शिक्षा के नाम पर कम्प्यूटर व टैब आदि बांटे जा चुके हैं। खैर छत्तीसगढ़ में डिजिटल शिक्षा के नाम पर पर्दे के पीछे कोशिशे की जा रही हैं कि केंद्रीय मद से मिले राशि का उपयोग मद बदलकर किया जा सके…।

शेष अगले अंक में…

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