सूचनाओं का आदान-प्रदान डिजिटल प्लेटफार्म पर करने के लिए देवास जिला पायलेट जिले के रूप में चयनित किया गया
देवास
अपराधिक न्याय व्यवस्था के अलग अलग स्तंभों के मध्य सूचनाओं का आदान-प्रदान डिजिटल प्लेटफार्म पर करने के लिए देवास जिला पायलेट जिले के रूप में चयनित किया गया है। पायलेट प्रोजेक्ट के तहत प्रदेश का यह पहला जिला होगा, जिसमें विवेचकों के पास टेबलेट होंगे। अपराधिक न्याय से जुड़े सभी विभाग ऑनलाइन एक दूसरे से जुड़ेंगे। विवेचना, वारंट, समन, एमएलसी, पोस्टमार्टम रिपोर्ट, एफएसएल जांच, न्यायालय, अभियोजन और जेल विभाग जानकारियां साझा करेंगे। इस व्यवस्था को प्रदेश में लागू करने के लिए देवास जिले को पायलेट जिले के रूप में लेकर यहां पुलिसकर्मियों, डॉक्टरों, एफएसएल अधिकारी, अभियोजन के वकीलों विवेचकों की ट्रेनिंग करवाई जाएगी। सिस्टम पूरी तरह से लागू होने पर अपराधिक न्याय व्यवस्था सुलभ, पारदर्शी और तेज हो जाएगी।
भारतीय दंड संहिता को भारतीय न्याय संहिता से बदलने के बाद अब दंड से ज्यादा न्याय पर जोर दिया जा रहा है। पहले कानून में दंड देने की बात होती थी, जो अब पीड़ित को न्याय देने की होती है। पुलिस विभाग पूरी अपराधिक न्याय व्यवस्था को तेज और पारदर्शी बनाने के लिए अब सभी स्तंभों को ऑनलाइन करने पर जोर दे रहा है। इसके तहत एफआईआर होने से जेल जाने तक सबकुछ एक क्लिक पर लाने की कोशिश है। इस पूरी कसरत के लिए देवास जिला पायलेट जिले के रूप में चयनित हुआ है और काम शुरू हो चुका है। इसके तहत प्रकरणों की विवेचना करने वाले अधिकारियों व कर्मचारियों को टेबलेट भी दिए जाएंगे।
सब कुछ पेपरलेस और तेज हो जाएगा
न्याय व्यवस्था में एफआईआर से प्रक्रिया शुरू होती है। इसके बाद एमएलसी के लिए डाक्टर से संपर्क किया जाता है। विवेचना सीसीटीएनएस के माध्यम से पूर्व से ऑनलाइन है, परंतु डाक्टरी रिपोर्ट हार्ड कापी में मिलती है और इसके लिए काफी समय भी लगता है। नई प्रक्रिया में थाने से ही ऑनलाइन रिक्वेस्ट संबंधित अस्पताल में जाएगी, जिस पर रिप्लाय भी ऑनलाइन होगा। सभी एमएलसी और पोस्टमार्टम रिपोर्ट टाइप की हुई होगी। आमतौर पर डाक्टरों द्वारा लिखे गए पर्चे समझने में दिक्कत होती है, परंतु टाइप होने से आसानी से समझा जा सकेगा। यह काम सीसीटीएनएस और हेल्थ के मेडलेपार साफ्टवेयर को लिंक करने से होगा।
इसी तरह, एफएसएल से भी रिपोर्ट हार्ड कापी में आती थी, जो ऑनलाइन आएगी। किसी भी पोस्टमार्टम के बाद विसरा एफएसल जाता है, जिसकी रिपोर्ट काफी समय बाद आती थी। अब एफएसएल सीसीटीएनएस से लिंक होगी, जिससे रिपोर्ट पोर्टल पर थाना प्रभारी को दिखने लगेगी। इससे एफएसएल के इंतजार में प्रकरण लंबित नहीं रहेंगे। विवेचना के दौरान चालान के पूर्व ई-प्रोसिक्यूशन पोर्टल अभियोजन से डायरी स्क्रूटनी होती है। नया सिस्टम लागू होने से सीसीटीएनएस से डायरी इप्रोसिक्यूशन पर चली जाएगी। चालान को सीसीटीएनएस में सबमिट कर प्रिंट आउट निकालकर देते हैं। इसके बजाय अब आनलाइन ही न्यायालय में चार्जशीट चली जाएगी। सबकुछ पेपरलेस और तेज हो जाएगा।
अब ई-विवेचना
नई व्यवस्था के तहत विवेचना भी ई-विवेचना हो जाएगी। पायलेट प्रोजेक्ट के तहत जिले के विवेचकों को करीब 300 टेबलेट मिलेंगे। इसके लिए विवेचकों की ट्रेनिंग भी करवाई जाएगी। पूरी व्यवस्था लागू होने से न्याय सुलभ, तेज और पारदर्शी हो जाएगा। इसके लिए कंट्रोल रूम में रविवार को उच्च न्यायालय खंडपीठ इंदौर के न्यायमूर्तिगण व अन्य सभी संबंधित विभागों के अधिकारियों के साथ कार्यशाला की जाएगी।
ई-समन और वारंट व्यवस्था जारी
न्यायालय में विचारण में दौरान समन व वारंट जारी होते हैं। नई प्रक्रिया में कोर्ट से आनलाइन समन और वारंट जारी किए जाएंगे, जो थाना प्रभारी की सीसीटीएनपएस आइडी में दिखेंगे। थाने में पदस्थ सभी स्टाफ के नाम रहेंगे, जिनकी बीट के आधार पर समंस वारंट संबंधित पुलिसकर्मी को आनलाइन भेजे जा सकेंगे। हर पुलिसकर्मी के पास ई-रक्षक एप्लीकेशन रहेगा। संबंधित पुलिसकर्मी वारंट होने पर वहीं संबंधित का फोटो लेकर एप्लीकेशन में अपडेट कर देगा।
कोर्ट का सीआइएस सॉफ्टवेयर (कोर्ट इंफरमेशन सिस्टम) में यह दिखेगा। देवास के पुलिस अधीक्षक पुनीत गेहलोद ने बताया कि वर्तमान में ई-समन और वारंट व्यवस्था को जारी कर दिया गया है। पायलेट प्रोजेक्ट में प्रत्येक विवेचक को टेबलेट दिए जाएंगे। इनके माध्यम से विवेचक घटनास्थल के फोटो, नक्शा मौका, लेटिट्यूट, लांगिट्यूट, बयान, जब्ती की रिकार्डिंग, जब्ती पत्रक आदि की डिटेल फीड कर देंगे।
बंदियों का पूरा ब्योरा भी पोर्टल पर दिखेगा
न्यायालय से जो भी फैसला होगा, वह भी सीसीटीएनएस में आए नए फार्म में दिखने लगेगा। किसी को सजा होने पर जेल में इप्रिजन साफ्टवेयर में जानकारी डाली जाती है। यह भी सीसीटीएनएस से लिंक हो जाएगा, जिससे जेल में बंद अपराधियों से मिलने कौन आया, वह केस अपराध में बंद है, कब रिहा होगा आदि जानकारियां रहेंगी। आईसीजेएस पोर्टल के माध्यम से यह जानकारी भी आसानी से मिल पाएगी।