Madhya Pradesh

साइबर ठगी : दो हजार करोड़ की ठगी, सतना और जबलपुर में 450 से अधिक मिले म्यूल अकाउंट

भोपाल

देशभर में बहुत सारे लोगों से लगभग दो हजार करोड़ रुपये की साइबर धोखाधड़ी का मामला सतना की सीमेंट फैक्ट्री के 16 सुरक्षाकर्मियों से हुई ठगी ने खोला। ठगों ने इन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए खाते खुलवाए। उनके खातों से लाखों रुपये इधर से उधर किए पर उन्हें भनक तक नहीं लगी।

एक कर्मचारी को बैंक से पता चला कि उसके खाते से लाखों रुपये का ट्रांजेक्शन हुआ है तो मामला सामने आया। साइबर पुलिस ने इस मामले में अभी तक 23 आरोपितों को गिरफ्तार किया है। साइबर ठगी की राशि आतंकियों तक पहुंचने का भी संदेह है।

गुरुग्राम से हिरासत में लिए गए थे छह संदिग्ध
इसके आरोप में मध्य प्रदेश आतंकवाद निरोधी दस्ता (एटीएस) ने छह संदिग्धों को सात जनवरी को गुरुग्राम (हरियाणा) में हिरासत में लिया था। इनमें बिहार के हिमांशु कुमार की हिरासत से भागने के दौरान गिरने से मौत हो गई थी। पांच को जबलपुर साइबर पुलिस लेकर आई थी, जिन्हें कोर्ट के आदेश से जेल भेज दिया गया है।

सतना और जबलपुर में 450 से अधिक लोगों के म्यूल अकाउंट

साइबर पुलिस की जांच में सामने आया है कि मध्य प्रदेश के सतना और जबलपुर जिलों में ही ठगों ने 450 से अधिक लोगों के म्यूल अकाउंट खुलवाए। इन खातों का उपयोग ठगी की राशि रखने और इसे इधर-उधर करने के लिए किया गया।

सरकारी योजनाओं का लाभ का झांसा
ठगों ने किसान सम्मान निधि, वृद्धावस्था पेंशन, संबल योजना और बेरोजगारी भत्ता योजना जैसी विभिन्न सरकारी योजनाओं के तहत वित्तीय लाभ देने को वादा किया था।

सीमेंट कंपनी के सुरक्षा गार्डों के नाम पर खाते
एक सुरक्षा गार्ड ने जालसाजों द्वारा खोले गए अपने नए बैंक खाते के विवरण के बारे में संबंधित बैंक के कियोस्क से जांच की, तो वह यह जानकर हैरान रह गया कि उसके नाम से खोले गए खाते से लाखों रुपये का लेन-देन किया गया। सतना जिले में इसी सीमेंट इकाई के अन्य सुरक्षा गार्डों के नाम पर खोले गए खातों में भी इसी तरह की धनराशि का पता चला।

बैंक प्रतिनिधि बनकर संपर्क करते रहे ठग
सतना व जबलपुर में हुई साइबर ठगी की जांच में पता चला है कि सतना जिले के कुछ स्थानीय लोगों के साथ-साथ जबलपुर जिले के कुछ युवकों ने सीमेंट कारखाने के सुरक्षा गार्डों से बैंकों के प्रतिनिधि बनकर संपर्क किया। उन्होंने गार्डों को बैंक खाते खोलने के लिए राजी कर लिया।

जालसाजों ने बैंक प्रतिनिधि बनकर अपने फोन नंबर केवाइसी दस्तावेजों में दर्ज करवाए ताकि उन खातों (म्यूल अकाउंट) की नेट-मोबाइल बैंकिंग का संचालन केवल उनके पास ही रहे।

इसके बाद इन खातों को देश के विभिन्न राज्यों में साइबर जालसाजों को बेच दिया गया ताकि साइबर धोखाधड़ी के विभिन्न तरीकों से अर्जित धन को जमा किया जा सके और यहां-वहां भेजा जा सके। बिहार, आंध्र प्रदेश, हरियाणा, मध्य प्रदेश, दिल्ली सहित कई राज्यों और खाड़ी देशों में इनका नेटवर्क होने का पता चला है।