फर्जी मुठभेड़ों पर जांच कमेटी बनाने वाली कांग्रेस सिलगेर कांड पर खामोश : कमलेश… आदिवासी हितों की अनदेखी का सीपीआई नेता ने लगाया आरोप…
इंपेक्ट डेस्क.
म्ंत्री लखमा पर भी कसा तंज.
बीजापुर। सीपीआई के जिला सचिव कमलेश झाड़ी ने प्रदेश सरकार सहित कैबिनेट और जिले के प्रभारी मंत्री कवासी लखमा पर आदिवासी हितों की अनदेखी करने का आरोप लगाया है। कमलेश का कहना है कि प्रदेश में जब कांग्रेस विपक्ष में थी तब बस्तर में होने वाले फर्जी मुठभेड़ों पर जांच कमेटी बनाती थी। मंत्री लखमा खुद जांच कमेटी का नेतृत्व करते थे, लेकिन सत्तासीन होने के बाद सरकार ही नहीं बल्कि मंत्री लखमा ने भी आदिवासियों के मुद्दों को दरकिनार कर दिया है। बुधवार को पत्रकार भवन में आयोजित पत्रवार्ता को संबोधित कर रहे कमलेश ने सिलगेर समेत कई मुद्दों को लेकर सुबे के मुखिया से लेकर मंत्री लखमा और क्षेत्रीय विधायक विक्रम पर आदिवासियों के प्रति उदासीन होने का आरोप लगाया। कमलेश का कहना था कि अपने मौलिक अधिकारों को लेकर बीजापुर जिले में सिलगेर से लेकर बेचापाल तक आदिवासी आंदोलन पर है, लेकिन सरकार, उनके मंत्री, विधायक को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। इस मसले पर मुख्यमंत्री भुपेश, उनके मंत्री-विधायक फेल है। आदिवासियों पर तरह-तरह के अत्याचार हो रहे हैं, बावजूद सरकार को उनसे कोई वास्ता नहीं।
सूबे के मुखिया लखीमपुर पहुंच सकते हैं, पीड़ितों को मुआवजा दे सकते है, लेकिन सिलगेर गोलीकांड के पीड़ितों को न्याय नहीं दे सकते। दूसरी ओर विधायक विक्रम बेचापाल में आंदोलन पर बैठे आदिवासियों के बीच जरूर पहुंचते हैं, लेकिन विधायक की ग्रामीणों के साथ वार्ता किसी नतीजे पर नहीं पहुंचती। विक्रम स्वयं सरकार की कड़ी है और वो वार्ता के दौरान कहते हैं कि वे उनकी मांगों को सरकार तक पहुंचाएंगे। कमलेश ने यह आरोप भी लगाया कि सत्ता में आने से पहले कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में ढेरों वायदे किए थे, जिनमें बस्तर के जेलों में निरूद्ध आदिवासियों की निःशर्त रिहाई से लेकर बेरोजगारों, अनियमित कर्मचारियों, आंबा कर्मियों समेत अन्य वर्गों से उनकी मांगें पूरी करने का वायदा किया था, लेकिन तीन साल पूरे होने के बाद भी मांगें यथावत है और प्रभावित तबका आंदोलन को मजबूर है। नगरीय निकाय में कांग्रेस की जीत पर बोलते कमलेश ने कहा कि ऐसे चुनाव के वक्त वोटरों पर सत्ता का प्रभाव होता है। मसलन सत्ताधारी लोग ही वोटरों पर विकास में भेदभाव का डर दिखाकर पार्टी के पक्ष में वोट करने मतदाताओं को मजबूर करते है।
विधानसभा के लिए हम तैयार
पत्रवार्ता के दौरान भाकपा जिला सचिव ने कहा कि हाल में हुए नगरीय निकाय चुनाव के लिए उनकी पार्टी तैयार नहीं थी। संगठन से जुड़ी बैठकों के चलते पार्टी चुनाव पर फोकस नहीं कर पाई, लेकिन आने वाले विधानसभा के लिए पार्टी तैयाररहेगी और चुनाव में ना सिर्फ सत्तासीन कांग्रेस बल्कि भाजपा को भी सीपीआई जबरदस्त टक्कर देगी।
लक्ष्मी की घर वापसी से मिला बल
पत्रवार्ता के दौरान सीपीआई के पुराने कार्यकर्ता रह चुके तोयनार निवासी लक्ष्मी नारायण ने एक दफा फिर सीपीआई में प्रवेश लिया। कमलेश ने लाल गमछा पहनाकर उनका पार्टी में स्वागत किया। कमलेश ने बताया कि लक्ष्मी नारायण अविभाजित बस्तर के वक्त सीपीआई के जिला परियोजना सचिव रह चुके हैं। आगे चलकर शासकीय सेवा में कार्यरत् रहने से वे संगठन के साथ नियमित नहीं रह पाए, लेकिन गत वर्ष सेवानिवृत्त होने के बाद पुनः घर वापसी करते सीपीआई के साथ अपना राजनीतिक जीवन दोबारा शुरू करने की इच्छा उन्होंने जताई थी, यह संगठन के लिए बड़ा ही हर्ष का विषय था, इसलिए आज विधिवत उन्हें संगठन की सदस्यता प्रदान की गई।