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2024 की चारधाम यात्रा: यात्रा मार्ग और महत्वपूर्ण बातें

इस साल चार धाम यात्रा की शुरुआत 10 मई को अक्षय तृतीया के दिन शुरू हो रही है। 10 मई को गंगोत्री, यमुनोत्री और केदारनाथ धाम के कपाट खुलेंगे, जबकि 12 मई को बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने के साथ ही चार धाम की यात्रा पूरी तरह से शुरू हो जाएगी। चार धाम यात्रा के लिए 15 अप्रैल से 3 मई तक ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन शुरू किया गया था। अब 8 मई से ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन की सुविधा भी शुरू हो रही है। उत्तराखंड की चार धाम यात्रा की बात करें, तो चार धाम गंगोत्री, यमुनोत्री बद्रीनाथ, और केदारनाथ के बारे में बहुत से लोगों को पूरी जानकारी नहीं है। वहीं, जो लोग पहली बार चार धाम यात्रा पर जाना चाहते हैं या फिर इन पवित्र स्थलों का दर्शन का मन बना रहे हैं, उनके लिए चार धाम यात्रा से जुड़ी जानकारी बहुत महत्वपूर्ण है। आइए, जानते हैं चार धाम यात्रा के स्थलों के बारे में और यहां कैसे पहुंचें।

​चार धाम स्थलों के नाम और क्या है इनका महत्व​

हिंदू धर्म में चार धाम को बहुत ही पवित्र स्थल माना जाता है। मान्यता है कि अगर व्यक्ति अपने जीवन में चार धाम की यात्रा कर ले, तो उसे जीवन- मरण के बंधन से मुक्ति मिल जाती है और अंत में मोक्ष की प्राप्ति होती है। उत्तराखंड में स्थित गंगोत्री, यमुनोत्री बद्रीनाथ, और केदारनाथ को उत्तराखंड के चार धाम की यात्रा में शामिल किया जाता है।

​गंगोत्री धाम देवी गंगा का है पूजन स्थल​

गंगोत्री उत्तराखंड के चार धाम तीर्थस्थलों में से एक है। गोमुख गंगोत्री ग्लेशियर में भागीरथी नदी का स्रोत है, जो गंगा नदी के मुख्य धाराओं में से एक है। गोमुख गंगा नदी का उद्गम स्थल भी है। देवप्रयाग के बाद से यह अलकनंदा में मिलती है, इसलिए देवप्रयाग को संगम स्थल कहा जाता है, जो गंगोत्री ग्लेशियर में स्थापित है और गंगोत्री से 19 किलोमीटर का ट्रैक है। यहां आने वाले श्रद्धालु देवप्रयाग में गंगा स्नान करते हैं और अपनी गलतियों के लिए देवी गंगा से क्षमा मांगकर एक नए अध्याय की शुरुआत करते हैं। गंगोत्री को माता गंगा का पूजन स्थल भी माना जाता है। जहां गंगा की पावन जलधारा की पूजा की जाती है। गंगोत्री में प्राचीन गंगा मंदिर भी स्थित है। इसके अलावा भी गंगोत्री के आसपास कई अन्य धार्मिक स्थल हैं। इनमें भैरों घाटी, मुखबा गांव, हर्षिल, नंदनवन तपोवन, गंगोत्री चिरबासा और केदारताल मुख्य तीर्थस्थल है। आइए, जानते हैं कैसे पहुंचे गंगोत्री धाम।

गंगोत्री फ्लाइट से कैसे जाएं – गंगोत्री के सबसे पास देहरादून में जॉली ग्रांट एयरपोर्ट है, जो उत्तरकाशी मुख्यालय से लगभग 200 किमी दूर है। देहरादून हवाई अड्डे से गंगोत्री तक टैक्सी तथा बस सेवाएँ उपलब्ध हैं।

गंगोत्री ट्रेन से कैसे जाएं – ऋषिकेश, हरिद्वार और देहरादून सभी जगह रेलवे स्टेशन हैं। उत्तरकाशी से निकटतम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश (लगभग 100 किमी) है।

ऋषिकेश से गंगोत्री बस और टैक्सी से पहुंचा जा सकता है।

गंगोत्री से सड़क मार्ग से कैसे पहुंचे- गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 108 पर स्थित है। राज्य परिवहन की बसें उत्तरकाशी, देहरादून और ऋषिकेश के बीच नियमित रूप से चलते हैं। आप इन जगहों से बस लेकर गंगोत्री जिला मुख्यालय पहुंच सकते हैं, जो उत्तरकाशी से 100 किमी है।

​यमुनोत्री यमुना नदी का स्रोत है​

चार धाम यात्रा में दूसरा मुख्य स्थल यमुनोत्री है। यमुनोत्री, यमुना नदी का स्त्रोत है। यह जिला उत्तरकाशी में गढ़वाल हिमालय में 10,804 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। यमुनोत्री में पश्चिमीतम मंदिर है, जो बंदर पूंछ पर्वत की एक झुंड के ऊपर स्थित है। यमुनोत्री में मुख्य आकर्षण देवी यमुना के लिए समर्पित मंदिर और जानकीचट्टी में पवित्र तापीय झरना हैं। भूगर्भ से उत्पन्न 90 डिग्री तक गर्म पानी के जल का कुंड सूर्य-कुंड और पास ही ठन्डे पानी का कुंड, जिसे गौरी कुंड कहा जाता है, जो यहां का सबसे खास स्थल है। आइए, जानते हैं कैसे पहुंचे यमुनोत्री धाम।

यमुनोत्री फ्लाइट से कैसे पहुंचे- यमुनोत्री के सबसे पास एयरपोर्ट जॉली ग्रांट एयरपोर्ट है, जो उत्तरकाशी मुख्यालय से लगभग 200 किमी दूर है। देहरादून हवाई अड्डे से गंगोत्री तक टैक्सी तथा बस सेवाएँ उपलब्ध हैं।

यमुनोत्री ट्रेन से कैसे पहुंचे- ऋषिकेश, हरिद्वार और देहरादून सभी जगह रेलवे स्टेशन हैं। उत्तरकाशी से निकटतम रेलवे स्टेशन देहरादून है, जहां पहुंचकर आप बस या टैक्सी से यमुनोत्री पहुंच सकते हैं।

यमुनोत्री बस से कैसे जाएं- राज्य परिवहन की बसें उत्तरकाशी और ऋषिकेश के बीच चलती है। स्थानीय परिवहन संघ और राज्य परिवहन की बसें तथा टैक्सी यमुनोत्री और ऋषिकेश के बीच भी चलती है।

​बद्रीनाथ धाम को नर-नारायण का संगम स्थल कहते हैं​

बद्रीनाथ धाम को नर और नारायण का संगम स्थल भी कहा जाता है। धर्म शास्त्रों की मान्यता के अनुसार बद्रीनाथ को विशालपुरी भी कहा जाता है। बद्रीनाथ धाम में विष्णु भगवान की पूजा की जाती है, इसलिए इसे विष्णुधाम भी कहा जाता है। बद्रीनाथ लगभग 3,100 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। गढ़वाल हिमालय में अलकनंदा नदी के तट पर स्थित यह शहर नर और नारायण पर्वत श्रृंखलाओं के बीच स्थित है। बद्रीनाथ मंदिर में चार भुजाओं वाली काली पत्थर की बहुत छोटी मूर्तियां है। यहां भगवान श्री विष्णु पद्मासन की मुद्रा में विराजमान है। आइए, जानते हैं कैसे पहुंचे बद्रीनाथ धाम-

बद्रीनाथ फ्लाइट से कैसे पहुंचे- बद्रीनाथ के सबसे नजदीक एयरपोर्ट देहरादून में जॉली ग्रांट एयरपोर्ट है, जो बद्रीनाथ से लगभग 317 किमी दूर है। देहरादून हवाई अड्डे से बद्रीनाथ तक टैक्सी तथा बस सेवाएं उपलब्ध हैं।