District Raipur

CG : बिटिया ने गुटखा पाउच देकर कहा- पापा आप हमारी खुशियों में आग लगाओ… परिवार की खुशहाली के लिए छोड़ा तंबाक…

इम्पैक्ट डेस्क. रायपुर.

तंबाकू का सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। इसके लगातार प्रयोग से कैंसर जैसी गंभीर बीमारी हो सकती है। नई पीढ़ी जागरुकता के अभाव में तंबाकू के सेवन की ओर बढ़ रही है। छत्तीसगढ़ के परमानंद पाटिल भी उन्हीं में से एक हैं। वे पिछले 15 सालों से गुटखा और तंबाकू का सेवन कर रहे थे। बिटिया की एक बात ने दिल को झकझोर दिया और फिर उन्होंने तंबाकू नहीं खानी की ठानी। एनसीडी कार्यक्रम के तहत चलाए जा रहे नशा मुक्ति अभियान के संपर्क में आया। 2 माह के नियमित उपचार के बाद उनको लाभ मिला। आज वह तंबाकू और गुटखा के सेवन से तौबा कर चुके हैं। 

गुटखा खाने की आदत के बारे में परमानंद पाटिल बताते हैं, “लगभग 15 वर्ष पहले दोस्तों के साथ बारनवापारा घूमने गया था। वहां पर दोस्तों ने गुटखा खाने के लिए दबाव बनाया। मैंने गुटखा खाना शुरू कर दिया बाद में मुझे फिर इसकी ऐसी आदत हो गई कि मैं चाह कर भी तंबाकू को छोड़ नहीं पा रहा था। दिन में लगभग 100 से 150 रुपये इसी में खर्च हो जाता था।“ परमानंद ने बताया कि “मेरी आय भी सीमित थी। लोगों ने यह कह कर शादी करवा दी कि पत्नी आएगी तो तम्बाकू छूट जाएगी। इसी बीच शादी भी हो गई, लेकिन आदत और बिगड़ती चली गई। पत्नी ने भी कई बार गुटखा छोड़ने के लिए दबाव बनाती रही, लेकिन हठधर्मिता के कारण गुटखा नहीं छोड़ पाया। इसी बीच घर में नन्हा मेहमान आया। लक्ष्मी आई। धीरे-धीरे वह बड़ी हो रही थी। खर्चे बढ़ रहे थे और इधर तम्बाकू की आदत अपना जोर दिखा रही थी। चंद गुटखे के दाने खाने से शुरू हुआ सफर अब महीने में 2,500 से 3,000 रुपये खर्चा करा रहा था। आर्थिक स्थिति खराब हो रही थी। घर में गृह कलह बढ़ती जा रही थी। एक दिन बिटिया ने गुटखा पाउच देते हुए कहा यह लो पापा आप खाओ और हमारी खुशियों में आग लगाओ। यह बात दिल को लग गई। 

बिटिया की बात दिल को लग गई 
बात दिल को लग गई और मन में दृढ़ इच्छा शक्ति पैदा की। मैं अब तंबाकू का सेवन नहीं करूँगा। फिर मुझे पता चला कि स्वास्थ विभाग द्वारा एनसीडी कार्यक्रम के तहत नशा मुक्ति केंद्र बनाया गया है, जिसमें चरणबद्ध तरीके से नशा सेवन रोकने के तरीके सिखाये जाते हैं। मेरे लिए तंबाकू का सेवन छोड़ना आसान नहीं था। शुरुआत में 15 दिन काफी कष्टदायी थे। तंबाकू सेवन की इच्छा को रोकना और तंबाकू नहीं खाने के कारण मन-मस्तिष्क में बेचैनी, चिड़चिड़ापन, रात में नींद न आना और अनेक तरह के लक्षणों से जूझना पड़ा। 

धीरे-धीरे सामान्य होने लगी स्थिति
ऐसे में परामर्शदाताओं ने सलाह दी कि रात में मेथी दाना भिगोकर सुबह उसका पानी पीना चाहिए। दालचीनी का सेवन, दिन में दो या तीन काजू और बादाम खाने के साथ योग करने की सलाह भी दी। धीरे-धीरे स्थिति सामान्य होने लगी। मन-मस्तिष्क से तंबाकू सेवन की इच्छा भी कम होने लगी और निकोटीन गम को भी अलविदा कह दिया। और इस प्रकार धीरे धीरे गुटखा सेवन की आदत खत्म हो गई अब मैं पूर्ण रूप से गुटखा और तंबाकू के सेवन से तौबा कर चुका हूं। जब से गुटखा छोड़ा है मेरे बेटी और मेरी पत्नी बहुत खुश हैं।‘’

दृढ़ इच्छा शक्ति का होना बहुत जरूरी 
राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण प्रकोष्ठ की रायपुर जिला सलाहकार डॉ. सृष्टि यदु बताती है किसी भी प्रकार के नशे को छोड़ने के लिए दृढ़ इच्छा शक्ति का होना बहुत जरूरी है। नशा मुक्ति केंद्र से वर्ष 2021-22 में जिले के 120 स्कूलों में जागरूकता कार्यक्रम किए गए। 107 स्कूलों को धूम्रपान फ्री स्कूल का प्रमाण-पत्र मिला, वहीं 13 चालान भी किए गए, जिसमें 650 रुपये का अर्थदंड भी लिया गया। 1163 लोगों को ओपीडी के माध्यम से परामर्श भी दिया गया। 106 लोगों ने तंबाकू के सेवन का त्याग किया। वर्ष 2020-21 में 885 लोगों को ओपीडी के माध्यम से परामर्श भी दिया गया। 48 लोगों ने तंबाकू का सेवन छोड दिया। अब तंबाकू छोड़ने वाले लोग अब स्वस्थ जीवन जी रहे है।

छत्तीसगढ़ में बच्चे करते हैं तंबाकू का सेवन
छत्तीसगढ़ सरकार ने तंबाकू की बिक्री पर प्रतिबंध लगाया है, लेकिन बच्चे भी इसकी चपेट में हैं। ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे के अनुसार छत्तीसगढ़ में 39.1 प्रतिशत लोग तंबाकू का सेवन करते हैं। यह देश की औसतन 28.4% से अधिक है। इसमें 7% लोग ऐसे हैं, जिन्होंने 15 वर्ष की उम्र से पहले ही तंबाकू का सेवन शुरू कर दिया। 29% ने 15-17 वर्ष की उम्र और 35.4% ने 18-19 वर्ष में सेवन शुरू किया है। औसतन 18.5 वर्ष की आयु में तंबाकू का सेवन शुरू किया था। ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक छत्तीसगढ़ में 14 साल से कम आयु वर्ग में तंबाकू, सिगरेट का सेवन भारत में सर्वाधिक है।