एलोवीरा और चारकोल फ्लेवर वाले साबुन बेच रहीं बिहान की दीदी…
इम्पेक्ट न्यूज. दुर्ग।
-बाजार की नब्ज की पहचान और कोरोना काल में साबुन के बढ़ते माँग को देखते हुए बाजार की संभावनाओं को देखते हुए शुरू किया काम और उठा रही लाभ
साबुन के बाजार में विदेशी कंपनियों का दबदबा है। कोरोना संकट के बीच अब आत्मनिर्भरता की अहमियत बढ़ी है और इसे अवसर का लाभ उठाने बिहान की महिलाएँ आगे आई हैं। ये महिलाएं बाजार के ट्रेंड को किस प्रकार समझ पा रही हैं यह उनके उत्पादों को देखकर और इनमें की गई क्रिएटिविटी को देखकर महसूस किया जा सकता है।
हर ब्लाक में चुनिंदा गांवों में ऐसे काम हो रहे हैं। इनमें ऐसा ही काम है साबुन निर्माण और विपणन का। बिहान की महिलाएं अपने हुनर और व्यावसायिक कौशल और ब्रांड की समझ के अनुरूप अपना उत्पाद बना रही हैं और बाजार का मूड भी समझ रही हैं। उदाहरण के लिए एलोवीरा को लें।
आजकल हर सौंदर्य उत्पाद एलोवीरा को लेकर चलता है और खूब बिकता है। एलोवीरा के बारे में बाजार बताता है कि यह त्वचा के ग्लो के लिए काम करता है। इसलिए एलोवीरा वाले फ्लेवर का साबुन बिहान की महिलाएं भी बना रही हैं और बेच रही हैं।
सांकरा में काम कर रही संतोषी स्वसहायता समूह की संतोषी सिंगौर ने बताया कि हम लोग ग्राहकों को वैसे ही विकल्प दे रहे हैं जैसे बाजार में अनेक ब्रांड वाले साबुन देते हैं। हमारा साबुन काफी सस्ता है और हम लोगों को जिला पंचायत में इसके निर्माण के संबंध में, क्वालिटी के संबंध में काफी प्रशिक्षण दिया गया है।
इसलिए हम लोग इस दिशा में सफल प्रयास कर रहे हैं। जो लोग एलोवीरा से कम परिचित हैं उनके लिए तुलसी बेस वाला साबुन रखा गया है। चारकोल के स्वच्छता प्रदान करने के गुणों के बारे में भारतीय पूर्व परिचित हैं और अब विदेशी कंपनियां भी चारकोल को अपना रही हैं इसलिए हमारी दीदी लोग भी पीछे नहीं हैं।
चारकोल फ्लेवर वाला साबुन भी वे बना रही हैं। जिला पंचायत सीईओ श्री सच्चिदानंद आलोक ने बताया कि सांकरा स्थित प्रशिक्षण केंद्र में इसका प्रशिक्षण दिया गया है। महिलाएं काफी जल्दी सीख गई हैं।
हमारे लिए अपना बाजार ही बहुत बड़ा है। अस्पतालों में और पंचायतों में इसका विक्रय किया जा रहा है। लगभग पांच हजार पैकेट साबुन अभी लाकडाउन के दिनों में इन महिला समूहों ने बेचे हैं।
सीईओ ने बताया कि समूह गुणवत्ता पर खासा ध्यान रख रहे हैं क्योंकि उन्हें लंबे समय तक यह काम जारी रखना है और बाजार में वही वस्तु टिक पाती है जो गुणवत्तापूर्ण हो और लोगों के खर्च के दायरे में हो।
ग्राम पंचायत कोनारी में देवी महिला और सत्य साई महिला समूह द्वारा साबुन बनाया जा रहा है। पंचायतों में ही साबुन की काफी खपत हो जाती है। महिलाएं बताती हैं कि अभी कोरोना का संक्रमण है।
पहले भी साबुन में हाथ धोने का महत्व तो था ही , अब तो इसका महत्व संक्रमण को रोकने में और भी बढ़ गया है। हमारे साबुन पंचायतों को सप्लाई हो जाते हैं। काफी मांग आ रही है और हम लोग निकट भविष्य में अपना उत्पादन और अधिक बढ़ाएंगे।
ग्राम आलबरस की जय शीतला मां समूह की सदस्यों ने बताया कि अभी साबुन बनाना सीखा और लगभग छह हजार रुपए का साबुन बेच डाला है। हमको लगता है कि इसी प्रकार की छोटी-छोटी चीजें बनाएंगे तो गांव वालों को बाहर से बहुत कम चीजें बनानी पड़ेंगी। ये सामान काफी सस्ते भी हैं और वैरायटी में भी उपलब्ध हैं।