सीबीआई कोर्ट के फैसले के बाद मजबूत होंगे भूपेश…
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विशेष टिप्पणी। सुरेश महापात्र।
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार के पहले निर्वाचित मुख्यमंत्री रहे भूपेश बघेल पर चुनाव से ठीक पहले सेक्स सीडी कांड का दाग लगा था जो अब धुल गया है। कांग्रेस के खेमे में यदि देखें तो चरणदास महंत और भूपेश बघेल ही ऐसे दो नेता है जब वे बोलते हैं तो अब भी लगता है सदन में कांग्रेस की मौजूदगी है।
सेक्स सीडी मामले में नाम आने के बाद भले ही भूपेश अंदर से मजबूत थे पर बाहर से राजनीतिक तौर पर कमजोर पड़ रहे थे। अब यह बेड़ियां खुद सीबीआई की अदालत ने खोल दी है। अब यह मान लें कि भूपेश का नया अवतार राज्य में कांग्रेस की राजनीति में दिखने लगेगा। अजित जोगी हों या भूपेश बघेल कांग्रेस के इन दो नेताओं की जिद्द ही इनकी सबसे बड़ी खासियत रही है।
अपनी सरकार के दौरान सीबीआई को छत्तीसगढ़ से बाहर रखने का फैसला कांग्रेस की राजनीति का हिस्सा था क्योंकि देश के सभी प्रमुख विपक्षी दलों पर आईटी, सीबीआई और ईडी का दबाव लगातार बढ़ता जा रहा था। यदि 2018 के चुनाव में कांग्रेस की सीटें कम होतीं तो यहां भी मध्यप्रदेश जैसा हाल देखने को मिलता।
सेक्स सीडी वाले मामले में भूपेश बघेल ने अपनी जमानत लेने से इंकार कर दिया था। उसी दिन यह तय हो गया कि अब भूपेश सरकार के प्रति विद्रोह की राजनीति से अपनी ताकत का प्रदर्शन करेंगे। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष को एक आपराधिक मामले में गिरफ्तार करने से कांग्रेस को इतना फायदा मिला जिसकी उसने कल्पना तक नहीं की थी। यही वजह थी कि उत्तर छत्तीसगढ़ से लेकर दक्षिण छत्तीसगढ़ तक कांग्रेस को जबरदस्त लाभ मिला।
मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह की सौम्य छवि को भी इसी मामले से डेंट मिला। पूरे 15 बरस के कार्यकाल में से अंतिम दो बरस का कार्यकाल मुख्यमंत्री के तौर पर डा. रमन के लिए छवि खराब करने वाला साबित हुआ। भारी भ्रष्टाचार, अफसरशाही और बेलगाम नेताओं से लोगों को दिक्कत होने लगी थी। ऐसे समय में छत्तीसगढ़ की पालिटिक्स में सेक्स सीडी का मामला सामने आने के बाद विपक्ष को निशाने पर लेने से कांग्रेस को सहानुभूति का लाभ भी मिला।
वैसे सीबीआई कोर्ट ने मंगलवार को पांच में से चार के खिलाफ मुकदमा चलाने का फैसला कर दिया है। आने वाले समय में अब तमाम बिंदुओं पर सबकी निगाह रहेगी। विशेषकर पूर्व पत्रकार विनोद वर्मा जो छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद राजनीतिक सलाहकार की भूमिका में सामने आए।
पांच बरस में कांग्रेस की सरकार को बड़ा मौका था जिसे भूपेश बघेल ने गवां दिया। अब उन्हें अपने कई फैसलों को लेकर अफसोस तो हो ही रहा होगा यादि नहीं हो रहा है तो यह उनके लिए चिंता का विषय होना चाहिए। कांग्रेस को छत्तीसगढ़ से मिली बढ़त ने कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व को ताकत देने का काम किया था। जिस तरह से एक के बाद एक कई मामले घपले—घोटाले के सामने आने लगे और अफसरों की भर्राशाही का प्रत्यक्ष प्रदर्शन देखने को मिला। उसने कांग्रेस की पूरी छवि को तहस—नहस कर दिया।
अब जब पांच साल बाद सेक्स सीटी कांड पर भूपेश बघेल को बड़ी राहत मिली है। तो इसका असर राज्य की सत्ता को अलग तरह की चुनौती के तौर पर देखने को मिलना तय है। छत्तीसगढ़ में एक अनार सौ बीमार वाली कहावत चरितार्थ है। मंत्रियों के पद बंटवारा को लेकर अंदरूनी असंतोष है। यह विधानसभा के भीतर साफ दिखाई देता है। वरिष्ठ नेता हो चुके पूर्व मंत्री वर्तमान मंत्रियों को अपने तीखे सवालों से बार—बार संशय में डालते दिखते हैं।
इस समय पूर्व में विधानसभा अध्यक्ष रहे चरणदास महंत अपने तीखे, चुटीले अंदाज से निशाना साधने में कहीं नहीं चूक रहे। भूपेश के सामने उनके ही कार्यकाल का सवाल बार—बार खड़ा हो जाता है। इस पर उनके खिलाफ 2018 में दर्ज सेक्स सीडी का मामला भी दबाव बनाने के काम आता ही था। क्योंकि यदि सीबीआई को छत्तीसगढ़ से बाहर नहीं रखा जाता तो भाजपा को आरोप लगाने का मौका नहीं मिलता। अब सीबीआई ने ही क्लीन चिट दे दी है तो निश्चित तौर पर भूपेश ज्यादा मजबूत होकर सदन में दिखेंगे।
उनके कार्यकाल में जिन मामलो में ईडी, एसीबी और सीबीआई जांच कर रही है यदि उसका सिरा भूपेश या उनके परिवार तक नहीं पहुंच पाता है तो यह तय मान लीजिए भूपेश बघेल 2028 में छत्तीसगढ़ का फेस होंगे…!