Madhya Pradesh

‘भोपाल निवासी आश्चर्यचर्यकित हो गए क्योंकि ऑक्सीजन मास्क पहने ‘शफे ‘ ने कहा: “मांस पृथ्वी का गला घोंट रहा है!”

  • 'भोपाल निवासी आश्चर्यचर्यकित हो गए क्योंकि ऑक्सीजन मास्क पहने 'शफे ' ने कहा: "मांस पृथ्वी का गला घोंट रहा है!"
  • मर्सी फॉर एनि मल्स नेमांस की खपत के पर्यावरणीय प्रभाव पर प्रकाश डालते हुए और तत्काल परिवर्तन का आह्वान करते हुए सड़क पर प्रदर्शन किया।

भोपाल
एक शक्ति शाली दृश्य में, मर्सी फॉर एनि मल्स इंडिया ने पृथ्वी पर मांस की खपत के विशकारी प्रभाव की निंदा करते हुए, लेक व्यू भोपाल में एक प्रदर्शनर्श का आयोजन किया

ऑक्सीजन मास्क पहने एक 'शफे ' धुँआ छोड़ रही कृत्रि म बारबेक्यूग्रिल के पास खड़ा था, उसके साथ स्वयंसेवक भी थे जिनके हाथ में तख्तियां थीं जिन पर लिखा था, "एक स्वच्छ पृथ्वी के लिए वेज खाना चुनें ” और “मांस कम करो : उत्सर्जनर्ज काम करो ।"

खाद्य प्रणालियाँ वैश्विक  ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जनर्ज में14.5 प्रति शत का योगदान देती हैं, जिसमें से तीन-चौथाई औद्योगि क पशु कृषि सेआता है। भारत का पशधु न उद्योग, गाय और भैंस सहित 303 मिलियन मवेशियों के साथ, ग्लोबल वार्मिंग मीथेन उत्सर्जन में देश का शीर्ष योगदानकर्ता है। यह शक्ति शाली ग्रीनहाउस गैस अल्पावधि में कार्बनर्ब ऑक्साइड की तुलना में80 गुना  अधि  गर्मी को वातावरण में रोकती है। भारत दुनिया  का तीसरा सबसे बड़ा मीथेन उत्सर्जकर्ज है, इसके मीथेन उत्सर्जन कर्ज में मवेशियों का योगदान लगभग 48 %है।

मर्सी फॉर एनि मल्स इंडिया केआयोजन समन्वयक कुशल समद्दर ने कहा, “दुनिया जलवायु सकंट का खामियाजा भगुत रही है और पशु कृषि ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जनर्ज मेंअग्रणी योगदानकर्ता है। इसे बदलना होगा और ग्रह को बचाने के लिए अपने कार्बनर्ब  पदचिह्न को कम करने के लिए पौधेआधारित जीवन शैली  अपनाना सबसे प्रभावशाली कदम है।"

जैसे-जैसे भारत अपनी प्रगति जारी रख रहा है, पर्यावरणीय प्रबधंन के साथ आर्थिक विकास  को संतुलित करना जलवायु परिवर्तनर्त  के प्रभावों को कम करनेमें महत्वपर्णू  होगा, जिससे पौधे-आधारित आहार में बदलाव की आवश्यकता और भी अधि  जरूरी हो जाएगी।

मर्सी फॉर एनि मल्स के बारेमें
मर्सी फ़ॉर एनि मल्स एक अग्रणी गैर लाभकारी संस्था है जो एक उचित और टिकाऊ खाद्य प्रणाली का निर्माण करके औद्योगिक पशुकृषि को समाप्त करने के लिए काम कर रही है। संगठन  ने फैक्ट्री फार्मों और बचूड़ खानों की 100 से अधिक जांच की है, 500 सेअधिक कॉर्पोरेट नीतियों पर काम किया है, और खेती वाले जानवरों के लिए पिंजरों पर प्रतिबधं लगाने के लि  ऐतिहासिक काननू पारित करने में मदद की है। 2024 मर्सी फॉर एनि मल्स के अभूतपूर्व अभियानों और  कार्यक्रम का 25वां वर्ष है। MercyForAnimals.in पर और जानें।