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Banking Scams : जब बैंकिंग के शीर्ष पर बैठे लोगों पर लगा घोटाले का आरोप… जानें भ्रष्टाचार की पांच कहानियां…

इम्पैक्ट डेस्क.

आईसीआईसीआई बैंक धोखाधड़ी मामले में सोमवार को सीबीआई ने वीडियोकॉन के वेणुगोपाल धूत को गिरफ्तार कर लिया। इससे पहले आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व सीईओ चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर को भी सीबीआई गिरफ्तार कर चुकी है। चंदा पर 2018 में पति दीपक के साथ मिलकर वीडियोकॉन को आर्थिक लाभ पहुंचाने के लिए पद के दुरुपयोग का आरोप है।

चंदा कोचर ऐसी पहली बैंकर नहीं हैं जिनके ऊपर इस तरह के आरोप लगे हैं। इससे पहले भी बैंकिंग सेक्टर में शीर्ष पदों पर बैठे कई अधिकारी गंभीर घोटालों और धोखाधड़ी के मामलों में फंस चुके हैं। आइये जानते हैं ऐसे ही पांच बड़े मामलों को…

1. चंदा कोचर, पूर्व सीईओ आईसीआईसीआई बैंक
मामला क्या है: 
मामला वीडियोकॉन समूह को दिए ऋण से जुड़ा है। चंदा पर कथित तौर पर बैंक के नियमों का उल्लंघन करते हुए वीडियोकॉन समूह को 3,250 करोड़ रुपये ऋण देने में मदद करने का आरोप है। आरोपों के मुताबिक वीडियोकॉन के प्रवर्तक वेणुगोपाल धूत ने 2012 में आईसीआईसीआई बैंक से वीडियोकॉन समूह को ऋण मिलने के बाद कथित तौर पर न्यूपॉवर रिन्यूएबल्स प्राइवेट लिमिटेड (NRPL) में करोड़ों रुपये का निवेश किया। इस फर्म को धूत ने ICICI से ऋण मिलने के छह माह बाद चंदा कोचर के पति दीपक कोचर और दो रिश्तेदारों के साथ मिलकर शुरू किया था। 
खुलासा कैसे हुआ: एक गुमनाम मुखबिर की एक शिकायत के बाद मामले का खुलासा हुआ। मामले की जांच शुरू होने के बाद चंदा को 2018 में पद छोड़ना पड़ा। जनवरी 2019 को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने चंदा कोचर, उनके पति दीपक कोचर और वेणुगोपाल धूत पर आपराधिक साजिश और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम से संबंधित  धाराओं में मामला दर्ज किया। फरवरी 2019 में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया था।

2. सुरजीत सिंह अरोड़ा, पूर्व निदेशक पीएमसी बैंक
मामला क्या है: 2019 में पीएमसी बैंक घोटाले में मुंबई पुलिस ने बैंक के पूर्व निदेशक सुरजीत सिंह अरोड़ा को गिरफ्तार किया। मामला बैंक में वित्तीय अनियमितता से जुड़ा था। आरोपों के मुताबिक पीएमसी ने एक रियल एस्टेट डेवलपमेंट कंपनी एचडीआईएल को दिए 4,355 करोड़ रुपए के कर्ज को छिपाने के लिए फर्जीवाड़ा किया था। पीएमसी ने बैंकिंग सिस्टम में गड़बड़ी कर ऐसे 44 लोन खातों को दबा दिया था। 
खुलासा कैसे हुआ: सितंबर 2019 में बैंक के बोर्ड सदस्यों में से ही किसी ने आरबीआई के सामने घोटाले को उजागर कर दिया था। मामला उजागर होने के बाद में मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) की विशेष जांच टीम ने सुरजीत सिंह अरोड़ा को गिरफ्तार कर लिया। इससे पहले पुलिस ने बैंक के पूर्व चेयरमैन वारयाम सिंह, प्रबंध निदेशक जॉय थॉमस और एचडीआईएल के मालिक राकेश व सारंग वाधवन को भी गिरफ्तार किया था।  
इस मामले में मुंबई पुलिस और ईडी दोनों ने बैंक के शीर्ष अधिकारियों और एचडीआईएल के प्रमोटरों के खिलाफ केस दर्ज किया था। इसी साल जुलाई में सुरजीत सिंह अरोड़ा और जसविंदर सिंह कश्मीरा सिंह बनवती को जमानत मिली है।

3. राणा कपूर, प्रबंध निदेशक और सीईओ यस बैंक 
मामला क्या है:
 निजी क्षेत्र के बैंक यस बैंक के प्रबंध निदेशक और सीईओ राणा कपूर पर भी बैंकिंग फ्रॉड का आरोप लगा था। मार्च 2020 में प्रवर्तन निदेशालय ने 466.51 करोड़ रुपये के मनी लॉन्ड्रिंग मामले में यस बैंक के सीईओ राणा कपूर को गिरफ्तार किया। उनपर पद के दुरुपयोग करने और अपने परिवार को लाभ पहुंचाने का आरोप है। आरोपों के मुताबिक भारी मात्रा में कर्ज मंजूर करने के एवज में ली गई रिश्वत की राशि उनके परिवार के नियंत्रण वाली कंपनियों में लगाई गई। आरोप यह भी है कि कपूर के अनुचित कार्यों की वजह से यस बैंक को 466 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान उठाना पड़ा। 

खुलासा कैसे हुआ: इस मामले में सीबीआई ने मार्च 2020 में धोखाधड़ी व आपराधिक षड्यंत्र का मामला दर्ज किया था। इसी आधार पर ईडी ने भी राणा कपूर के खिलाफ मनी लॉड्रिंग का केस दर्ज किया। सीबीआई ने कपूर व अवंता समूह के प्रवर्तक गौतम थापर के खिलाफ सितंबर में धोखाधड़ी के मामले में आरोप पत्र दायर किए। हालांकि, पिछले साल 2 जून को दायर एफआईआर में कपूर का नाम संदिग्ध के तौर पर शामिल नहीं था। इसके बाद घोटाले की जांच में उनका नाम उभरा। नवंबर में दिल्ली हाईकोर्ट ने राणा कपूर को नियमित जमानत दे दी।  

4. चित्रा रामकृष्ण, पूर्व सीईओ एनएसई
मामला क्या है: 
एनएसई की पूर्व सीईओ चित्रा रामकृष्ण का नाम भी बैंकिंग क्षेत्र में फ्राड से जुड़ा हुआ है। मार्च 2022 में, उन्हें घोटाले में शामिल होने के आरोप में सीबीआई द्वारा गिरफ्तार किया गया था।  दरअसल, शेयर खरीद-बिक्री के केंद्र देश के प्रमुख नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के कुछ ब्रोकरों को ऐसी सुविधा दे दी गई थी, जिससे उन्हें बाकी के मुकाबले शेयरों की कीमतों की जानकारी कुछ पहले मिल जाती थी। इसका लाभ उठाकर वे भारी मुनाफा कमा रहे थे। एनएससी में खरीद-बिक्री तेजी को देखते हुए घपले की रकम पांच साल में 50,000 करोड़ रुपये होने का अनुमान है।

खुलासा कैसे हुआ: चित्रा पर आरोप हैं कि उन्होंने 2013 से 2016 के बीच पद पर रहते हुए कई ऐसे फैसले लिए, जिन्हें शेयर बाजार के हित से जुड़ा नहीं माना गया। इनमें एक फैसला था आनंद सुब्रमण्यम की नियुक्ति का, जिनके लिए चित्रा ने एनएसई में अधिकारी स्तर का पद सृजित किया। आरोप है कि इसके लिए स्टॉक एक्सचेंज के ह्यूमन रिसोर्स (एचआर) डिपार्टमेंट से भी चर्चा नहीं की गई। नियुक्ति के बाद सुब्रमण्यम की तनख्वाह और मुआवजे को अप्रत्याशित रूप से बढ़ाया गया।  इस गड़बड़झाले पर सेबी की जांच के दौरान सामने आया कि रामकृष्ण ने स्टॉक एक्सचेंज की कई आंतरिक गोपनीय जानकारियां बाहर साझा कीं। जब सेबी ने चित्रा रामकृष्ण से एनएसई की गोपनीय जानकारियों को बाहर साझा करने पर सवाल पूछा, तो उन्होंने बताया कि rigyajursama नाम से बनी ईमेल आईडी एक सिद्धपुरुष/योगी की है, जो कि हिमालय में वर्षों से विचरण कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ईमेल लिखने वाले योगी आध्यात्मिक शक्ति रखते हैं। पिछले 20 वर्षों से उन्हें रास्ता दिखा रहे हैं और वे अपनी इच्छा के अनुसार ही प्रकट होंगे।

5. रविंद्र मराठे, सीईओ बैंक ऑफ महाराष्ट्र
मामला क्या है: बैंक ऑफ महाराष्ट्र ने पुणे की एक बिल्डर कंपनी डीएसके डेवलपर्स के मालिक डीएस कुलकर्णी को 2043 करोड़ रुपये का लोन दिया था। आरोप है कि इस लोन को देने में बैंक के सीईओ रविंद्र मराठे व पूर्व सीईओ सुशील मनोत ने नियमों की अनदेखी की। 

खुलासा कैसे हुआ: जून 2018 में मामला सामने आया। इसके बाद पुणे पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा पुलिस ने बैंक के सीईओ रविंद्र मराठे समेत पांच लोगों को गिरफ्तार किया। गिरफ्तारी के कुछ दिन बाद 27 जून 2018 को पांचों अधिकारियों को जमानत मिल गई। 20 अक्तूबर 2018 को पुणे पुलिस ने इस मामले में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी थी। वहीं, कोर्ट ने भी इस केस में सभी आरोपियों को क्लीन चिट दे दी थी।