अज़ब प्रेम कहानी : प्यार की खातिर प्रेमिका के साथ नक्सली कमांडर छोड़ आया लाल गलियारा…
कुख्यात नक्सली कमांडर गोपी प्रेमिका के साथ पहुंचा पुलिस के पास
गणेश मिश्रा. बीजापुर।
कहते हैं प्यार में बड़ी ताकत होती है। यह कई अपराधियों को अपराध त्याग कर प्यार करना सिखा चुका है। इसीलिए कहा गया है पोथी पढ़-पढ़ जग मुआ, पंडित भया न कोय… ढाई आखर प्रेम के पढ़े सो पंडित होय…
प्रेम की गाथाएं सिर्फ शहरी इलाकों में ही नहीं बल्कि इन दिनों माओवादियों के लाल गलियारा में भी असर डाल रहा है। माओवादी भी अछूते नहीं है। ऐसा ही एक मामला प्रकाश में आया है जब एक कुख्यात नक्सली कमांडर ने अपने ही दल में रहने वाली डिप्टी कमांडर महिला नक्सली के प्यार के चलते माओवादी विचारधारा और हिंसा के रास्ते को त्याग दिया। इस माओवादी ने पुलिस के साथ आकर विकास की मुख्यधारा से जुड़ने का फैसला लिया है।
यहां हम बात कर रहे हैं बीजापुर जिले के सबसे ज्यादा माओवाद प्रभावित क्षेत्र गंगालुर एरिया कमेटी की जहां पर पिछले 15 सालों से सक्रिय माओवादी नेता गोपी मोडियम उर्फ मंगल ने महिला माओवादी डिप्टी कमांडर भारती उर्फ रामे के प्यार की खातिर उसने माओवादी संगठन को छोड़कर पुलिस के समक्ष रविवार को समर्पण कर दिया है हालांकि आत्मा समर्पित नक्सली नेता और उसकी प्रेमिका इस समय बीजापुर नही बल्कि रायपुर पुलिस के कब्जे में है। जिसे पूछताछ के लिए रायपुर ले जाया गया है।
बताया जा रहा है कि आत्मसमर्पण करने के लिए अपनी प्रेमिका के साथ पुलिस के पास पहुंचा नक्सली कमांडर गोपी मोडियम पिछले 15 सालों से गंगालूर एरिया कमेटी में विभिन्न पदों पर कार्य करते हुए नक्सली संगठन में सक्रिय रहा है इस दौरान उसे प्रेम प्रसंग के चलते ही कई बार संगठन से निष्कासित भी किया जा चुका था।
प्रेम की खातिर अंततः उसने माओवादी विचारधारा और हिंसा के रास्ते को त्यागने का फैसला ले लिया, मिली जानकारी के अनुसार माओवादी नेता गोपी मोडियम की मुलाकात कुछ साल पहले सुकमा क्षेत्र में सक्रिय महिला नक्सली डिप्टी कमांडर भारती उर्फ रामे से मुलाकात हुई थी। इन दोनों के बीच प्रेम संबंध स्थापित हो गया। प्रेम प्रसंग को आगे बढ़ाकर इन दोनों ने घर बसाने का फैसला ले लिया। माओवादियों और संगठन के साथ रहने के चलते उनकी यह सकारात्मक मंशा पूरी नहीं हो पा रही थी।
जिसके चलते दोनों ने आत्मसमर्पण कर सुखी जीवन जीने का फैसला लिया। वे किसी ऐसे व्यक्ति की तलाश में थे जो उन्हें सकुशल पुलिस तक पहुंचाकर आत्मसमर्पण करने में उनकी मदद कर सकें।
इसी बीच उन्हें नक्सली महिला कमांडर भारती के रिश्तेदार से संपर्क हुआ और दोनों ने उनसे आत्मसमर्पण करने की इच्छा जाहिर की। काफी दिनों की मशक्कत के बाद रविवार को दोनों ने अपने विश्वसनीय साथी को गंगालूर मार्ग पर बुलाकर उनके साथ बीजापुर आ गए। जहां से पूछताछ के लिए उन्हें पुलिस रायपुर ले गई है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार समर्पण करने से पहले माओवादी नेता गोपी मोडियम ने संगठन के नाम पीडिया गांव में एक पत्र छोड़ा था जिसमें उसने संगठन छोड़ कर जाने की इच्छा जाहिर की थी। बताया जा रहा है कि वह पत्र कुख्यात नक्सली कमांडर पापा राव के हाथ लग गई। जिसके बाद आत्मसमर्पण करने के लिए निकले गोपी और भारती की तलाश शुरू की।
इससे पहले कि वह उनके चंगुल में फंसता वह पुलिस के हाथ लग चुका था। अपनी प्रेमिका के साथ आत्मसमर्पण करने पहुंचा नक्सली कमांडर पिछले 6 सालों से संगठन के लिए लेवी वसूली का भी काम किया करता था। इसने बहुत कम समय में ही संगठन के बड़े पदों पर काबिज होकर कई बड़ी वारदातों को भी अंजाम दिया।
इसके पहले भी गोपी के आत्मसमर्पण करने की कई सूचनाएं प्राप्त हुई थी परंतु वह अफवाह साबित हुई इसके बाद अंततः उसने अपनी प्रेमिका के साथ सोमवार को आत्मसमर्पण कर दिया। वर्तमान में आत्मा समर्पित नक्सली नेता और उसकी प्रेमिका रायपुर पुलिस के कब्जे में है।
बीजापुर एसपी कमलोचन कश्यप का कहना है
नक्सली नेता गोपी और उसकी प्रेमिका ने आत्मसमर्पण किया है परंतु वह बीजापुर में नहीं है। क्योंकि उसके आत्मसमर्पण में रायपुर और सुकमा पुलिस का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। उसे रायपुर ले जाया गया है। बहुत जल्द ही उसे बीजापुर लाया जाएगा।
बता दें कि आत्म समर्पित नक्सली गोपी मूलतः बीजापुर जिले के चेरकंटी गांव का रहने वाला है और यह सलवा जुडूम के दौर में माओवादियों के साथ जाकर संगठन में शामिल हुआ था। अब समर्पण कर विकास की मुख्यधारा से जुड़कर काम करने के लिए प्रेमिका के साथ पुलिस के पास पहुंच चुका है।