आधी रात को बिलकिस बानो केस के 11 दोषियों ने गुजरात की गोधरा जेल में किया आत्मसमर्पण, पढ़िए केस में कब क्या हुआ
गोधरा
बिलकिस बानो केस के 11 दोषियों ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पंचमहाल जेल में सरेंडर कद दिया है। दोषियों ने 21 जनवरी (रविवार) की रात में सरेंडर किया। सेंट्रल जेल गोधरा के एक अधिकारी ने पुष्टि करते हुए बताया कि सभी 11 दोषियों ने आत्मसमर्पण किया है। सुप्रीम कोर्ट ने 21 जनवरी तक सरेंडर करने को कहा था। सुप्रीम कोर्ट ने 7 जनवरी को अपने फैसले में 11 दोषियों की समयपूर्व रिहाई को रद्द कर दिया था। इसके बाद तीन दोषियों ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल करके सरेंडर के लिए चार से छह हफ्ते और देने की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के बाद और समय देने से मना कर दिया था। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि सभी दोषियों को 21 जनवरी तक सरेंडर करना होगा। गुजरात सरकार ने गुजरात दंगों से जुड़े बिलकिस बानो गैंगरेप केस के दोषियों को 15 अगस्त, 2022 को रिहा किया था।
रिहाई से हुआ था स्वागत
जेल से इन दोषियों की रिहाई पर फूल माला के साथ स्वागत किया था। इसके बाद इस मामले ने तूल पकड़ा था। तब इस सजा माफी और समयपूर्व रिहाई से जुड़ी कमेटी के सदस्य रहे बीजेपी विधायक ने दोषियों का बचाव किया था। उन्होंने अपने बयान में कहा था कि ये संस्कारी ब्राह्मण हैं। गोधरा के विधायक सी के राउलजी का बयान काफी ज्यादा सुर्खियों में आया था। इसके बाद 11 दोषियों की रिहाई का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था। सुप्रीम कोर्ट ने लंबी सुनवाई के बाद 7 जनवरी, 2023 को दोषियों की सजा माफी को गुजरात सरकार के अधिकार क्षेत्र से बाहर का मामला बताते हुए रिहाई को रद्द कर दिया था। कोर्ट ने सभी को दोबारा से जेल में सरेंडर करने काे कहा था। कोर्ट ने बिलकिस बानो केस के 11 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है।
दो सप्ताह के अंदर आत्मसमर्पण करने का निर्देश
पीठ ने दोषियों को दो सप्ताह के अंदर जेल अधिकारियों के समक्ष आत्मसमर्पण करने का निर्देश भी दिया था. सजा में छूट को चुनौती देने वाली जनहित याचिकाओं को सुनवाई योग्य करार देते हुए पीठ ने कहा था कि गुजरात सरकार सजा में छ्रट का आदेश देने के लिए उचित सरकार नहीं है. शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि एक राज्य जिसमें किसी अपराधी पर मुकदमा चलाया जाता है और सजा सुनाई जाती है, वही दोषियों की माफी याचिका पर निर्णय लेने में सक्षम होता है.
कानून के शासन का उल्लंघन हुआ
पीठ ने 100 पन्नों का फैसला सुनाते हुए कहा था, ‘‘हमें अन्य मुद्दों को देखने की जरूरत नहीं है. कानून के शासन का उल्लंघन हुआ है क्योंकि गुजरात सरकार ने उन अधिकारों का इस्तेमाल किया जो उसके पास नहीं थे और उसने अपनी शक्ति का दुरुपयोग किया.
गुजरात सरकार ने 2022 में सजा में छूट दी
घटना के वक्त गुजरात में 2002 के दंगों के दौरान बिनकिस बानो 21 साल की थीं और पांच माह की गर्भवती थीं. बानो से गोधरा ट्रेन में आग लगाए जाने की घटना के बाद भड़के दंगों के दौरान दुष्कर्म किया गया था. दंगों में मारे गए उनके परिवार के सात सदस्यों में उनकी तीन साल की बेटी भी शामिल थी. गुजरात सरकार ने सभी 11 दोषियों को 15 अगस्त 2022 को सजा में छूट दे दी थी और उन्हें रिहा कर दिया था.
बिलकिस बानो पर हुए जुल्म की कानूनी लड़ाई पर एक नजर-
3 मार्च, 2002: अहमदाबाद के पास रंधीकपुर गांव में 21 वर्षीय बिलकिस बानो के परिवार पर हिंसक भीड़ ने हमला किया. महिला के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया. उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या की.
दिसंबर 2003 : उच्चतम न्यायालय ने बिलकिस बानो के मामले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को जांच का निर्देश दिया.
21 जनवरी, 2008 : एक विशेष अदालत ने बिलकिस बानो से बलात्कार और उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या के मामले में 11 लोगों को दोषी ठहराया और उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई.
दिसंबर 2016: बंबई उच्च न्यायालय ने उम्रकैद की सजा पाए 11 कैदियों की अपील पर फैसला सुरक्षित रखा.
मई 2017 : बंबई उच्च न्यायालय ने 11 दोषियों की उम्रकैद की सजा बरकरार रखी.
23 अप्रैल, 2019 : उच्चतम न्यायालय ने गुजरात सरकार से बिलकिस बानो को 50 लाख रुपये का मुआवजा देने को कहा.
13 मई 2022 : उच्चतम न्यायालय ने गुजरात सरकार को निर्देश दिया कि वह नौ जुलाई 1992 की अपनी नीति के अनुसार समय पूर्व रिहाई के लिए एक दोषी की याचिका पर विचार करे.
15 अगस्त, 2022: गुजरात सरकार की माफी नीति के तहत गोधरा उप-कारागार से 11 दोषियों को रिहा किया गया.
25 अगस्त, 2022: उच्चतम न्यायालय ने दोषियों की समय पूर्व रिहाई के खिलाफ भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) की पूर्व सांसद सुभाषिनी अली, पत्रकार रेवती लौल और प्रोफेसर रूप रेखा वर्मा द्वारा संयुक्त रूप से दायर जनहित याचिका पर केंद्र और गुजरात सरकार को नोटिस जारी किया.
30 नवंबर, 2022 : बिलकिस बानो ने 11 दोषियों की सजा माफ करने के गुजरात सरकार के फैसले को चुनौती देते हुए उच्चतम न्यायालय का रुख किया और कहा कि उनकी समय पूर्व रिहाई ने समाज की अंतरात्मा को हिला दिया है.
17 दिसंबर, 2022: उच्चतम न्यायालय ने बिलकिस बानो की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने उससे 13 मई के अपने उस फैसले पर पुनर्विचार का अनुरोध किया था, जिसमें शीर्ष अदालत ने कहा था कि गुजरात सरकार सामूहिक बलात्कार और हत्या मामले के एक दोषी द्वारा दायर समय पूर्व रिहाई के आवेदन की जांच करने में सक्षम है.
27 मार्च, 2023 : बिलकिस बानो की याचिका पर केंद्र, गुजरात सरकार और अन्य को नोटिस जारी किया गया.
7 अगस्त, 2023: उच्चतम न्यायालय ने सजा में छूट देने के गुजरात सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अंतिम सुनवाई शुरू की.
12 अक्टूबर, 2023: उच्चतम न्यायालय ने बिलकिस बानो द्वारा दायर याचिका सहित अन्य याचिकाओं पर 11 दिन की सुनवाई के बाद अपना फैसला सुरक्षित रखा.
08 जनवरी, 2024 : उच्चतम न्यायालय ने 11 दोषियों की सजा माफी रद्द कर दोषियों को दो सप्ताह के भीतर जेल अधिकारियों के समक्ष समर्पण करने का निर्देश दिया.