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अमेरिका रूसी नौसेना के साथ करेगा युद्धाभ्‍यास, ‘कोमोदो’ में चीन और भारत भी दिखेंगे, यूक्रेन को बड़ा झटका

जकार्ता
यूक्रेन युद्ध को बंद कराने की मुहिम में लगे अमेरिका के डोनाल्‍ड ट्रंप प्रशासन ने जेलेंस्‍की को एक और बड़ा झटका देने की तैयारी कर ली है। रूस, चीन, अमेरिका, भारतीय, ऑस्‍ट्रेलियाई तथा अन्‍य क्‍वाड देशों की नौसेना एक साथ युद्धाभ्‍यास करने जा रही है। यह नौसैनिक युद्धाभ्‍यास दुनिया का सबसे बड़ा मुस्लिम देश इंडोनेशिया बाली के पास अपने रणनीतिक रूप से अहम द्वीप पर आयोजित कर रहा है और इसे कोमोडो 2025 युद्धाभ्‍यास नाम दिया गया है। यह युद्धाभ्‍यास 16 फरवरी से शुरू होगा और 22 फरवरी तक चलेगा। इसमें दुनिया के 38 देश हिस्‍सा लेने जा रहे हैं और 19 विदेशी युद्धपोत अपनी ताकत का प्रदर्शन करेंगे।

इस युद्धाभ्‍यास में 7 हेलीकॉप्‍टर भी शामिल होंगे। इंडोनेशिया हर साल उत्‍तर कोरिया को भी न्‍योता देता है, फिर भी उसने आजतक कभी भी अपने युद्धपोत को नहीं भेजा है। रूस इस अभ्‍यास में अपने प्रशांत बेड़े से युद्धपोत भेज रहा है। वहीं अमेरिका यूएसएस डेवे गाइडेड मिसाइल डेस्‍ट्रायर भेज रहा है। वहीं भारत अपने युद्धपोत आईएनएस शार्दूल और पी8 आई लंबी दूरी के निगरानी विमान को भेज रहा है। पिछली बार यूक्रेन को भी न्‍योता दिया गया था लेकिन अभी यह पता नहीं चल पाया है कि उसने अपने प्रतिन‍िधियों को भेजा था या नहीं।

रूस और अमेरिका दे रहे बड़ा संकेत

इस नौसैनिक अभ्‍यास का उद्देश्‍य आपदा सहायता और मानवीय ऑपरेशन में एक-दूसरे की मदद करना शामिल हैं। कोमोदो 2025 अभ्‍यास में अमेरिका और रूस के युद्धपोत का इंडोनेशिया के जलक्षेत्र में एक साथ युद्धाभ्‍यास करना दुनिया में बड़ा संदेश देने की कोशिश है। रूस और अमेरिका के बीच यूक्रेन युद्ध को लेकर तनाव साल 2022 से ही अपने चरम पर रहा है। अमेर‍िका लंबे समय से हिंद प्रशांत क्षेत्र में नौवहन स्थिरता और सुरक्षा के लिए अपनी भूमिका को काफी बढ़ा रहा है। वहीं रूस की बात करें तो पश्चिमी देशों के साथ चल रहे तनाव के बीच वह क्षेत्रीय देशों के साथ अपने रिश्‍ते मजबूत कर रहा है और प्रभाव को बढ़ा रहा है।

वहीं रूस की मीडिया ने नाटो के युद्धपोतों के साथ रूसी युद्धपोत के अभ्‍यास करने के ऐलान को 'बड़ा बदलाव' करार दिया है। रूस के प्रशांत बेड़े के पूर्व कमांडर एडमिरल सर्गेई अवाकयांट ने कहा कि इस अभ्‍यास में एक प्रमुख पहलू है कि एक-दूसरे का सहयोग किया जाए। उन्‍होंने कहा कि यह महत्‍वपूर्ण बदलाव है जो हालिया विदेश नीति में बदलाव और अमेरिका में आए दिशा निर्देश से जुड़ा हुआ है। रूस और अमेरिका 1990 के दशक में एक साथ नौसैनिक युद्धाभ्‍यास करते थे। हालांकि इस बार केवल मानवीय अभियानों, समुद्री तस्‍करों के खिलाफ कार्रवाई और संयुक्‍त अभियान चलाना शामिल है।