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चंद्रयान-3 के बाद नीले रंग के विक्रम-1 की चर्चा… जनवरी में हो सकता है लॉन्च, क्यों है यह खास…

इंपेक्ट डेस्क.

चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के बाद इन दिनों अंतरिक्ष सेक्टर में विक्रम-1 की खूब चर्चा हो रही है। यह नीले रंग का है। स्पेसटेक स्टार्टअप स्काईरूट एयरोस्पेस इसकी अगले साल की शुरुआत में लॉन्चिंग की तैयारी कर रहा है। इस कंपनी ने पिछले साल भारत के पहले निजी तौर पर निर्मित रॉकेट विक्रम-एस को लॉन्च किया था। उसने रॉकेट को सबऑर्बिटल स्पेस में भेजकर इतिहास रचा था।

हैदराबाद स्थित कंपनी स्काईरूट ने मंगलवार को सात मंजिला मल्टी-स्टेज लॉन्च वाहन विक्रम -1 का अनावरण किया। इसकी पेलोड क्षमता लगभग 300 किलोग्राम है। यह उपग्रहों को निचली पृथ्वी की कक्षा (एलईओ) में रखने की क्षमता रखता है। 
स्काईरूट के सह-संस्थापक और सीईओ पवन कुमार चंदना ने कहा कि विक्रम-1 भारत का पहला ऑल-कार्बन फाइबर बॉडी वाला रॉकेट है। यह 3डी-प्रिंटेड लिक्विड इंजन से लैस है। हालांकि पहला विक्रम-1 मिशन आंशिक रूप से कॉमर्सियल होगा। स्काईरूट के पूरी तरह से कॉमर्सियल होने और राजस्व हासिल करने से पहले अगले डेढ़ साल में लगभग 3-4 विक्रम-1 मिशन बढ़ाए जाएंगे। 
2018 में दो पूर्व इसरो वैज्ञानिकों द्वारा स्थापित स्काईरूट अब तक 526 करोड़ रुपये जुटा चुका है। जल्द ही ब्रिजिंग राउंड बढ़ाने की योजना बना रहा है।

विक्रम वन क्यों है खास?
विक्रम-1 सात मंजिला रॉकेट है।
कई उपग्रहों को कक्षा में पहुंचाने की क्षमता रखता है।
300 किलो पेलोड को पृथ्वी की निचली कक्षा में पहुंचाने की क्षमता रखता है।
कार्बन-फाइबर ढांचे वाला रॉकेट है।
विक्रम-एस रॉकेट के सफल लॉन्च के बाद यह दूसरा रॉकेट है।
इसकी पेलोड क्षमता, आर्किटेक्चर और फ्लेक्सिबिलिटी कमाल की है।