बर्मिंघम में राष्ट्रमंडल खेलों का हुआ रंगारंग आगाज… सिंधु और मनप्रीत ने लहराया तिरंगा…
इम्पैक्ट डेस्क.
बर्मिंघम में 22वें राष्ट्रमंडल खेलों का उद्घाटन गुरुवार (28 जुलाई) की देर रात को रंगारंग अंदाज में हुआ। समारोह में 72 देशों के एथलीट ने हिस्सा लिया। भारत का प्रतिनिधित्व स्टार बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधु और पुरुष हॉकी टीम के कप्तान मनप्रीत सिंह ने किया। दोनों भारत के ध्वजवाहक थे।
बर्मिंघम पहली बार इन खेलों की मेजबानी कर रहा है। इंग्लैंड तीसरी बार इन खेलों की मेजबानी कर रहा है। बर्मिंघम से पहले 1934 में लंदन और 2002 में मैनचेस्टर में राष्ट्रमंडल खेल हो चुके हैं।
भारत 18वीं बार इन खेलों में उतरा है। उसने 1930, 1950, 1962 और 1986 में हिस्सा नहीं लिया था। इस बार भारत को बैडमिंटन स्टार पीवी सिंधु, लक्ष्य सेन, किदांबी श्रीकांत, पहलवान रवि दहिया, बजरंग पूनिया, मुक्केबाज लवलीन बोर्गोहेन, निकहत जरीन और वेटलिफ्टर मीराबाई चानू सहित कई एथलीटों से स्वर्ण पदक की उम्मीद है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय खिलाड़ियों को शुभकामनाएं दी। उन्होंने ट्वीट किया, ”बर्मिंघम में 2022 राष्ट्रमंडल खेलों की शुरुआत पर भारतीय दल को शुभकामनाएं। मुझे विश्वास है कि हमारे एथलीट अपना सर्वश्रेष्ठ देंगे और अपने शानदार खेल प्रदर्शन से भारत के लोगों को प्रेरणा देते रहेंगे।”
बर्मिंघम के इतिहास को दिखाया गया
अफ्रीकन ड्रम के जरिए कार्यक्रम की शुरुआत हुई। बर्मिंघम में कार इंडस्ट्री मशहूर है। यहां बनी नई और पुरानी 72 कारों की प्रदर्शनी दिखाई गई। प्रिंस चार्ल्स एस्टन मार्टिन कार से पहुंचे। सिंगर समांथा ऑक्सब्रो ने इंग्लैंड के राष्ट्रगान की प्रस्तुति दी। स्टेला एंड ग्रुप ने बर्मिंघम के इतिहास को दिखाया। इस दौरान मशहूर कॉमेडियन चार्ली चैपलिन के किरदार को भी दिखाया गया।
एक बड़े बुल रिंग के जरिए बर्मिंघम की संस्कृति को दिखाया गया। बुल रिंग को खौफ की नजर से बर्मिंघम में देखा जाता था। वह महिलाओं के साथ दोहरा व्यवहार होता था। धीरे-धीरे दुनिया के अलग-अलग हिस्सों से लोग बर्मिंघम में बस गए। यह शहर किसी एक संस्कृति का नहीं है। तकरीबन 1500 कलाकारों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम में हिस्सा लिया।
मलाला यूसूफजई भी पहुंचीं
बच्चों के अधिकारों की कार्यकर्ता पाकिस्तान मलाला यूसूफजई भी उद्घाटन समारोह में पहुंचीं। उन्होंने वहां भाषण दिया। उन्होंने कहा कि दुनिया के सभी बच्चों को उसके सपने को पूरा करने का अधिकार है। मलाला ने लड़कियों की पढ़ाई को लेकर आवाज उठाई।