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CG SCHOOL : स्किल इंडिया की आड़ में शोषण की शिकायत समग्र शिक्षा में…

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इम्पेक्ट न्यूज। रायपुर।

स्किल इंडिया कार्यक्रम के तहत शिक्षकों की नियुक्ति और वेतन में फर्जीवाड़ा की शिकायत प्रशासन से की गई है। आरोप है कि शिक्षकों की नियुक्ति के नाम पर संस्था द्वारा वेतन का भुगतान लगभग 60 प्रतिशत तक काटकर किया जा रहा है। साथ ही नियमित नियुक्ति के नाम पर बड़ी राशि वसूली की शिकायत कलेक्टर, पुलिस महानिरीक्षक, संचालक समग्र शिक्षा से की गई है।

शिकायती पत्र के अनुसार शिकायतकर्ताओं ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि उन्होंने लिखित पत्र में कलेक्टर रायपुर और संचालक समग्र शिक्षा को जानकारी दे दी है। शिकायत पत्र के मुताबिक राजू रात्रे री इंडिया स्कील आरडीके टॉवर, द्वितीय तल, दीवान हास्पिटल के पास, भाठागांव, रायपुर (छ.ग.) द्वारा भारी पैमाने पर गड़बड़ी की गई है। फिलहाल इस तरह की शिकायत केवल रायपुर जिले से आई है। यह संस्था राज्य सरकार / केन्द्र सरकार के द्वारा मान्यता प्राप्त है या नहीं इसकी जानकारी शिकायत कर्ताओं को नहीं है। पर अपने पत्र में शिकायतकर्ताओं ने बताया ​है कि समग्र शिक्षा विभाग से पंजीकृत एनजीओ है जिसका रजिस्ट्रेशन नंबर CIN.U80301CT2022PTC013238 है।

उक्त एनजीओ के माध्यम से योग्यता प्राप्त को समग्र शिक्षा विभाग के अंतर्गत शिक्षक के रूप में नियुक्त कर रिक्त पद स्कूलों में उक्त शिक्षकों को भेजकर शिक्षक के रूप में कार्य करवाया जाता रहा है। शासन से उक्त शिक्षक के कार्य के लिए राशि प्राप्त करता है। प्रति व्यक्ति मासिक मानदेय राशि 23 हजार 619 रूपये निर्धारित है।

शिकायत कर्ताओं का कहना है वे नियमित रूप से कार्य कर रहे हैं, किन्तु आज दिनांक 11.06.2024 तक कार्य किये हुये वेतनमान की 55-60% वेतन राशि काटकर प्रदान की जा रही है। पूरा वेतन राशि की मांग करने पर डराया, धमकाया जा रहा है। संस्था के संचालकों के द्वारा यह कहा जा रहा है कि इस संबंध में उन्हें ‘जहां शिकायत करना है, वहां कर दो, कहकर डराया धमकाया जा रहा है।’

यह भी जानकारी शिकायतकर्ताओं ने दी है कि उक्त संचालक के एजेंटो द्वारा नियुक्ति के समय रेग्युलर नियुक्ति हेतु नौकरी के नाम पर राशि ली गई है। जिसे वापस भी नहीं किया जा रहा है।

पीड़ितों का कहना है कि उन्हें परिवार सहित रोजी रोटी के लिए तरसना पड़ रहा है। कुछ शिक्षक बेघर हो गये हैं उन्हें मानसिक तौर पर प्रताड़ित होना पड़ रहा है। शिकायत कर्ताओं ने कहा है कि भविष्य में इस प्रकार अनेक लोगों के भविष्य के साथ खिलवाड़ न करें तथा एनजीओ री इंडिया की तत्काल रजिस्ट्रेशन नंबर को निरस्त कर आफिस को सील कर उचित कार्यवाही की जाए।

शिकायत कर्ताओं ने बताया ​कि इस संबंध में आज शाम कलेक्टर गौरव सिंह से मिलकर जानकारी दे दी है। इसके बाद वे समग्र शिक्षा में संचालक संजीव झा से मिले। समग्र शिक्षा संचालक ने शिकायत को गंभीरता से लेते हुए इस संबंध में जांच और कार्रवाई का आश्वासन दिया है।

पूरा मामला ऐसे समझें

इम्पेक्ट से चर्चा में शिकायतकर्ताओं ने बताया कि जिन शालाओं में वोकेशनल शिक्षकों की जरूरत होती है उसमें इस तरह की एनजीओ के माध्यम से शिक्षकों की व्यवस्था करवाई जाती है। विषय अनुसार शिक्षकों की जरूरत पूरी करने के लिए एनजीओ को भुगतान प्राप्त होता है और वह नियुक्त शिक्षकों को वेतन प्रदान करता है। पूरे प्रदेश में कई जिलों में इस तरह की एनजीओ के माध्यम से व्यवस्था संचालित की जा रही है। विशेषकर ऐसे मामलों में शिक्षित बेरोजगारों का शोषण भी होता है। इम्पेक्ट ने जब सवाल किया कि सरकारी शालाओं में बिना प्रशासनिक नियुक्ति के ऐसे कैसे शिक्षकों का उपयोग किया जाता है? इस पर बताया गया कि संबंधित एनजीओ के पदाधिकारी संबंधित शालाओं में प्राचार्य से मिलकर चर्चा करते हैं उसके बाद उनकी सेवाएं ले ली जाती है। वोकेशनल शिक्षकों के उपस्थिति पंजी में हस्ताक्षर भी होते हैं पर अब एनजीओ वेतने देने में आना कानी कर रहा है। आधा से ज्यादा राशि की कटौती कर भुगतान कर रहा है। कई जिलों में तो सात—आठ माह से से वेतन का भुगतान भी नहीं किया गया है।

जानकारी के अनुसार यह व्यवस्था छत्तीसगढ़ में वर्ष 2023 में लागू की गई। इसके तहत स्कूली शिक्षा में चल रही व्यावसायिक शिक्षा को ठेकेदार कंपनियों के मार्फत चलाया जा रहा है। इसे व्यवस्थागत स्वरूप में लाने के लिए शिक्षकों को नियमित करके सही दिशा-दशा देने की दरकार है। कक्षा नौवीं से 12वीं तक व्यावसायिक शिक्षा का पाठ्यक्रम पढ़कर निकलने वाले विद्यार्थियों के लिए भी उनके उच्च शिक्षा की व्यवस्था करना पड़ेगा। वर्तमान में व्यावसायिक शिक्षा पढ़कर निकलने वाले विद्यार्थियों को रोजगार तो मिल रहा है मगर उन्हें अपनी आगे की पढ़ाई संबंधित ट्रेड में ही पूरा करने के लिए पर्याप्त शिक्षण व्यवस्था का अभाव है। जैसे यदि किसी विद्यार्थी ने हेल्थ केयर में 12वीं उत्तीर्ण किया है तो उसके लिए आगे हेल्थ केयर में न केवल पढ़ाई, बल्कि अनुसंधान करने के लिए भी प्रावधान करना होगा।

इस संबंध में समग्र शिक्षा के संचालक संजीव झा से इम्पेक्ट ने चर्चा करने की कोशिश की पर वे उपलब्ध नहीं हो सके। उन्होंने काल रिसीव नहीं किया और ना ही वाट्सएप मैसेज पर रिप्लाई किया। इस मामले में संबंधित एनजीओ से संपर्क स्थापित नहीं हो सका। जिसके कारण उनका पक्ष नहीं लिया जा सका है। यदि वे अपना पक्ष देंगे तो उसे भी स्थान दिया जा सकेगा।

जानकारी के अनुसार छत्तीसगढ़ के 592 स्कूलों में कक्षा नौवीं से 12वीं तक के डेढ़ लाख से अधिक विद्यार्थियों के लिए व्यावसायिक पाठ्यक्रम चलाए जा रहे हैं। इनमें टेलीकम्यूनिके शन, बैंकिंग फाइनेंस, एनिमेशन और मल्टीमीडिया ट्रेड, आइटी, एग्रीकल्चर, आटोमोबाइल, रिटेल, ब्यूटी वेलनेस और इलेक्ट्रानिक्स एंड हार्डवेयर और हेल्थ केयर इत्यादि प्रमुख हैं। इन पाठ्यक्रमों को संचालित करने के लिए केंद्र सरकार की ओर से 36 करोड़ से अधिक बजट का प्रविधान किया गया है। प्रदेश में व्यावसायिक शिक्षा चलाने के लिए आइसेक्ट भोपाल, सेंटम नई दिल्ली, ग्राम तरंग भुवनेश्वर, लर्नेट स्किल नई दिल्ली, इंडस एडुट्रेन मुंबई, लक्ष्य जाब स्किल बैंगलुरु, स्किल ट्री गुरुग्राम और विद्यांता स्किल गुरुग्राम कंपनी को काम दिया गया है।

ठेकेदारी के चलते सरकार का पैसा कंपनियों को: केंद्र सरकार राज्य को 36 करोड़ रुपये सालाना दे रही है। प्रति शिक्षक को 28 हजार रुपये सैलरी देनी है। इसके अलावा प्रैक्टिकल के लिए फंड दिया जाना है मगर यहां प्रैक्टिकल के नाम पर राशि नहीं मिल पाती है। शिक्षकों को भी 18 हजार रुपये से लेकर 21 हजार रुपये तक मिलते हैं, बाकी कंपनियों के खाते में चला जाता है।

यह कहती है राष्ट्रीय शिक्षा नीति?

विशेषज्ञों का कहना है कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मसौदे में भी व्यावसायिक शिक्षा को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया है। इसके अनुसार वर्ष 2025 तक पचास फीसद छात्रों को इससे जोड़ने का लक्ष्य दिया गया है। मौजूदा समय में देश के कामकाजी लोगों में (19 से 24 आयु वर्ग) पांच फीसद से कम लोग व्यावसायिक शिक्षा प्राप्त हैं। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में व्यावसायिक शिक्षा को बढ़ावा देने की यह पहल उस समय की गई है, जब स्कूल-कालेजों से निकलने के बाद छात्रों को नौकरी के लिए भटकना पड़ता है। वजह इनके पास कोई व्यावसायिक हुनर का नहीं होना है।