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इंसानों के टेस्टिकल्स तक पहुंचा दुनिया का सबसे खतरनाक पदार्थ

नईदिल्ली

दुनिया का सबसे खतरनाक पदार्थ. जो न खत्म होता है. न गलता है. न सड़ता है. यह इंसनों के भ्रूण, प्राचीन पत्थर, नसों, ब्लू व्हेल्स, बच्चों की पॉटी में, अंटार्कटिका में, माउंट एवरेस्ट पर और समंदर की गहराई तक. ये है प्लास्टिक. अब यह इंसानों के टेस्टिकल्स यानी अंडकोष तक पहुंच चुका है. नई साइंटिफिक स्टडी में यह खुलासा हुआ है.

यूनिवर्सिटी ऑफ न्यू मेक्सिको के वैज्ञानिकों ने कुत्तों और इंसानों के टेस्टिकल्स के ऊतकों यानी टिश्यू की जांच की. जिसके अंदर माइक्रोप्लास्टिक मिले. यानी बेहद सूक्ष्म प्लास्टिक के अंश. कुत्तों की तुलना में इंसानों के टेस्टिकल्स में तीन गुना ज्यादा माइक्रोप्लास्टिक मिला है.

कुत्तों के हर एक ग्राम टेस्टिकल टिश्यू में 122.63 माइक्रोग्राम प्लास्टिक मिला, जबकि इंसानों में यह 329.44 माइक्रोग्राम था. अब आप ही सोचिए कि हमारे शरीर में प्लास्टिक प्रदूषण कितनी तेजी से फैल रहा है. यह हमारे शरीर के हर अंग में जा रहा है. इसकी वजह से पुरुषों की फर्टिलिटी पर असर पड़ सकता है.

अगली पीढ़ी के लिए दिक्कत की बात है

यह स्टडी करने वाले साइंटिस्ट शियाओझांग यू ने बताया कि शुरुआत में तो मुझे इस बात पर डाउट हो रहा था. लेकिन जब पूरी जांच की तो पता चला कि पुरुषों के प्रजनन अंग तक माइक्रोप्लास्टिक घुसपैठ कर चुके हैं. कुत्ते की जांच में हैरानी हुई. इंसानों की जांच की तो चिंतित हो गया, क्योंकि ये अगली पीढ़ी को नुकसान पहुंचाएगा.

12 तरह के प्लास्टिक में मिले हैं टेस्टिकल्स में

स्टडी के दौरान पता चला कि कुत्तों औऱ इंसानों के टेस्टिकल्स में 12 अलग-अलग प्रकार के माइक्रोप्लास्टिक मिले हैं. इसमें पॉलीइथीलीन (PE) सबसे ज्यादा है. इनसे ही प्लास्टिक बैग्स, प्लास्टिक की बोतलें बनती हैं. इनसे ही सबसे ज्यादा प्लास्टिक प्रदूषण होता है.

तेजी से कम हो रहा है स्पर्म काउंट

इंसानों के स्पर्म काउंट की गणना तो नहीं की गई लेकिन कुत्तों की हुई. कुत्तों के स्पर्म में काफी ज्यादा मात्रा में पॉलीविनाइल क्लोराइड (PVC) मिला है. यह प्लास्टिक का ही एक रूप है. इसकी वजह से कुत्तों के स्पर्म काउंट कम होता जा रहा है. पीवीसी का ज्यादा इस्तेमाल पूरी दुनिया में स्पर्म काउंट को कम कर रहा है. यह स्टडी हाल ही में टॉक्सिकोलॉजिकल साइंसेस में प्रकाशित हुई है.