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अमरावती से नवनीत राणा को उतारने के भाजपा के फैसले से कुछ सहयोगी नेता नाराज

अमरावती से नवनीत राणा को उतारने के भाजपा के फैसले से कुछ सहयोगी नेता नाराज

कोल्लम लोकसभा सीट पर भाजपा उम्मीदवार के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन, केरल पुलिस ने दर्ज किए दो मामले

गुजरात के आदिवासी नेता छोटू वसावा ने बेटे के भाजपा में शामिल होने के बाद बनाया नया संगठन

मुंबई
 अमरावती से निर्दलीय सांसद नवनीत राणा को पार्टी में शामिल करने और उन्हें चुनाव लड़ाने का भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का फैसला महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ गठबंधन से जुड़े कुछ नेताओं को रास नहीं आया है और उन्होंने इसे 'राजनीतिक आत्महत्या' करार दिया है।

नवनीत राणा को अपने समर्थकों के साथ नागपुर में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले के आवास पर सत्तारूढ़ भाजपा में शामिल हो गईं।

भाजपा की केंद्रीय चुनाव समिति ने अमरावती सीट से पार्टी प्रत्याशी के रूप में उनके नाम की घोषणा की और बावनकुले ने बताया कि वह चार अप्रैल को अपना नामांकन भरेंगी।

हालांकि, इस घटनाक्रम की न केवल कांग्रेस ने आलोचना की है, बल्कि सत्तारूढ़ गठबंधन के सहयोगी निर्दलीय विधायक बच्चू कडू और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना से जुड़े पूर्व सांसद आनंदराव अडसुल ने भी इस फैसले पर आपत्ति जताई है।

कडू ने राणा की उम्मीदवारी को 'लोकतंत्र का पतन' बताया और कहा कि उन्हें हराना होगा। अडसुल ने इस कदम को महायुति का 'राजनीतिक आत्महत्या' वाला कदम बताया और घोषणा की कि भले ही उनकी पार्टी उनका समर्थन नहीं करे, फिर भी वह राणा के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे।

नवनीत राणा ने 2019 के लोकसभा चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में अमरावती से अविभाजित शिवसेना के तत्कालीन सांसद अडसुल को हराया था। चुनाव के बाद उनके खिलाफ फर्जी जाति प्रमाणपत्र जमा करने के आरोप लगने लगे।

बंबई उच्च न्यायालय ने 8 जून, 2021 को कहा था कि राणा ने 'मोची' जाति का जो प्रमाणपत्र जमा किया है उसे फर्जी दस्तावेजों के जरिए धोखाधड़ी से हासिल किया गया।

अदालत ने उन पर दो लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था।

उच्चतम न्यायालय ने उनके जाति प्रमाणपत्र को रद्द करने के उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली उनकी याचिका पर पिछले महीने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

अमरावती संसदीय क्षेत्र के तहत आने वाली छह विधानसभा सीटों में से कांग्रेस ने 2019 के विधानसभा चुनाव में तेवसा और दरयापुर सीट पर जीत हासिल की थी, वहीं बच्चू कडू की प्रहार जनशक्ति पार्टी (पीजेपी) ने मेलघाट और आचलपुर संसदीय क्षेत्रों में जीत दर्ज की।

पीजेपी ने 2019 में उद्धव ठाकरे नीत महा विकास आघाडी (एमवीए) सरकार को समर्थन दिया था। हालांकि जून 2022 में शिवसेना के विभाजन के बाद वह एकनाथ शिंदे नीत खेमे के साथ चले गए।

कडू ने राणा की उम्मीदवारी का विरोध किया है। राणा के पति रवि राणा निर्दलीय विधायक हैं और वह 2019 के चुनाव में बडनेरा सीट से जीते थे। कांग्रेस की सुलभा खोडके ने अमरावती विधानसभा सीट पर जीत हासिल की थी।

खोडके ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीता था, लेकिन उनके पति राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष और प्रदेश के उप मुख्यमंत्री अजित पवार के करीबी हैं।

नवनीत राणा ने बृहस्पतिवार को संवाददाताओं से कहा, ''प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 400 से अधिक सीटें जीतने का आह्वान किया है। मैं चाहती हूं कि अमरावती सीट भी उनमें से एक हो।''

अडसुल और कडू के विरोध पर उन्होंने कहा, ''वे मुझसे बहुत वरिष्ठ हैं। मेरी इच्छा है कि राजग के सभी घटक साथ रहें और मेरी उम्मीदवारी का समर्थन करें।''

जाति प्रमाणपत्र संबंधी विवाद के बारे में पूछे जाने पर राणा ने कहा, ''एक महिला का संघर्ष उसके जन्म से पहले ही शुरू हो जाता है। मैंने पिछले 12-13 साल से क्षेत्र की सेवा की है। मेरा संघर्ष जारी रहेगा और मैं इसके लिए तैयार हूं।''

राणा ने तेलुगु फिल्मों में अभिनय के साथ अपना कॅरियर शुरू किया था। इसके बाद वह राजनीति में आ गईं और पहला लोकसभा चुनाव 2014 में राकांपा के टिकट पर लड़ा, लेकिन वह जीत नहीं पाईं।

हालांकि, 2019 के चुनाव में उन्होंने शिवसेना के निवर्तमान सांसद अडसुल को निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में शिकस्त दे दी।

 

कोल्लम लोकसभा सीट पर भाजपा उम्मीदवार के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन, केरल पुलिस ने दर्ज किए दो मामले

कोल्लम
 केरल की कोल्लम लोकसभा सीट से भाजपा के उम्मीदवार जी कृष्णकुमार जिले के एक शैक्षणिक संस्थान गए थे, लेकिन लोगों ने वहां उनके खिलाफ प्रदर्शन किया। पुलिस ने इस संबंध में दो मामले दर्ज किए हैं।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक सदस्य और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप) के कुछ कार्यकर्ताओं द्वारा दर्ज कराई गई दो शिकायतों के आधार पर मामले दर्ज किये गये हैं, जिनमें गैरकानूनी सभा, हथियारों के साथ दंगा करने और आरोपी व्यक्तियों द्वारा दोनों संगठनों के सदस्यों को चोट पहुंचाने का आरोप लगाया गया था।

पुलिस ने सात लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता के तहत गैरकानूनी तरीके से एकत्र होने, दंगा करने, हथियारों के साथ दंगा करने, गलत तरीके से रोकने, अश्लील शब्दों और गानों का इस्तेमाल और स्वेच्छा से चोट पहुंचाने के अपराध में मामला दर्ज किया है।

कुंडरा पुलिस थाने में यह मामला दर्ज किया गया है। थाने के एक अधिकारी ने बताया कि आरोपी व्यक्तियों को उनके बयान दर्ज करने के लिए बुलाया गया है।

अभिनेता से राजनेता बने कृष्णकुमार ने अपने खिलाफ हुए विरोध प्रदर्शन की कड़ी निंदा की। उस दौरान वह भाजपा और अभाविप के कार्यकर्ताओं के साथ यहां चंदनथोप में औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान के परिसर का दौरा करने के लिए गए थे।

विभिन्न टीवी चैनलों पर प्रसारित दृश्यों में यह दिखाया जा रहा है कि जैसे ही कृष्णकुमार संस्थान के परिसर में पहुंचे, स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) के कार्यकर्ताओं ने भाजपा के खिलाफ नारे लगाना शुरू कर दिया। इसके बाद वामपंथी छात्रों और अभाविप कार्यकर्ताओं के बीच झड़प हो गई।

एसएफआई कार्यकर्ताओं के कृत्य की निंदा करते हुए कृष्णकुमार ने संवाददाताओं से कहा कि उन्होंने जो किया वह ‘असली फासीवाद’ था।

उन्होंने कहा कि जब उनके प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार, वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) के एम. मुकेश और संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (यूडीएफ) के एन.के. प्रेमचंद्रन ने परिसर का दौरा किया था तब कोई विरोध प्रदर्शन नहीं हुआ था। ''लेकिन जब मैं वहां दौरे पर गया तो एसएफआई के कार्यकर्ताओं ने नारे लगाते हुए कहा, ‘नरेंद्र मोदी के उम्मीदवार का यहां कोई स्वागत नहीं’ ।''

एसएफआई ने दावा किया कि उन्होंने कृष्णकुमार का विरोध नहीं किया बल्कि छात्र संघ के पुरस्कार वितरण कार्यक्रम का उद्घाटन करने के लिए अभाविप द्वारा उन्हें बुलाए जाने का विरोध किया है।

वामपंथी छात्र संगठन ने अभाविप पर दो समूहों के बीच हुए समझौते का उल्लंघन करने का आरोप लगाया, जिनके पास छात्र संघ में तीन-तीन सीटें हैं।

एक एसएफआई कार्यकर्ता ने एक समाचार चैनल को बताया, ”एसएफआई और अभाविप दोनों ने मंगलवार को फैसला किया कि पुरस्कार वितरण समारोह की अध्यक्षता संस्थान के प्राचार्य करेंगे लेकिन अभाविप ने प्राचार्य की जगह कृष्णकुमार को बुलाकर इस समझौते का उल्लंघन किया। हम इसका विरोध कर रहे थे।”

 

गुजरात के आदिवासी नेता छोटू वसावा ने बेटे के भाजपा में शामिल होने के बाद बनाया नया संगठन

अहमदाबाद,
 गुजरात के प्रमुख आदिवासी नेता छोटू वसावा ने कहा कि उन्होंने देश की आदिवासी आबादी के अधिकारों के लिए लड़ने के उद्देश्य से एक नया संगठन बनाया है।कुछ दिन पहले ही छोटू वसावा के पुत्र और भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) के अध्यक्ष महेश वसावा सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो चुके हैं। बीटीपी संस्थापक ने बताया कि उनका नया संगठन राजनीतिक नहीं बल्कि एक सामाजिक संगठन है, जिसका नाम भारत आदिवासी संविधान सेना (बीएएसएस) है।

उन्होंने कहा कि वह जल्द ही घोषणा करेंगे कि वह किस बैनर के तले आगामी लोकसभा का चुनाव लड़ेंगे।

अपने बेटे महेश वसावा के भाजपा में शामिल होने पर अप्रसन्नता जताते हुए उन्होंने कहा कि समुदाय उन लोगों को कभी माफ नहीं करेगा जिन्होंने पैसे और सत्ता के लालच में उसे धोखा दिया है।

वसावा के सहयोगी अंबालाल जाधव ने कहा कि भारत आदिवासी पार्टी के नेता शुक्रवार को वसावा से मुलाकात कर लोकसभा चुनाव पर आगे की कार्रवाई के बारे में चर्चा करेंगे। बीएपी ने साल 2023 में विधानसभा चुनाव में राजस्थान में तीन और मध्य प्रदेश में एक सीट जीती थी।

उन्होंने कहा, ”बीएपी के राजस्थान से तीन विधायक और मध्य प्रदेश से एक सांसद शुक्रवार को छोटू वसावा से मुलाकात करेंगे। हम चुनाव लड़ने पर भी फैसला करेंगे।”

वसावा के छोटे बेटे दिलीप वसावा बीएपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं।

बीटीपी की स्थापना वसावा ने की थी और उनके बड़े बेटे महेश वसावा इसका नेतृत्व करते थे, लेकिन वह 11 मार्च को भाजपा में शामिल हो गए तथा पार्टी का भाजपा में विलय कर दिया।

छोटू वसावा ने 2004 और 2009 में जनता दल (यूनाइटेड) के उम्मीदवार के रूप में और 2014 में बीटीपी उम्मीदवार के रूप में भरूच सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा था। उन्होंने कहा कि उनके नए संगठन बीएएसएस का गठन आदिवासी आबादी के हितों की रक्षा के लिए और उनके खिलाफ काम करने वाली ताकतों का मुकाबला करने के लिए किया गया है।