GPM: महिला आयोग ने उत्पीड़न से संबंधित 15 मामलों पर की सुनवाई, कलेक्टर को दिए निर्देश
गौरेला-पेंड्रा-मरवाही.
छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की न्याय पीठ द्वारा आज आदिजाति कल्याण सभाकक्ष दत्तात्रेय, गौरेला में महिला उत्पीड़न से संबंधित 15 प्रकरणों की सुनवाई की। आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक ने पक्षकारों को समक्ष प्रकरणों को सुना और आपसी समझौता के दो प्रकरणों पर समझौता पत्र पर दोनों पक्ष से हस्ताक्षर कराकर प्रकरण नस्तीबद्ध किया गया। वहीं सुनवाई के दौरान आयोग की सदस्य डॉ. अर्चना उपाध्याय, अपर कलेक्टर नम्रता आनंद डोंगरे,उप पुलिस अधीक्षक श्मीरा अग्रवाल भी उपस्थित थी।
राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक की अध्यक्षता में जिला स्तर पर चौथी सुनवाई हुई। उन्होंने गाली-गलौज, मारपीट, मानसिक प्रताड़ना, लैंगिक उत्पीड़न, वित्तीय लेनदेन आदि से संबंधित प्रकरणों की और कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न कानून 2013 को प्रभावी रूप से लागू करने जिला प्रशासन को तीन माह का समय दिया है।इसी तरह जिले में आंतरिक परिवाद समिति का गठन करने सुनवाई में उपस्थित अपर कलेक्टर को निर्देश दिए। वहीं एक अन्य प्रकरण में लोक निर्माण विभाग में केयरटेकर के पद पर कार्यरत आवेदिका और दैनिक वेतन भोगी कम्प्यूटर आपरेटर अनावेदक का रहा। आवेदिका ने अनावेदक के खिलाफ महिला उत्पीड़न की शिकायत दर्ज कराई थी। यह मामला आंतरिक परिवाद समिति की जांच के विषय है। दोनों पक्षों को विस्तार से सुनने पर पता चला कि अनावेदक ने भी विभाग में शिकायत प्रस्तुत किया है। लेकिन दोनों पक्षों पर कोई कार्यवाही नहीं हुई है। दोनों पक्ष पीडब्लूडी विभाग के ईएनसी कार्यालय के अधीनस्थ कर्मचारी है और अब तक कार्यालय में आंतरिक परिवार समिति का गठन नहीं हुआ है। आयोग ने मामला की गंभीरता को देखते हुए। इस मामला में आयोग ने अपर कलेक्टर को यह जिम्मेदारी दी।
जिला मुख्यालय में उपरोक्त कानून के तहत जिला परिवाद समिति का गठन तत्काल कराया जाये। यह परिवाद समिति जहां पर 10 या उससे अधिक कर्मचारियों के शासकीय एवं अशासकीय सभी संस्थानों पर कराया जाना है। जिसके लिए अपर कलेक्टर को दो माह के भीतर परिवाद समिति का गठन कर आयोग को सूचना देने लिए कहा गया। इस प्रकरण में तीन माह के भीतर जांच करा कर प्रतिवेदन आयोग को प्रेषित करने के लिए कहा गया। अन्य प्रकरण में आवेदिका का पति आठ माह पहले दूसरी पत्नी बना ली। उसे हिस्सा नहीं दे रहा है। आवेदिका को पता नहीं है कि इसका कितना जमीन है और प्रकरण न्यायालय से संपत्ति दिलाने के योग्य होने से आयोग द्वारा नस्तीबद्ध किया गया।