कमलनाथ के बीजेपी में जाने पर ‘ब्रेक’, एमपी से नहीं मिला ग्रीन सिग्नल?
भोपाल
कमलनाथ के कांग्रेस पार्टी से जाने को लेकर अटकलें लगाई जा रही हैं, लेकिन उनके विश्वासपात्र सज्जन सिंह वर्मा ने इन अफवाहों को खारिज कर दिया है। वर्मा ने कहा कि नाथ वर्तमान में मध्य प्रदेश में चुनाव उम्मीदवारों के चयन पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं और उनका भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में जाने का कोई इरादा नहीं है। कथित तौर पर कहा जा रहा है कि एमपी बीजेपी के नेताओं से हरी झंडी नहीं मिली है। वहीं, कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व भी कमलनाथ को मनाने में एक्टिव हो गई है।
दरअसल, कमलनाथ के साथ एक बैठक के बाद पत्रकारों से बात करते हुए वर्मा ने खुलासा किया कि वरिष्ठ नेता आगामी लोकसभा चुनावों के लिए कांग्रेस पार्टी को मजबूत करने के लिए मध्य प्रदेश की 29 सीटों पर जातिगत समीकरणों का विश्लेषण कर रहे थे। वर्मा के अनुसार, नाथ ने शनिवार को अपने दल बदलने के बारे में मीडिया के सवालों का खंडन नहीं किया क्योंकि यह मीडिया द्वारा बनाया गया सवाल था।
कमलनाथ के हवाले से वर्मा ने कहा, 'मैं नेहरू-गांधी परिवार से जुड़ा हूं और हमारे पारिवारिक संबंध हैं, राजनीतिक समीकरण नहीं।' नाथ की प्रतिक्रिया उनके कथित दलबदल की अटकलों पर विराम लग गया है।
इसके बावजूद, कुछ निजी बातचीत हुई हैं, जहां नाथ ने कांग्रेस पार्टी के भीतर मौजूदा स्थिति पर अपना असंतोष व्यक्त किया है। भाजपा में शामिल होने की संभावना से इनकार नहीं किया है। उनका मानना है कि मध्य प्रदेश विधानसभा चुनावों के निराशाजनक परिणामों के बाद राहुल गांधी ने उन्हें नजरअंदाज कर दिया है। नाथ ने यह भी दावा किया है कि राहुल ने चुनावों के बाद पार्टी विधायकों के साथ एक समूह तस्वीर लेने से इनकार कर दिया, जिससे उन्हें शर्मिंदगी हुई।
हालांकि, गौर करने वाली बात यह है कि नाथ ने मध्य प्रदेश में राज्यसभा चुनावों के लिए उम्मीदवारों के चयन के दौरान राहुल के साथ व्यापक चर्चा की, जिसके परिणामस्वरूप अशोक सिंह को नामांकित किया गया।
मध्य प्रदेश कांग्रेस के नेता नाथ को पार्टी में बनाए रखने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। दूसरी ओर, भाजपा सूत्रों ने कहा है कि उन्होंने अभी तक उच्चतम स्तर पर नाथ को शामिल करने के मुद्दे पर चर्चा नहीं की है। हालांकि बीजेपी अधिवेशन की वजह से कमलनाथ की मुलाकात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से नहीं हुई है। शायद यही वजह है कि कुछ दिनों के लिए इन अटकलों पर विराम लग गया है।
बेटे और बहू को भेज सकते हैं बीजेपी में
ऐसी भी अटकलें हैं कि अगर नाथ भाजपा में शामिल नहीं होते हैं, तो वे अपने बेटे नकुल नाथ को पार्टी में शामिल करने के लिए जोर दे सकते हैं। हालांकि, यह संभावित परिणाम अभी भी कांग्रेस पार्टी के लिए हानिकारक होगा क्योंकि नाथ की अपनी पारंपरिक सीट छिंदवाड़ा में पकड़ है। आगामी लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए उनका समर्थन महत्वपूर्ण होगा। 2019 के चुनावों में छिंदवाड़ा मध्य प्रदेश की एकमात्र सीट थी जिसे कांग्रेस ने जीता था। इसलिए, नाथ का जाना पार्टी के लिए एक बड़ा झटका होगा, खासकर महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण के बाहर निकलने के बाद।
आलोक शर्मा पर पार्टी ने नहीं की कार्रवाई
वहीं, विधानसभा चुनाव में हार के बाद कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता आलोक शर्मा ने कमलनाथ पर कई तरह के सवाल उठाए थे। उन्होंने बीजेपी के साथ सांठगांठ का आरोप भी लगाया था। कमलनाथ और उनके लोगों ने इस पर ऐतराज जताया है। पार्टी ने खानापूर्ति के लिए उन्हें नोटिस जारी किया है। साथ ही दो दिनों के अंदर जवाब मांगा था। लेकिन उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। इससे भी कमलनाथ आहत बताए जाते हैं।
प्रदेश बीजेपी से हरी झंडी नहीं
इसके साथ ही एमपी बीजेपी के प्रदेश स्तरीय नेताओं ने ग्रीन सिग्नल नहीं मिला था। सीनियर मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि कमलनाथ जैसे नेताओं के लिए बीजेपी के दरवाजें बंद हैं। अगर दिल्ली कोई विचार करती है तो हम कुछ नहीं बोल सकते हैं। मध्य प्रदेश में हमलोगों ने निर्णय लिया है कि हम उन्हें बीजेपी में नहीं आने देंगे।
इसके साथ ही दिल्ली बीजेपी के नेता तेंजिदर बगा ने भी कहा था कि वह बीजेपी में नहीं आ रहे हैं। इसके साथ ही एमपी बीजेपी के नेताओं को डर है कि कमलनाथ के आने के बाद महाकौशल इलाके के पुराने नेताओं का क्या होगा। पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया की वजह ग्वालियर-चंबल में बीजेपी को बगावत झेलनी पड़ी है। साथ ही पुराने भाजपाइयों के करियर पर लॉक लग गया है। इसकी वजह से एमपी के स्थानीय बीजेपी नेता तैयार नहीं हैं।
इस बीच, सोशल मीडिया पर कांग्रेस के पंजाब सांसद मनीष तिवारी के भाजपा के साथ बातचीत करने की खबरें चर्चा में हैं। इन अटकलों के जवाब में, तिवारी ने हाल ही में बजट सत्र के दौरान लोकसभा में दिया अपना भाषण ट्वीट किया, जिसमें उन्होंने मोदी सरकार के आर्थिक प्रदर्शन की आलोचना की। तिवारी के ट्वीट से संकेत मिलता है कि वह बिना किसी स्पष्टीकरण के अपना पिछला भाषण दोबारा पोस्ट कर रहे हैं।