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जैन मुनिश्री प्रमाण सागर महाराज ने गुणायतन से लेकर भावना योग पर की चर्चा, हर सवाल के दिए जवाब

जशपुर.

छत्तीसगढ़ सरकार के राजकीय अतिथि जैन मुनिश्री 108 प्रमाणसागर महाराज इन दिनों अपने गुरु आचार्य विद्यासागर महाराज से मिलने को डोंगरगढ़ की यात्रा पर हैं। वे जैन तीर्थ सम्मेद शिखर से पैदल छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले पहुंचे हैं जहां गुरु आज्ञा मिलने के बाद कुनकुरी जैन मंदिर से पत्थलगांव की ओर क्षुल्लक आदरसागर महाराज के साथ विहार कर रहे हैं। मुनिश्री 108 प्रमाणसागर महाराज ने विभिन्न विषयों पर बात की और सवालों के जवाब दिए।
 

सवाल : भावना योग के बारे में काफी सुन रहा हूं, आप बताएं ये किस तरह का योग है?
जवाब : भावना योग तन को स्वस्थ, मन को मस्त और चेतन को प्रशस्त करने का एक अभिनव प्रयोग है। इसमें भावनाओं के परिवर्तन से तन-मन और चेतन में परिवर्तन की बात करते हैं। वर्षों से लोग इसका लाभ ले रहे हैं और बहुत बड़ा बदलाव उनके जीवन में आया है।

सवाल : गुणायतन की खूब चर्चा हो रही है, यह क्या है?
जवाब :
गुणायतन एक बड़ा उत्तम प्रकल्प है जहां एक पंचायतन शैली का मंदिर बन रहा है।  साथ ही आधुनिक टेक्नोलॉजी की सहायता से एक सॉरिंग राइड का निर्माण हो रहा है यात्रा आत्मा से परमात्मा की यह 4DX 270 डिग्री की स्क्रीन की एक बहुत बड़ी मूवी बनने जा रही है जो पूरे जीवन के परिवर्तन का कारण बनेगी। हर व्यक्ति के अंदर एक ट्रांसफर्मेशन उसके माध्यम से होगा। बच्चा-बच्चा धर्म चेंबर में गुजरेगा। पोथियों की बातों को लोग पलों में जान सकेंगे। लोग जान सकेंगे कि हमारा जीवन क्या है और कैसा होना चाहिए। यह एक उपक्रम है जो टेक्नोलॉजी का उपयोग करके वहां (सम्मेद शिखरजी में) प्रदर्शित किया जाएगा। गुणायतन का मतलब ही है गुणों का आयतन जहां गुणों का आधार हो, गुणों का आश्रय हो गुणों का ग्रहण हो, गुणायतन है। उसका लक्ष्य पूरे समाज का गुणात्मक परिवर्तन करना है ।

सवाल – जैन धर्म हिंदू धर्म से कितना अलग है?
जवाब- हिंदू धर्म कोई धर्म नहीं है वह एक संस्कृति है, हिंदुस्तान में जो हैं सब हिंदू हैं मैं तो मानता हूं जो हिंसा से दूर हैं सब हिंदू हैं। इस अर्थ में जैन भी हिंदू हैं। जैन एक धर्म है। जैन धर्म के अपने सिद्धांत हैं उसकी अपनी परंपराएं हैं, सांस्कृतिक परंपराएं हैं, उनकी अपनी व्यवस्थाएं हैं , उसी के अनुसार हम लोग फॉलो (अनुसरण) करते हैं हम अल्पसंख्यक हो गए। हमारा दुर्भाग्य है कभी तो जैन लोग भारत में बहु संख्यक थे लेकिन अल्पसंख्यक होने का मतलब नहीं कि जैन अहिंदू हो गए हर जैन हिंदू है, हिंदुस्तानी है।

सवाल: छत्तीसगढ़ समेत देश में धर्मांतरण पर बखेड़ा खड़ा किया जाता है। क्या यह देशहित में सही है?
जवाब : धर्मपरिवर्तन पर मेरा विश्वास नहीं है। हृदयपरिवर्तन पर मेरा विश्वास है। हर व्यक्ति के हृदय को बदलें जिसके हृदय में मानवीय मूल्यों के प्रति आस्था हो। आज के समय में मानवता को सबसे बड़ा धर्म मानकर चलना चाहिए। इसकी आवश्यकता है।

सवाल : देश को एकता के सूत्र में बांधने का कोई मंत्र है? भारत की वर्तमान स्थिति कैसी है?
जवाब: मैं तो यही कहूंगा कि सभी मानवीय मूल्यों को आत्मसात करके चलें तो देश अपने आप एकता के सूत्र में बंध जाएगा।अभी देश का उदयकाल चल रहा है।हम रामराज्य की ओर बढ़ रहे हैं।हम चाहते हैं कि देश राममय हो।

सवाल – देश तो राममय हो गया है,क्या देश सही दिशा में बढ़ रहा है ?
जवाब : राम हमारे संस्कृति के आदर्श हैं देश राम में हो गया है तो इससे अच्छी बात क्या है, रामराज्य की कल्पना तो सदियों से की जाती रही है लेकिन हम बैनर और पोस्टर में ही राममय नहीं बनें,हम हृदय से राममय हो जाएं, यह देश का सबसे बड़ा सौभाग्य होगा । हम उसी के प्रयास में हैं कि हर व्यक्ति का हृदय राममय हो जाए और जिस दिन व्यक्ति व्यक्ति का हृदय राममय हो जाएगा,उस दिन संसार का काया पलट हो जाएगा। हम उसी की तैयारी में हैं। छत्तीसगढ़ पहुंचने पर उन्होंने कहा कि राम के ननिहाल में अच्छा ही है अभी तो मैं बिल्कुल प्रवेश ही किया हूं  आगे बढ़ने के बाद आभास होगा। सभी को आशीर्वाद।