विटामिन डी की कमी: शरीर की सुरक्षा में बड़ी खतरा
धूप सेंकने से शरीर में जहां पर्याप्त मात्रा में विटामिन-D पहुंचता है, वहीं शरीर पर मौजूद बैक्टीरिया और वायरस का भी सफाया होता है। इसलिए कई डॉक्टर विटामिन-D को डॉक्टर विटामिन भी कहते हैं। आइए इसके बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें जानते हैं।
दो तरह का होता है विटामिन-D
विटामिन-D2 सब्ज़ियों, फलों में ब्रोकली, बादाम, दूध, अंडा, मशरूम में होता है।
विटामिन-D3 दवा के रूप में – लिक्विड, जैल, मीठे सिरप, गोली, ऑयल, मिल्क, इंजेक्शन से ले सकते हैं।
हर हफ्ते चाहिए इतना विटामिन डी
सप्लिमेंट के तौर पर एक एडल्ट को 60,000 IU विटामिन-D की मात्रा हर हफ्ते लेनी होती है। इसे लगातार 8 हफ्तों तक यानी 2 महीनों तक लेते हैं। इसके बाद महीने में एक बार 60,000 IU दिया जाता है। विटामिन-D सप्लिमेंट के साथ कुछ सैशे या गोलियों में कैल्शियम सिट्रेट भी होता है। लेकिन आमतौर पर हमारा कैल्शियम कम नहीं होता, विटामिन-D ही कम होता है।
विटामिन डी की कमी के लक्षण
हर 6 महीने में करवाएं इसका टेस्ट
हर 6 महीने में विटामिन-D का टेस्ट करवाना चाहिए। खून में इसकी मात्रा 30 नैनोग्राम से ऊपर और 100 से कम होनी चाहिए। 18 साल तक के बच्चों को रोज़ाना 800 से 1000 IU विटामिन-D की ज़रूरत होती है। विटामिन-D शरीर की इम्यूनिटी बढ़ाता है। गर्मियों में सुबह 7 से 10 बजे तक धूप में बैठें। वहीं, सर्दियों में सुबह 11 से 3 बजे तक धूप लें।
बच्चों की इम्यूनिटी के लिए धूप
बच्चे के बेहतर विकास और बॉडी की इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए विटामिन-D की खूब ज़रूरत होती है। पर्याप्त विटामिन-D लेने पर ही उनकी हड्डियां मज़बूत होंगी। वैसे, बात चाहे नवजात की हो या फिर किशोर की, अगर विटामिन-D का स्तर सही रखना है तो उन्हें कम से कम 1 घंटा रोज धूप में रहना या खेलना ज़रूर चाहिए।
इन बीमारियों में भी कमी
कई बीमारियों में देखा गया है कि मरीज़ में विटामिन-D की कमी थी। इसके लिए अब तक किसी और फैक्टर को ज़िम्मेदार माना जाता था। जब इन बीमारियों से परेशान लोगों में विटामिन-D की कमी को पूरा किया गया तो इन बीमारियों के इलाज में काफी मदद मिली। ऐसी कुछ बीमारियां हैं:
इम्यून सिस्टम कमज़ोर होना
ऑस्टियोपोरोसिस (हड्डियों का कमज़ोर होना)
ओस्टियोपेनिया (लो बोन डेंसिटी की समस्या)
ओस्टियोमलेशिया (हड्डी का मुलायम हो जाना)
अर्थराइटिस (जोड़ों में दर्द)
स्किन की बीमारी, डायबीटीज़ थाइरॉयड-टीबी, कैंसर, डिप्रेशन
नर्व्स और मांसपेशी संबंधी परेशानी: पार्किंसंस आदि।