सांसद रतन लाल कटारिया का निधन… पीजीआई में तोड़ा दम, पिछले एक महीने से थे बीमार
इम्पैक्ट डेस्क.
अंबाला से सांसद रतन लाल कटारिया का गुरुवार अलसुबह निधन हो गया। पीजीआई चंडीगढ़ में दम तोड़ने के बाद उनके शव को पंचकूला लाया गया। दोपहर को मनीमाजरा में उनका संस्कार होगा। बता दें कि पिछले एक माह से रतन लाल कटारिया के शरीर में इन्फेक्शन था और चंडीगढ़ पीजीआई में भर्ती थे। कुछ दिन से बुखार भी था।
बाद केयूके से राजनीतिशास्त्र में एमए किया तथा फिर वहीं से एलएलबी की डिग्री प्राप्त की। रतन लाल कटारिया को राष्ट्रगीत गाने, कविताएं लिखने, शायरी करने और अच्छी पुस्तकों को पढ़ने का शौक था। पिता ज्योति राम और माता परिवारी देवी की संतान रतन लाल कटारिया के परिवार में पत्नी बंतो कटारिया के अलावा एक बेटा तथा दो बेटियां हैं।
विभिन्न पदों पर रहे
रतन लाल कटारिया को 1980 में भाजयुमो का प्रदेश उपाध्यक्ष बनाया गया था। इसके बाद वह पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता, प्रदेश मंत्री, अनुसूचित जाति मोर्चा के अखिल भारतीय महामंत्री, भाजपा के राष्ट्रीय मंत्री तक के सफर के बाद उन्हें जून 2001 से सितंबर 2003 तक भाजपा का प्रदेशाध्यक्ष बनाया गया। 1987-1990 में प्रदेश सरकार के संसदीय सचिव एवं हरिजन कल्याण निगम के चेयरमैन बने। जून 1997 से जून 1999 तक वह हरियाणा वेयर हाउसिंग के चेयरमैन रहे। 6 अक्टूबर, 1999 को रतन लाल कटारिया अंबाला से सांसद निर्वाचित हुए। हालांकि इसी सीट से राज्यसभा सांसद कुमारी सैलजा से वह लगातार दो बार हार गर थे, लेकिन वर्ष 2014 के चुनाव में उन्होंने जीत का रिकार्ड बनाया था। 2014 में उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी राजकुमार वाल्मीकि को 3,40074 वोटों से हराया। इस जीत के साथ वे सांसद बन गये।
सीएम मनोहर लाल ने जताया शोक
सीएम मनोहर लाल ने ट्वीट कर कहा ‘पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री एवं अंबाला से सांसद रतन लाल कटारिया के निधन से मन अत्यंत दुःखी है। समाज के हित और हरियाणा के लोगों की उन्नति के लिए उन्होंने हमेशा संसद में आवाज़ उठाई। उनका चले जाना राजनीति के लिए एक अपूरणीय क्षति है। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें और परिवार को इस कठिन घड़ी में संबल प्रदान करें’।
पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री एवं अंबाला से सांसद श्री रतन लाल कटारिया जी के निधन से मन अत्यंत दुःखी है।
समाज के हित और हरियाणा के लोगों की उन्नति के लिए उन्होंने हमेशा संसद में आवाज़ उठाई।
उनका चले जाना राजनीति के लिए एक अपूरणीय क्षति है।