अन्तराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के अवसर पर स्कूल शिक्षा मंत्री द्वारा विभिन्न कार्यक्रमों की शुरुआत
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इम्पेक्ट न्यूज़। रायपुर।
अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के अवसर पर स्कूल शिक्षा मंत्री द्वारा आदिवासी बच्चों की शिक्षा में सुधार हेतु विभिन्न कार्यक्रमों की औपचारिक शुरुआत की गई। जिसमें जिला एवं विकासखंड स्तरीय अधिकारियों के लिए आन-डिमांड बहु-भाषा शिक्षण पर संवेदनशील करने हेतु आनलाइन कोर्स का शुभारंभ किया गया।
राज्य में भाषाई सर्वे के आधार पर बच्चों को बहु-भाषा शिक्षण देने हेतु शिक्षकों के लिए पठन सामग्री का विमोचन किया गया। बच्चों को उनकी स्थानीय भाषा में कहानियाँ सुनाने हेतु पोडकास्ट का उपयोग करने शिक्षकों का आन-डिमांड क्षमता संवर्धन कार्यक्रम की शुरुआत की गई।
राज्य में मुख्यमंत्री की घोषणा एवं शिक्षामंत्री द्वारा इस कार्य की निरंतर समीक्षा के आधार पर मातृभाषा शिक्षण पर विभिन्न कार्य प्रारंभ किए गए हैं। जिसका लाभ आदिवासी अंचल के बच्चों को मिल रहा है. छत्तीसगढ़ पहला राज्य है जहां लेंगुएज लर्निंग फाउंडेशन एवं यूनिसेफ के सहयोग से भाषाई सर्वेक्षण का कार्य भी पूरा किया गया है.
ऐसे में अब जब हमारी कक्षाओं में बच्चों को सीखने में स्थानीय भाषा का उपयोग किया जाना है, तो हमारे स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों के लिए इस मुद्दे पर संवेदनशील बनाने हेतु एक आनलाइन कोर्स का शुभारंभ आज इस अवसर पर किया गया. शिक्षामंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंग टेकाम द्वारा सभी अधिकारियों से अपील की है कि वे इस कोर्स को अवश्य करें एवं शिक्षकों को स्थानीय भाषा में सीखने में सहयोग देवें.
उन्होंने कहा छत्तीसगढ़ पहला राज्य है जिसने बच्चों द्वारा बोली जाने वाली भाषा पर आधारित भाषाई सर्वे का आयोजन किया. इस रिपोर्ट को समझने एवं स्कूलों में शिक्षकों को बहुभाषा संबंधी विभिन्न मुद्दों पर जानकारी देते हुए अपने शिक्षण विधियों में आवश्यक सुधार लाने हेतु समग्र शिक्षा की ओर से एक छोटी सी सन्दर्भ सामग्री तैयार की गयी है. यह सामग्री प्राथमिक शिक्षकों को उपलब्ध करवाई जानी है. आज इस अवसर पर शिक्षामंत्री द्वारा इस पठन सामग्री का विमोचन किया गया.
राज्य में वर्तमान में शिक्षकों की एक टीम द्वारा प्रतिमाह चर्चा पत्र को पोडकास्ट के रूप में प्रकाशित किया जाता है जिसे शिक्षक बड़ी रूचि से सुनते हैं और उसमें कही गयी बातों को अपनी अपनी कक्षा में लागू करने का प्रयास करते हैं. इसी कड़ी में कुछ विशेषज्ञ शिक्षकों, कुछ स्थानीय भाषा के जानकार शिक्षकों एवं कुछ बाह्य संस्थाएं जो इस कार्य में सहयोग देना चाहते हों, उनके साथ मिलकर विभिन्न स्थानीय कहानियों का संकलन, उन पर पोडकास्ट बनाना, बाद में चयनित कुछ कहानियों का प्रिंट वर्जन भी साझा करना जैसे कार्य इस टीम के साथ मिलकर किए जाएंगे.
इस कार्य के लिए इच्छुक लोगों की टीम सोशियल मीडिया के माध्यम से बनाया जाना है. इन पोडकास्ट का स्कूलों में शिक्षकों द्वारा अपने मोबाइल, प्राथमिक शालाओं में उपलब्ध स्पीकर आदि का उपयोग कर इस्तेमाल में लाया जा सकेगा. इन पोडकास्ट को सुनकर बच्चे अपने संस्कृति, इतिहास एवं परंपराओं को जानकार आत्मगौरवान्वित हो सकेंगे.
पोडकास्ट निर्माण में तकनीकी समर्थन, इनके कक्षाओं में उपयोग हेतु उपकरण की आवश्यकता के आधार पर मांग एवं समर्थन हेतु “विद्यान्ज्ली” पोर्टल पर भी इसे अपलोड किया जाना प्रस्तावित है.
राज्य के स्कूली शिक्षा मंत्री डॉ प्रेमसाय सिंग टेकाम ने स्थानीय भाषा के जानकार शिक्षकों, समुदाय के सक्रिय बड़े-बुजुर्गो, तकनीकी रूप से सक्षम शिक्षकों को पोडकास्ट तैयार करने में सहयोग देने एवं सभी अधिकारियों को इस आनलाइन कोर्स को अच्छे से गंभीरतापूर्वक करने की अपील की है.