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गूगल, जस्‍ट डायल पर मिले मोबाइल नंबर फ्रॉड के हो सकते हैं, कैसे बरतें सावधानी…

इम्पैक्ट डेस्क.

Online Fraud: साइबर क्राइम के मामले दिन ब दिन बढ़ते जा रहे हैं। अब गूगल और जस्‍ट डायल पर मिले नंबर भी फ्रॉड के हो सकते हैं इसलिए जरूरी है कि ऐसे मामलों से सबक लेते हए आप पूरी सावधानी बरतें। जरा सी चूक से साइबर ठगी का शिकार बन जाने का ताजा मामला प्रयागराज से सामने आया है जहां एक युवक गूगल पर आरटीओ का नंबर तलाश कर कॉल करने के बाद ठगी का शिकार हो गया। 

सोनभद्र का रहने वाला धर्मेद्र पटेल कीडगंज में किराए पर रहता है। उसने कीडगंज थाने में एफआईआर दर्ज कराई है कि उसने गूगल पर आरटीओ का हेल्प लाइन नंबर सर्च किया। दिए गए नंबर पर धर्मेंद्र ने कॉल किया तो दूसरी तरफ से शातिर ने खुद को आरटीओ कर्मचारी बताते हुए धर्मेंद्र को झांसे में ले लिया। गाड़ी का फिटनेस टेस्ट कराने के लिए साइबर ठग ने वाहन का आरसी पेपर मांगा। इसके बाद फीस के नाम पर 12 हजार रुपये जमा करा लिया। फिर एक दूसरे व्यक्ति ने धर्मेन्‍द्र से सत्यापन के नाम पर सात हजार मांगे। इसके बाद धर्मेद्र को कार्यालय बुलाया गया। धर्मेंद्र जब आरटीओ कार्यालय पहुंचा तो उसे जोर का झटका लगा। उसने गूगल पर मिले नंबर पर बात करने की कोशिश की लेकिन शातिरों का मोबाइल बंद मिला। ठगी के शिकार हुए धर्मेंद्र ने कीडगंज थाने में साइबर अपराध का केस दर्ज कराया है। 

साइबर अपराध की ऐसी घटनाएं देश के हर हिस्‍से में हो रही हैं। अभी पिछले महीने ही नोएडा पुलिस ने जस्ट डॉयल से नम्बर निकालकर फर्जी बैंक कर्मचारी बन लोगों को लोन दिलाने और मैजिक पेन से फर्जी हस्ताक्षर कर बैंक से रुपये निकालने वाले दो अभियुक्तों को गिरफ्तार किया था। पुलिस ने उनके कब्जे से पांच आईकार्ड और 19 आधार कार्ड बरामद किए थे। इस साल अक्‍टूबर में गोरखपुर के कैंट थाना क्षेत्र मरे हुए कुत्‍ते की बदबू से परेशान एक किराना दुकानदार के साथ ऑनलाइन फ्रॉड करके जालसालों ने 8390 रुपए खाते से निकाल लिए थे। दुकानदार ने 1930 साइबर क्राइम हेल्‍पलाइन नंबर पर मामले की शिकायत दर्ज कराई।

दुकानदार अनिल कुमार के मुताबिक उसके घर के बगल में एक कुत्‍ता मर गया था। लोग इसकी बदबू से परेशान थे। 11 अक्‍टूबर को उसने गूगल सर्च करके नगर निगम से मामले की शिकायत करनी चाही। गूगल सर्च में उसे टोल फ्री जैसा एक हेल्‍पलाइन नंबर मिला। अनिल के मुताबिक उसने इस नंबर पर फोन किया तो दूसरी तरफ से उसे रजिस्‍ट्रेशन के लिए दो रुपए ऑनलाइन पे करने को कहा गया। फोन रिसीव करने वाले शख्‍स ने अनिल के वाट्सएप पर एक फार्म भेजा जिसमें अनिल को अपना पता वगैरह भरना था। 

अनिल ने फार्म भर दिया और पे‍टीएम के जरिए दो रुपए भी भेज दिए। फार्म भरने के दौरान अनिल के मोबाइल पर कोई नंबर आया था। उस शख्‍स ने वह नंबर भी पूछ लिया। इसके थोड़ी देर बाद अनिल के दो रुपए वापस उसके अकाउंट में आ गए। अनिल से उस शख्‍स ने बताया कि सफाई कर्मचारी जल्‍द ही मौके पर पहुंचकर मरे हुए कुत्‍ते को हटा देंगे लेकिन 24 घंटे बाद भी सफाई कर्मचारी तो नहीं आए उल्‍टे अनिल को चूना जरूर लग गया। अपने साथ जालसाजी हो जाने का अंदाजा अनिल को तब हुआ जब एक दिन बाद दोपहर में अचानक उसके खाते से रुपए कटने लगे।

अनिल के पेटीएम वॉलेट और बैंक खाते से पांच-छह बार में अलग-अलग धनराशि करके कुल 8390 रुपए निकल गए। खाते से रुपए निकलने के बाद हैरान-परेशान अनिल ने उस शख्‍स को फोन किया तो उसने अनिल से आधार कार्ड के अंतिम चार अंक मांगना शुरू कर दिया। वह कह रहा था कि आधार का नंबर बता दीजिए तो रुपए वापस मिल जाएंगे लेकिन तब तक अनिल सतर्क हो चुका था। उस शख्‍स ने अनिल को कई बार फोन करके आधार नंबर मांगा और अंत में इंकार किए जाने पर गालियां देने लगा। इसके बाद अनिल ने साइबर सेल पुलिस से मामले की शिकायत की। हालांकि अभी तक यह मामला अनसुलझा ही है।