District Raipur

एम्स और IIT मिलकर करेंगे रिसर्च, मरीजों को होगा फायदा… दोनों संस्थानों के बीच MOU, नई टेक्नोलॉजी पर जोर…

इम्पैक्ट डेस्क.

छत्तीसगढ़ में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नालॉजी (आईआईटी) भिलाई मिलकर अब मरीजों को कम लागत में उपचार की सुविधा देने नई टेक्नोलॉजी विकसित करेंगे। आंख के मरीजों और एमआरआई के लिए विकसित नई टेक्नोलॉजी को आईआईटी ट्रायल के लिए एम्स को देगा। दोनों संस्थानों ने रिसर्च के नए अवसर तलाशने एमओयू पर हस्ताक्षर किए हैं। चिकित्सा क्षेत्र में नई टेक्नोलॉजी की जरूरत हमेशा रहती है। चिकित्सा संस्थान और तकनीकी संस्थान के बीच यह अपने तरह का पहला एमओयू है, जो प्रदेश के लिए नई राह खोल सकता है।

निदेशक प्रो. (डॉ.) नितिन एम. नागरकर और आईआईटी भिलाई के निदेशक प्रो. रजत मूना ने एमओयू पर हस्ताक्षर करने के बाद बताया कि आईआईटी ने आंख के मरीजों और एमआरआई की लागत कम करने एक नई तकनीक और उपकरणों का विकास किया है। इसे ट्रायल के लिए एम्स को दिया जा सकता है। प्रो. नागरकर ने उच्च शिक्षा के दोनों संस्थानों के बीच शोध और अनुसंधान को बड़ी उपलब्धि बताया। दोनों संस्थानों के शिक्षक मिलकर संयुक्त अनुसंधान शुरू कर सकते हैं। चिकित्सा क्षेत्र में हमेशा नई तकनीक की जरूरत रहती है, जिसे आईआईटी के इंजीनियर पूरा कर सकते हैं। 

आईआईटी में 10 से अधिक स्टार्टअप्स
प्रो. रजत ने बताया कि आईआईटी में 10 से अधिक स्टार्टअप्स हैं, जिन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में अपनी तकनीकी विशेषज्ञता प्रदान की है। आंखों की ज्योति को परखने एक नई मशीन भी बनाई गई है। यह काफी कम लागत पर जांच कर सकती है। एमआरआई की लागत कम करने भी शोध किया गया है, जिसका लाभ सभी वर्गों को मिलेगा। इस अवसर पर आईआईटी भिलाई ने मेडिकल छात्रों के लिए नई तकनीक पर एक कोर्स भी शुरू करने का प्रस्ताव दिया गया। उन्होंने कहा कि चिकित्सा संस्थान और तकनीकी संस्थान के बीच यह अपने तरह का पहला एमओयू है, जो प्रदेश के लिए नई राह खोल सकता है।