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केंद्र के समान DA पर अड़े छत्तीसगढ़ के सरकारी कर्मचारी… 25 से करेंगे आंदोलन, 9 दिनों तक दफ्तरों में नहीं होंगे कामकाज…

इम्पैक्ट डेस्क.

केंद्रीय कर्मचारियों के बराबर महंगाई भत्ता (DA) व गृह भाड़ा देने की मांग को लेकर छत्तीसगढ़ के कर्मचारी-अधिकारी संघों द्वारा लगातार आवाज बुलंद की जा रही है। मंत्रालय-संचालनालय से लेकर जिला, विकासखंड व तहसील मुख्यालयों में प्रदर्शन हो चुके हैं, लेकिन कोई रास्ता नहीं निकला है। अब कर्मचारी संघों ने 25 जुलाई से हड़ताल पर जाने का ऐलान कर दिया है। कर्मचारी संघों का कहना है कि केंद्र सरकार के समान 34% महंगाई भत्ता देने सीएम भूपेश बघेल व मुख्य सचिव से चर्चा की गई थी, लेकिन अब तक कोई निर्णय नहीं हुआ है। इससे प्रदेश के 5 लाख कर्मचारी-अधिकारियों में भारी आक्रोश है। कर्मचारी 25 से अवकाश लेकर आंदोलन करेंगे, लेकिन दफ्तरों में 9 दिनों तक कामकाज नहीं होगा, जिससे आम आदमी की परेशानी बढ़ने वाली है। 

दरअसल, छत्तीसगढ़ के अधिकारी-कर्मचारी प्रशासनिक अव्यवस्था से आक्रोशित हैं। छत्तीसगढ़ के कर्मचारी-अधिकारी संघों की तरफ से काम बंद करने का ऐलान कर दिया गया है। प्रदेश का हर सरकारी कर्मचारी आंदोलन में भाग लेकर दफ्तर में होने वाले कामकाज से खुद को अलग रखेगा। लंबित महंगाई व गृह भत्ता को लागू करवाने की मांग रखते हुए छत्तीसगढ़ अधिकारी-कर्मचारी फेडरेशन ने 25 से 29 जुलाई 5 दिनों तक सामूहिक अवकाश लेकर आंदोलन में जाने का निर्णय लिया है। इन 5 दिनों में सरकारी दफ्तरों में कोई काम नहीं होगा। वहीं शनिवार और रविवार की छुट्टी की वजह से यह आंदोलन 9 दिनों का हो जाएगा। महंगाई भत्ता और भाड़ा भत्ता को लेकर यह आंदोलन पूरे प्रदेश में होगा, जिससे आम आदमी की परेशानी बढ़ जाएगी।  

इंद्रावती भवन में कर्मचारी संघों का जनसंपर्क 
हड़ताल को लेकर 21 जुलाई को इंद्रावती भवन नवा रायपुर स्थित विभागों में सभी अधिकारियों एवं कर्मचारियों से जनसंपर्क किया गया। छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन के प्रांतीय संयोजक एवं छत्तीसगढ़ राजपत्रित अधिकारी संघ के प्रांताध्यक्ष कमल वर्मा, संचालनालयीन कर्मचारी संघ के अध्यक्ष रामसागर कोशले, कार्यकारी अध्यक्ष संतोष वर्मा, सचिव जयकुमार साहू, संयुक्त सचिव सुभाष श्रीवास्तव, संगठन सचिव आलोक वशिष्ठ, उप कोषाध्यक्ष देबाशीष दास, प्रचार सचिव डिकेन्द्र खुंटे, खेल युवा सचिव अमित पाटिल, संयुक्त कर्मचारी संघ के महासचिव भोलाराम किर, वाहन चालक संघ के महेन्द्र साहू, ज्ञानीराम परसे, लोकेश वर्मा, जगदीप बजाज, राकेश ध्रुव ने जनसंपर्क कर हड़ताल को सफल बनाने गेट मीटिंग कर रणनीति तैयार की गई।  

दफ्तरों में पहुंचकर कर्मियों के बीच गेट मीटिंग
कर्मचारी-अधिकारी फेडरेशन के जिला संयोजक उमेश मुदलियार एवं जिला महासचिव राजेश सोनी ने बताया कि रायपुर के सभी सरकारी कार्यालयों का दौरा कर कर्मचारियों को 25 से 29 जुलाई के आंदोलन को सफल बनाने निर्धारित प्रपत्र में सामूहिक अवकाश के लिए आवेदन पत्र संबंधित कार्यालयों में जमा करने कहा गया है। लोक निर्माण विभाग, जल संसाधन विभाग, लोक स्वास्थ्य विभाग, रायपुर कलेक्टोरेट, कृषि विभाग, जिला कोषालय, पंजीयक कार्यालय, स्वास्थ्य विभाग, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, आयुक्त रायपुर संभाग कार्यालयों में पहुंचकर कार्यालयों में गेट मीटिंग की गई। आवेदन भरवाकर 5 दिवसीय आंदोलन को सफल बनाने सामूहिक अवकाश फार्म भरवाया गया। इस अभियान में फेडरेशन के विजय झा द्वारा आंदोलन में समर्थन प्रदान किया है। 

फेडरेशन ने दिया था एक माह का अल्टीमेटम  
प्रांतीय संयोजक कमल वर्मा ने बताया कि कर्मचारियों को 28 माह के एरियर्स की आर्थिक क्षति हो रही है। केंद्र सरकार अपने कर्मचारियों को 20% गृह भाड़ा दे रही है, लेकिन छत्तीसगढ़ में कर्मचारियों को सिर्फ 10% गृह भाड़ा दिया जा रहा है। डीए और गृह भाड़ा में छत्तीसगढ़ के सरकारी कर्मचारियों के साथ भेदभाव किया जा रहा है। अधिकारियों-कर्मचारियों को 5 से 10 हजार रुपये का आर्थिक नुकसान हो रहा है। शासन को एक महीने का अल्टीमेटम दिया गया था। राज्य शासन ने इस ओर कोई पहल नहीं की, जिसके बाद कर्मचारी संघों ने 25 जुलाई से अनिश्चितकालीन आंदोलन करने का निर्णय लिया है। 

छत्तीसगढ़ में महंगाई भत्ता 2 वर्ष से लंबित था 
छत्तीसगढ़ में जनवरी 2020 से लंबित 4% महंगाई भत्ता, जुलाई 2020 से लंबित 3%, जनवरी 2021 से लंबित 4%, जुलाई 2021 से 3% महंगाई भत्ता एवं जनवरी 2022 से 3% महंगाई भत्ता को मिलाकर कुल लंबित 17% महंगाई भत्ता की मांग कर्मचारी कर रहे थे। सीएम भूपेश बघेल ने 2 मई को 5% महंगाई भत्ता बढ़ाने का आदेश जारी किया है। संघों का कहना है कि कर्मचारियों के लिए महंगाई से राहत पाने का एक ही साधन महंगाई भत्ता होता है। वर्तमान में महंगाई चरम पर है, लेकिन कर्मचारियों का महंगाई भत्ता केंद्र के सामान नहीं है। ऐसे में महंगाई की मार छत्तीसगढ़ के सरकारी सेवकों पर भारी पड़ रही है।