दिल्ली विधानसभा चुनाव में 0 की ‘हैट्रिक’ की ओर कांग्रेस
नई दिल्ली
देश की राजधानी दिल्ली पर जिस पार्टी ने सबसे ज्यादा राज किया, आज उसे दिल्ली की जनता ने शायद पूरी तरह भुला दिया है। दिल्ली में 15 साल तक लगातार सरकार चलाने वाली कांग्रेस पार्टी इस बार दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 से गायब हो गई है। पूरा मुकाबला आम आदमी पार्टी और बीजेपी के बीच ही सिमट कर रह गया है।
अभी तक के रुझानों में दिल्ली की 70 सीटों में से एक पर भी खाता खुलता नहीं दिख रहा है। वोट प्रतिशत की भी बात करें, तो कांग्रेस बहुत ही बुरी स्थिति में दिख रही है। सुबह 10.30 बजे तक के रुझानों में कांग्रेस को महज 6.86 फीसदी वोट ही मिले हैं। मौजूदा रुझानों में 69 में से बीजेपी 41 तो आम आदमी पार्टी 28 सीटों पर आगे चल रही है। अगर इस बार भी कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिलती है तो यह लगातार तीसरा मौका होगा, जब कांग्रेस को दिल्ली ने पूरी तरह से नकार दिया।
2020 में भी नहीं खुला था खाता
दिल्ली में हुए पिछले विधानसभा चुनाव 2020 में भी कांग्रेस का बुरा हाल था। पार्टी को एक भी सीट नहीं मिली थी। उसका वोट प्रतिशत भी महज 4.26 फीसदी ही रहा था। 2015 में भी कांग्रेस ने सभी 70 सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन एक भी सीट नहीं जीत पाई थी। वोट शेयर भी 9.7 फीसदी ही रहा था।
आम आदमी पार्टी के उदय ने किया बंटाधार
2013 में आम आदमी पार्टी के उदय ने अगर किसी को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया है तो वो कांग्रेस ही है। इस चुनाव से पहले 1998 से लगातार कांग्रेस की सरकार दिल्ली में थी। मगर 2013 में जनता ने अपना नया नेता चुन लिया। एक नई पार्टी ने चमत्कार कर दिया। 2008 के चुनावों में 40 फीसदी से ज्यादा वोट शेयर लेकर सरकार बनाने वाली कांग्रेस 2013 में 25 फीसदी से भी कम वोट शेयर पर आ गिरी। पार्टी का वोट शेयर 24.25 फीसदी ही रहा और सीटें भी 43 से घटकर महज 8 ही रह गई। इसके बाद से तो पार्टी को एक सीट मिलना भी दूभर हो गया।
लोकसभा चुनाव का नहीं मिला फायदा
कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव में देशभर में अच्छा प्रदर्शन किया था। पार्टी ने बीजेपी को कड़ी टक्कर दी थी। हालांकि दिल्ली की सातों सीटों पर उसे हार ही मिली थी। लेकिन 18 फीसदी जनता ने राहुल गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस पर भरोसा जताया था। मगर इसका फायदा कांग्रेस को दिल्ली के विधानसभा चुनावों में नहीं मिला।