इंदौर : महिला भिखारी के पास 75 हजार कैश देखकर दंग रह गए अधिकारी, बोली- ये मेरी एक हफ्ते की कमाई
इंदौर
इंदौर शहर का अपना मिजाजा है, इसे मिनी मुंबई भी कहा जाता है। हाल ही में यहां से एक ऐसी खबर सामने आई है जिसके बारे में जानकर हर कोई दंग है। इस शहर को भिक्षुक मुक्त करने के अभियान चलाया जा रहा है, इसी बीच एक महिला भिक्षुक का रेस्क्यू करने जब अफसर पहुंचे तो उसने अपनी साड़ी में 75 हजार से अधिक कैश छिपाकर रखे थे।
पुलिस अधिकारी ने जब एक रुपये से लेकर 500 तक के नोट देखे तो वे दंग रह गए। महिला के पास नोट ही नोट निकलने लगे। अधिकारी के अनुसार, महिला ने बताया कि यह उसकी एक हफ्ते की कमाई है।
दरअसल, मध्य प्रदेश के इंदौर को भिक्षुक मुक्त करने की दिशा में महिला बाल विकास विभाग बड़ी कार्रवाई कर रही है। इसी के तहत 14 भिक्षुओं को पकड़ा गया है। इनमें एक महिला ने भीख मांगकर हफ्ते में 75 हजार रुपये इकट्ठा कर लिए। अधिकारी महिला के पास इतना कैश देख दंग रह गए। महिला ने यह कैश अपनी साड़ी में छिपाकर रखे थे। इस हिसाब से यह महिला महीने में 3 लाख और सालाना इनकम 36 लाख रुपये कमाती होगी। अधिकारी ने इस महिला को महिला बाल विकास विभाग ने उज्जैन के सेवाधाम आश्रम भेजा है।
उज्जैन के सेवा धाम आश्रम ले जा रहे सभी भिक्षुक
कलेक्टर आशीष सिंह इंदौर शहर को भिक्षुक मुक्त करने के अभियान चला रहे हैं। महिला बाल विकास अधिकारी दिनेश मिश्रा के नेतृत्व में लगभग 14 अलग-अलग टीमें शहर के तमाम इलाकों में जाकर मंदिरों और धार्मिक स्थलों से भिक्षा वृत्ति करने वाले लोगों को पड़कर सेवा धाम आश्रम उज्जैन भेज रही हैं। अब तक टीम ने कई इलाकों से महिलाओं और बुजुर्गों को पकड़कर उज्जैन के सेवा धाम आश्रम भेज दिया है।
इस दौरान अधिकारी की नजर राजवाड़ा के समीप शनि मंदिर के पास भीख मांग रही एक महिला पर पड़ी। जब उसकी जांच की गई तो उसने अपनी साड़ी में 75 हजार से अधिक कैश छिपाकर रखे थे। अधिकारी दिनेश मिश्रा ने बताया कि महिला ने एक सप्ताह में 75 हजार रुपये भिक्षा वृत्तिकर यह राशि जमा की थी
महिला इंदौर के पालदा इलाके की बताई जा रही है। ऐसे कई और लोगों को भी पकड़ा गया है जो 7 से 8 बार भिक्षावृत्ति करते हुए पहले भी पकड़े गए थे, इनका पेशा की भिक्षावृत्ति है। उज्जैन के सेवा धाम आश्रम में इनकी काउंसलिंग की जाएगी और फिर इ्न्हें समाज की मुख्य धारा में लाने का काम किया जाएगा, ताकि ये सामान्य जिंदगी जी सकें।