जांच की आंच : तो ऐसे उड़ाई नियमों की धज्जियाँ… दंतेश्वरी कारिडोर के नाम DMF, CSR समेत पूरा ख़ज़ाना दांव पर लगा दिया…
इम्पेक्ट न्यूज। रायपुर।
दक्षिण बस्तर दंतेवाड़ा जिला में छत्तीसगढ़ का दूसरा सबसे बड़ा खनिज राजस्व जिला है। यहां कोरबा के बाद सबसे ज्यादा राशि जिला खनिज न्यास के मद में प्राप्त होती है। इस राशि का उपयोग प्रभावित इलाकों के लोगों के विकास, रोजगार, बुनियादी सुविधाओं के लिए किया जाना है। इसी राशि से दंतेवाड़ा में दंतेश्वरी कारिडोर निर्माण को लेकर फिलहाल जांच चल रही है।
करीब 53 करोड़ रुपए के काम शंकनी—डंकनी नदी के आस—पास विकास कार्यों के लिए जिला खनिज न्यास की निधि, एनएमडीसी, और एएमएएस द्वारा स्वीकृत किए गए। इन सभी निर्माण कार्यों के लिए टेंडर की प्रक्रिया समेत निर्माण एजेंसी को लेकर जांच फिलहाल चल रही है। आरोप है कि इनमें से ज्यादातर काम ऐसे हैं जिनके लिए विधिवत टेंडर की प्रक्रिया का पालन तक नहीं किया गया।
नीचे दिए गए तस्वीरों को देखकर बताएं कि क्या इस काम को टुकड़ों में कर पाना संभव है?
दरअसल जिला प्रशासन पर डीएमएफ मद से किए जाने वाले इस निर्माण में टेंडर की प्रक्रिया को लेकर अनियमितता के आरोप हैं। अकेले दंतेश्वरी मंदिर परिसर में एक ही तरह के काम के लिए उसके इतने टुकड़े किए गए कि अब यह बता पाना कठिन है कि किस टेंडर के तहत कितना काम हुआ है। इम्पेक्ट को प्रशासकीय स्वीकृति से संबंधित जानकारी हासिल हुई है। जिसके मुताबिक यह तथ्य चौंकाने वाला है कि एक ही दिन में एक ही फाइल पर एक ही तरह के काम को टुकड़ों में करने के लिए तत्कालीन जिला अधिकारी द्वारा प्रशासकीय स्वीकृति प्रदान की गई।
प्रशासकीय स्वीकृति आदेश के मुताबिक पर्यटन को बढ़ावा देने की दृष्टि व स्थानीय समुदाय के जीविकोपार्जन हेतु विभिन्न विकास कार्यों के नाम पर वर्ष 2022-23 में 27 सितंबर 2022 को प्रशासकीय स्वीकृति आदेश क्रमांक 220160352630, 220130337429, 220176276822, 220126269586, 220136478556, 220134262422, 220108819861, 22018838383221, 220126194866, 220154572633, 220141009308, 220104148604, 220194899213, 220171827181/27.09.2022 इसमें कार्य भाग क्रमांक 1 से 20 में से 5, 6, 10, 11, 12 एवं 13 को छोड़कर शेष के लिए प्रशासकीय आदेश जारी किया गया। कुल 14 कार्यों के लिए करीब 5.48 करोड़ रुपए की स्वीकृति प्रदान की गई।
गुणवत्ता को लेकर लोगों में असंतोष
बड़ी बात तो यह है कि अभी निर्माण पूरा भी नहीं हुआ है और इसकी खामी बाहर से ही दिखने लगी है। लाल पत्थरों को राजस्थान से लाकर सीमेंट में चिपकाया गया है। कुछ जगहों पर यह सीमेंट की पकड़ कमजोर पड़ते ही छोड़ता दिख रहा है। सुंदरता के लिए उपयोग किए गए इस पत्थर की मजबूती को लेकर संदेह है बड़ी बात तो यह है कि यदि आने वाले दिनों में इसमें सुधार करने की नौबत आए तो उसके लिए इस तरह का पत्थर उपयोग में लाना कठिन होगा। उल्लेखनीय है कि धार्मिक स्थालों में जिस तरह से कारिडोर का निर्माण चल रहा है वहां की गुणवत्ता को देखते हुए दंतेवाड़ा में करोड़ों के व्यय के बावजूद गुणवत्ता को लेकर लोगों में असंतोष है।
इसी सेग्मेंट में कार्य भाग क्रमांक 1 से 20 में से 5, 6, 10, 11, 12 एवं 13 के लिए आदेश क्रमांक 1737, दिनांक 26 सितंबर 2022 को 2.50 करोड़ ₹ की प्रशासकीय स्वीकृति दी गई। जिनमें से 2 करोड़ चार लाख रुपए का भुगतान किया जा चुका है। यानी करीब 7.50 करोड़ रुपए के कार्यों को 20 भागों में बांटा गया। यह तथ्य चौंकाने वाला है कि जब एक ही स्थान पर एक ही विषय पर सारे काम स्वीकृत किए गए तो इसे पृथक तौर पर छोटे-छोटे टुकड़ों में क्यों बांटा गया?
इसी तरह से पर्यावरण संरक्षण के अंतर्गत शंकनी—डकनी पदी द्वारा मिट्टी कटाव एवं पर्यावरणहास को रोकने हेतु आवश्यक कार्यों को पहले कुल 26 टुकड़ों में बांटा गया। सभी कार्यों के लिए आदेश क्रमांक 620—ए/ 05.04.2023 के तहत कुल 11.75 करोड़ रुपए के कामों की प्रशासकीय स्वीकृति प्रदान की गई। आदेश क्रमांक 790/12.05.2023 में इसी काम को अतिरिक्त 20 टुकड़ों में विभाजित कर को करीब सात करोड़ रुपए की प्रशासकीय स्वीकृति प्रदान की गई। यानी कुल करीब 20 करोड़ रुपए इस मद में स्वीकृत किए गए।
इसके बाद शंकनी—डंकनी नदी तट पर आवश्यक अधोसंरचना के लिए आदेश क्रमांक 594/06.04.2023 को दंतेवाड़ा जनपद पंचायत को क्रियान्वयन एजेंसी बनाकर 35 लाख रुपए का काम स्वीकृत किया गया। इसी प्रशासकीय स्वीकृति आदेश क्रमांक एवं दिनांक में परगोला निर्माण दो हिस्सों में क्रमश: 47.20 लाख एवं 45.38 लाख स्वीकृत किए गए। इसके अतिरिक्त आगंतुकों की सुविधा के लिए आवश्यक कार्य जिसका ब्योरा तक दर्ज नहीं है इसके लिए 45.20 लाख रुपए की स्वीकृति प्रदान की गई।
इसी आदेश क्रमांक में पर्यावरण संरक्षण के अंतर्गत शंकनी—डंकनी के द्वारा मिट्टी कटाव एवं पर्यावरण हास को रोकने, घाट डवलपमेंट एवं अन्य आवश्यकताओं के विस्तार कार्य हेतु दस टुकड़ों में चार करोड़ रुपए के कार्यों की प्रशासकी स्वीकृति प्रदान की गई। इसमें भी क्रियान्वयन एजेंसी ग्रामीण यांत्रिकी सेवा दंतेवाड़ा को रखा गया। मजेदार बात तो यह है कि इसी आदेश क्रमांक में एक बार फिर घुमाफिराकर घाट निर्माण, सामुदायिक डेरा जीणोद्धार एवं अधोसंरचना कार्य के तहत गजेबो निर्माण कार्य की स्वीकृति प्रदान की गई। इसके लिए करीब 84 लाख रुपए स्वीकृत किए गए।
इसमें एक तकनीकी खामी उजागर हुई है कि जब किसी एक पूरे काम का ले आउट नक्शा ही तैयार नहीं था तो किस आधार पर कार्यपालन अभियंता ने तकनीकी स्वीकृति प्रदान कर दी और जिला कलेक्टर जो जिला खनिज न्यास के अध्यक्ष भी हैं उन्होंने इस तथ्य को अनदेखा कर टुकड़ों में प्रशासकीय स्वीकृति प्रदान कर दी। इसी प्रक्रिया दोष के चलते पूरा मामला जांच में फंसा हुआ है।
बड़ी बात तो यह है कि डंकनी शंकनी नदी में जल शुद्धि के लिए 5.36 करोड़ रुपए, नदी के तट पर पिचिंग और घाट निर्माण के लिए के नाम पर जिला प्रशासन को करीब 8.36 करोड़ रुपए एनएमडीसी द्वारा भुगतान किया गया। इसी परिसर में करीब एक करोड़ रुपए के विभिन्न निर्माण स्वीकृत किए गए। इनका भुगतान आर्सेलर मित्तल की कंपनी द्वारा जिला प्रशासन को किया गया।
आरोप है कि इन सभी कार्यों के लिए प्रत्येक भाग की लागत को 50 लाख रुपए से कम रखा गया। इसके लिए निर्माण क्रियान्वयन एजेंसी दंतेवाड़ा को बनाया गया। ताकि नगरपालिका क्षेत्र में किए जा रहे इस काम को ग्राम पंचायत के माध्यम से करवाया जा सके। इसके लिए छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा ग्राम पंचायतों को 50 लाख तक के काम की छूट की सीमा का नाजायज लाभ उठाया गया।
इसके बाद प्रशासकीय स्वीकृति आदेश क्रमांक 618/13.04.2023 को शंकनी—डंकनी तट पर बाउंड्रीवाल निर्माण के लिए कुल चार टुकड़ों में स्वीकृति प्रदान की गई। इसके लिए करीब 2.30 करोड़ रुपए की स्वीकृति प्रदान की गई। इसी काम के लिए आदेश क्रमांक 686/24.04.2023 को चार टुकड़ों में बाउंड्रीवाल निर्माण के साथ 06 परगोला निर्माण की स्वीकृति प्रदान की गई। साथ ही घाट निर्माण के लिए अतिरिक्त तीन भागों और विकास कार्य के लिए आवश्यक कार्य के नाम पर कुल 5.67 करोड़ रुपए की स्वीकृति प्रदान की गई। इन सभी कार्यों के लिए भी जनपद पंचायत को क्रियान्वयन एजेंसी बनाया गया।
इसके अलावा दंतेवाड़ा जिला में और भी ऐसे काम हुए हैं जिनकी जांच चल रही है। करोड़ों के निर्माण कार्यों को अपने मनमुताबिक खर्च करवाने के कारण तत्कालीन कलेक्टर विनीत नंदनवार पर अनियमितता के आरोप लगे। प्रधानमंत्री कार्यालय में इस संबंध में शिकायत के बाद विष्णुदेव सरकार ने नंदनवार को मंत्रालय में अटैच कर दिया। फिलहाल उन्हें मंत्रालय में जनशिकायत विभाग में संयुक्त सचिव की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इधर इस मामले में ईडी ने भी फाइलें खंगाली है।
ग्रामीण यांत्रिकी सेवा के तहत उक्त निर्माण कार्य के लिए तकनीकी स्वीकृति का पेंच है। जिसके तहत जिला स्तर पर कार्यपालन अभियंता को जितनी लागत के लिए तकनीकी स्वीकृति का अधिकार है उसी के आधार पर काम को टुकड़ों में विभाजित कर दिया गया। जबकि कारिडोर में निर्माण की कुल लागत करीब 50 करोड़ रुपए है तो निश्चित तौर पर इसके लिए ईएनसी के स्तर पर ही तकनीकी स्वीकृति लेकर आनलाइन टेंडर के माध्यम से किसी बड़ी कंपनी को काम करना था। जिसे बाधित कर जिला स्तर पर काम को निपटाने का प्रयोग किया गया।
एसीबी में इस मामले को लेकर जांच चल रही है। एसीबी ने दंतेवाड़ा जिला में डीएमएफ के तहत बीते पांच वर्ष की पूरी जानकारी ले ली है। कोरबा में कलेक्टर रहीं रानू साहू के खिलाफ डीएमएफ में भ्रष्टाचार को लेकर जांच के बाद उनकी करीबी सहायक आयुक्त माया वारियार को ईडी ने गिरफ्तार कर लिया है। संभव है कि दंतेवाड़ा मामले में भी भ्रष्टाचार के सबूत हासिल करने के बाद एसीबी और ईडी की कार्रवाई तेज हो।