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सिस्टम के मायाजाल से घिरा नक्सल प्रभावित बीजापुर जिला जहां करप्शन की अपनी ही परिभाषा…

इम्पेक्ट न्यूज। बीजापुर।

अतिसंवेदनशील नक्सल प्रभावित जिला में शामिल दक्षिण—पश्चिम बस्तर का बीजापुर जिला यहां जमीन पर करप्शन की जितनी मिसालें देखी जाएं कम ही हैं। शायद छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा को भी यह पता भी ना हो कि उनके प्रवास के दौरान उन्हें भेंट करने के लिए विभागों से और ठेकेदारों से करीब 75 लाख रुपए की वसूली की गई। यदि उन्हें पता नहीं है तो वास्तव में चौंकना चाहिए। इसके बाद कई ऐसे मामले सामने आ रहे हैं जिनसे करप्शन को लेकर हर तरह की भ्रांति समाप्त हो सकती है।

हाल ही में एक खबर सामने आई कि बीजापुर जिले में ​295 झोपड़ी में संचालित शालाओं के लिए 95 लाख की तिरपाल खरीदी गई। यानि करीब पचास हजार के हिसाब से एक तिरपाल की खरीदी। देखिए और समझिए कि इस तरह की गैरवाजिब खरीदी के पीछे करप्शन का कैसा खेल खेला गया हो। यदि झोपड़ी और पेड़ों के नीचे संचालित शालाओं के लिए पक्के सीमेंट सीट का इंतजाम कर ज्यादा मजबूत और उपयोगी बनाया जा सकता था। तिरपाल खरीदी मामले की गहराई से जांच की जाएगी तो दूध—पानी अलग हो सकता है।

इसी तरह के कई और भी मामले बीजापुर जिले की नजीर बनकर खड़े हैं। आए दिन सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर बीजापुर के कई मीडियाकर्मी तथ्य रख रहे हैं पर जमीन पर कोई देखने सुनने वाला नहीं है।

सबसे बड़ी बात तो यह है कि नक्सल प्रभावित जिले में हाल ही में केंद्रीय गृहमंत्री के आगमन से पहले राज्य के उपमुख्यमंत्री और गृहमंत्री विजय शर्मा बस्तर के दौरे पर पहुंचे थे। हिड़मा के गांव में पहुंचकर उन्होंने पंचायती भी लगाई। लोगों का विश्वास ​जीतने के लिए शासन की ओर से महत्वपूर्ण दस्तक दी। इसके बाद बीजापुर में यह खबर बाहर आई कि सिस्टम की ओर से विभागों को टारगेट देकर करीबी 75 लाख रुपए की वसूली की गई।

यह वसूली गृहमंत्री विजय शर्मा को देने के नाम पर की गई। सबसे कम 50 हजार और अधिकतम दस लाख रुपए तक के दान दाताओं की फेहरिस्त है। कोई खुलकर बोलने को तैयार नहीं है। पर अंदरखाने से निकल रही आवाजों को यदि गंभीरता से लेकर जांच की गई तो यह सच बाहर आ सकता है कि किसके कहने पर किसके माध्यम से वसूली की गई।

इसके बाद एक और अजब मामला सामने आया है कि पूर्व में कलेक्टर के तबादले के बाद उन्हें बतौर गिफ्ट देने के लिए करीब एक करोड़ रुपए की वसूली की गई। पूर्व कलेक्टर भारी विवादों में रहे। तबादला होने के बाद भी सरकार उन्हें भारमुक्त नहीं कर पाई। मसला चूंकि ​सेवानिवृत्ति से जुड़ा था सो मामला दब गया। इनके दौर में जिस तरह के आडियो एक के बाद एक कर सोशल मीडिया में सामने आते रहे इसे देखते हुए साफ लग रहा है कि अंदरखाने बड़ी गड़बड़ रही होगी।

फिलहाल चंदा वसूली की इसी लिस्ट में अब बस्तर कमिश्नर के नाम पर वसूली की चर्चा जोर—शोर से चल रही है। सोशल मीडिया में बताया जा रहा है कि 15—15 हजार की वसूली शिक्षा विभाग से की गई है। सच्चाई तो विभाग के लोग ही बता सकते हैं। इस तरह के मामले को लेकर बीजापुर के लोगों का कहना है कि ‘आखिर एक ही जिले से इस तरह कई किस्तों में वसूली की सच्चाई को लेकर सरकार के स्तर पर गंभीरता की उम्मीद तो की ही जानी चाहिए।’

बीजापुर जिले में निर्माण और विकास कार्यों के लिए बड़े पैमाने पर केंद्रीय मद और विशेष अनुदान के साथ—साथ, शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क के लिए करोड़ों रुपए आबंटित हो रहे हैं। डीएमएफ की राशि भी बड़े पैमाने पर वहां पहुंच रही है। सरकार बीजापुर जैसे जिले के विकास के लिए पूरे जतन के साथ लगी है ऐसे समय में यदि करप्शन की दीमक से विकास का पैमाना ही चट हो जाए तो चिंता की स्थिति बनती है।

जरा सुन लीजिए क्या हो रही है बात