एनएमडीसी से 1620 करोड़ रायल्टी वसूली के लिए कलेक्टर दंतेवाड़ा ने दी नोटिस…
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इम्पेक्ट एक्सक्लूसिव। रायपुर।
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट द्वारा राज्य सरकारों को खनिज की रायल्टी लिए जाने के अधिकार के बाद दंतेवाड़ा जिले में सबसे बड़ी कार्रवाई जिला कलेक्टर ने कर दी है। इसके तहत एनएमडीसी किरंदुल काम्प्लेक्स को गुरूवार को जारी की गई नोटिस में स्वीकृत खनिपट्टों में अनियमितताओं का आरोप लगाते 16 अरब 20 करोड़ 49 लाख 52 हजार 482 रुपए की पेनाल्टी जमा करने की नोटिस जारी की गई है।
देखिए जारी नोटिस में क्या कहा गया है…
कार्यालय कलेक्टर (खनिज शाखा) जिला दक्षिण बस्तर दंतेवाडा (छ.ग.) Phone No. 07856-252037 Fax No. 07856-252037 Email: miningdantewada@gmail.com क्रमांक /469/ खनिज/एम०एल०/2024-25 दन्तेवाड़ा, दिनांक 29/08/2024
प्रति,
अधिशासी निदेशक, मेसर्स एनएमडीसी लिमिटेड, किरन्दुल कॉम्प्लेक्स, किरन्दुल, जिला दक्षिण बस्तर दंतेवाड़ा (छ.ग.)।
विषयः- मेसर्स एन.एम.डी.सी. लिमिटेड किरंदुल कॉम्पलेक्स को स्वीकृत खनिपट्टों में हो रहे अनियमितताओं के संबंध।संदर्भ:
1. खनि निरीक्षक, दंतेवाड़ा का प्रतिवेदन दिनांक 09.08.2024 |
2. इस कार्यालय का कारण बताओ नोटिस कमांक 413/खनिज/एम.एल./2024-25 दंतेवाड़ा, दिनांक 12.08.2024 1
3. मेसर्स एनएमडीसी लिमिटेड किरन्दुल काम्पलेक्स का पत्र कमांक 57 दिनांक 13.08.2024 | 4. मेसर्स एन.एम.डी.सी. लिमिटेड, किरन्दुल काम्पलेक्स का पत्र क्रमांक Kdl-
cplx/G&QC/St.Govt./57, दिनांक 18.08.2024 | 5. खनि अधिकारी एवं खनि निरीक्षक दंतेवाड़ा का संयुक्त प्रतिवेदन दिनांक 27.08.2024 |
उपरोक्त संदर्भित विषयान्तर्गत लेख है कि आपको ग्राम किरन्दुल, तहसील बडे बचेली, जिला दक्षिण बस्तर दंतेवाड़ा में डिपाजिट नं 14 एमएल रकबा 322.368 हेक्टेयर, डिपाजिट नं 14 एनएमजेड रकबा 506.742 हेक्टेयर, डिपाजिट नं 11 रकबा 874.924 हेक्टेयर क्षेत्र में मुख्य खनिज लौह अयस्क का खनिपट्टा स्वीकृत है। आपको पत्र कमांक 413/खनिज/एम.एल./2024-25 दंतेवाड़ा, दिनांक 12.08.2024 के तहत कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। आपके द्वारा उक्त कारण बताओ नोटिस का स्पष्टीकरण प्रस्तुत किया गया जो संतोषप्रद नहीं है। अतएव छत्तीसगढ़ खनिज (उत्खनन, परिवहन तथा भण्डारण) नियम, 2009 के नियम (4) (1) (चार) का उल्लंघन करने तथा उक्त उल्लंघन के लिये छत्तीसगढ़ खनिज (उत्खनन, परिवहन तथा भण्डारण) नियम, 2009 के नियम (5) के अनुसार खान एवं खनिज (विकास एवं विनियमन) अधिनियम 1957 की धारा 21 (5) के तहत खनिज के बाजार मूल्य एवं रायल्टी कुल अर्थदण्ड की राशि रूपये 16,20,49,52,482.00 (अक्षरी सोलह अरब बीस करोड़ उनचास लाख बावन हजार चार सौ बयासी रूपये) आरोपित की जाती है। उपरोक्तानुसार अर्थदण्ड की राशि रूपये 16,20,49,52,482.00 को, 15 दिवस के भीतर जमा करना सुनिश्चित करें।
क्या था मामला और सुप्रीम कोर्ट का फैसला
बीते 25 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट की 9 जजों की पीठ ने बृहस्पतिवार को 8:1 के बहुमत से मिनरल्स की रॉयल्टी को लेकर एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया। इसमें कहा गया कि राज्यों के पास मिनरल्स पर टैक्स लगाने का अधिकार है और केंद्र का माइन्स एंड मिनरल्स (डेवलपमेंट एंड रेगुलेशन) एक्ट, 1957 कानून राज्यों के इस अधिकार को सीमित नहीं करता है। पीठ ने यह भी कहा कि रॉयल्टी टैक्स नहीं है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने खुद और बाकी के 7 जजों की तरफ से यह फैसला लिखा। वहीं, जस्टिस बी नागरत्ना ने इससे अलग फैसला दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने 1989 के अपने उस फैसले को पलटते हुए कहा था कि वह फैसला ही गलत था।
25 साल बाद आए इस फैसले को राज्यों की बड़ी जीत माना जा रहा है। इससे पहले बजट पेश होने के बाद राज्यों से भेदभाव का आरोप लगाते हुए कर्नाटक, तमिलनाडु, तेलंगाना, हिमाचल प्रदेश और पंजाब के सीएम 27 जुलाई को नीति आयोग की बैठक में शामिल नहीं होंगे। इंडिया ब्लॉक ने नीति आयोग की बैठक में शामिल नहीं होने का फैसला किया है। इसके अलावा, पश्चिम बंगाल सरकार बिना सहमति के सीबीआई जांच को लेकर सुप्रीम कोर्ट में है। ऐसे में माना जा रहा है कि संघ और राज्यों के बीच टकराव और बढ़ सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में क्या क्या कहा
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्यों के पास मिनरल्स वाली जमीन पर कर लगाने की क्षमता और शक्ति है। इससे ओडिशा, झारखंड, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान को बड़ा फायदा होगा। चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि रॉयल्टी खनन पट्टे से आती है। रॉयल्टी खनन में निकाले गए मिनरल्स की मात्रा के आधार पर तय की जाती है। रॉयल्टी की बाध्यता पट्टा देने वाले और पट्टा लेने वाले के बीच अनुबंध की शर्तों पर निर्भर करती है। इसके लिए जो भी पेमेंट होती है, वह सार्वजनिक उद्देश्यों के लिए नहीं, बल्कि विशेष उपयोग शुल्क के लिए होता है। ऐसे में सरकार को अनुबंध के लिए किए गए भुगतान को टैक्स नहीं माना जा सकता। मालिक खनिजों को अलग करने के लिए रॉयल्टी लेता है। रॉयल्टी को लीज डीड द्वारा जब्त कर लिया जाता है और टैक्स लगाया जाता है। हमारा मानना है कि इंडिया सीमेंट्स के फैसले में रॉयल्टी को टैक्स बताना गलत है
क्या था वह सेक्शन 9, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला
सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दो अहम सवाल थे। क्या ‘रॉयल्टी’ को टैक्स के समान माना जा सकता है? क्या राज्य विधानमंडल जमीन पर टैक्स लगाते समय जमीन की उपज के मूल्य के आधार पर टैक्स का उपाय अपना सकता है? दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के पास MMRDA Act, 1957 के सेक्शन 9 में बताए गए रॉयल्टी के नेचर और स्कोप का परीक्षण करने का मामला आया था।
सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट शिवाजी शुक्ला के अनुसार, सेक्शन 9 कहता है कि खनन की लीज लेने वाले को मिनरल्स पर रॉयल्टी देनी अनिवार्य है। यह विषय दूसरी अनुसूची में है। इसमें यह कहा गया था कि केंद्र सरकार को यह अधिकार है वह रॉयल्टी की दरों को नोटिफिकेशन के जरिए संशोधित कर सकती है। हालांकि, इस तरह का बदलाव हर तीन साल में एक बार से ज्यादा बार नहीं किया जा सकता है।