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अनुसूचित जाति आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन करेगा वीसीके

चेन्नई
 तमिलनाडु की दलित राजनीतिक पार्टी वीसीके ने कहा है कि अनुसूचित जाति (एससी) के भीतर समुदायों के उप-वर्गीकरण के खिलाफ 13 अगस्त को वह यहां एक विरोध मार्च का आयोजन करेगी। वीसीके के संस्थापक नेता और चिदंबरम लोकसभा सीट से सांसद थोल थिरुमावलवन ने  एक बयान में कहा कि राज्य सरकार द्वारा एससी सूची में समुदायों के उप-वर्गीकरण की अनुमति देने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले और क्रीमी लेयर पर टिप्पणी से अंततः आरक्षण समाप्त हो जाएगा। थिरुमावलवन ने कहा कि उन्होंने और वीसीके के महासचिव तथा विल्लुपुरम के सांसद डी. रविकुमार ने केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास अठावले, कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी से मुलाकात कर उन्हें इस मुद्दे से अवगत कराया और उनसे समर्थन का अनुरोध भी किया।

थिरुमावलवन ने कहा कि केंद्र सरकार ने “जनगणना न करके यह सुनिश्चित किया है कि एससी/एसटी की आबादी की गणना करने का कोई तरीका न रहे। वह 2011 की जनगणना के आंकड़ों के आधार पर आरक्षण बढ़ाने से भी इनकार कर रही है।” वीसीके के वरिष्ठ नेता ने कहा, “केंद्र सरकार की नौकरियों में एससी के लिए 15 प्रतिशत आरक्षण किसी भी विभाग में लागू नहीं किया गया है। इसी तरह, एसटी के लिए 7.5 प्रतिशत आरक्षण भी सुनिश्चित नहीं किया गया है।” उन्होंने कहा कि राज्य सरकारों ने भी एससी/एसटी के रिक्त पदों को नहीं भरा है और किसी की नियुक्ति किए बिना उन्हें खाली रखा है। वीसीके संस्थापक नेता ने कहा, “जहां लाखों एससी/एसटी युवा नौकरी पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, वहीं एक न्यायाधीश ने कहा है कि अगर एक पीढ़ी को इसका लाभ मिल गया है तो एससी/एसटी व्यक्तियों को आरक्षण नहीं दिया जाना चाहिए।” बयान में वरिष्ठ दलित नेता ने यह भी कहा कि इस बात की आशंका है कि भाजपा सरकार एससी/एसटी आरक्षण के लिए ‘क्रीमी लेयर’ लागू करेगी, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के सात में से चार जजों ने ऐसा कहा है।

उन्होंने केंद्र से सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले के खिलाफ समीक्षा याचिका दायर करने का आह्वान किया, जिसमें राज्यों को एससी समुदायों को उप-वर्गीकृत करने और आरक्षण प्रदान करने की अनुमति दी गई है। थोल थिरुमालवन ने कहा कि क्रीमी लेयर के बारे में टिप्पणियां वापस ली जानी चाहिए और एससी/एसटी को उनकी आबादी के आधार पर आनुपातिक आरक्षण प्रदान किया जाना चाहिए। मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट की सात जजों की बेंच ने इस महीने की शुरुआत में, 6:1 के बहुमत वाले फैसले में कहा था कि राज्य सरकारों को अनुभवजन्य आंकड़ों के आधार पर एससी सूची के भीतर समुदायों को उप-वर्गीकृत करने की अनुमति है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने शुक्रवार को इसे खारिज करते हुए कहा कि डॉ. बी.आर. अंबेडकर द्वारा दिए गए संविधान में एससी/एसटी आरक्षण में क्रीमी लेयर का कोई प्रावधान नहीं है।