विधेयक के अनुसार बदल गया कानून तो रुकेंगी Waqf Board की मनमानियां? जवाब जान लीजिए
नई दिल्ली
केंद्र सरकार ने वक्फ संशोधन अधिनियम बिल 2024 के लिए आज जेपीसी के सदस्यों के नाम का ऐलान कर दिया। केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों और संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कुल 31 सदस्यों के नाम का ऐलान किया। लोकसभा में बहस के बाद बिल को जेपीसी को भेजने का फैसला किया गया था। लोकसभा के 21 सदस्यों के अलावा राज्यसभा के भी 10 सदस्यों के नाम जेपीसी में शामिल किए गए हैं।
सरकार ने वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 को संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेज दिया। केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने गुरुवार को विधेयक पेश किया। विपक्षी दलों ने संक्षिप्त चर्चा के दौरान विधेयक की कड़ी आलोचना की। उन्होंने वक्फ कानून में प्रस्तावित बदलावों को 'असंवैधानिक', 'अल्पसंख्यक विरोधी' और 'विभाजनकारी' बताया। विधेयक का उद्देश्य 1995 के वक्फ अधिनियम में संशोधन करना है। इसमें वक्फ संस्थानों के प्रशासन और संपत्तियों की देखभाल के नियमों में व्यापक बदलावों का प्रस्ताव किया गया है। आइए जानते हैं कि अभी वक्फ कानून में क्या है? विधेयक में क्या संशोधन प्रस्तावित किए गए हैं और ये परिवर्तन महत्वपूर्ण क्यों हैं?
वक्फ प्रॉपर्टी क्या होती है?
वक्फ मुसलमानों द्वारा धार्मिक, धर्मार्थ या निजी उद्देश्यों के लिए दी गई व्यक्तिगत संपत्ति होती है। संपत्ति के लाभार्थी भिन्न हो सकते हैं, लेकिन संपत्ति का स्वामित्व अल्लाह के पास माना जाता है। वक्फ एक डीड या डॉक्युमेंट के जरिए या मौखिक रूप से बनाया जा सकता है। साथ ही, किसी संपत्ति को तब भी वक्फ माना जा सकता है यदि इसका उपयोग लंबे समय से धार्मिक या धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए किया जाता रहा है। एक बार जब किसी संपत्ति को वक्फ घोषित कर दिया जाता है तो उसका स्वरूप हमेशा के लिए बदल जाता है और उसे उलटा नहीं जा सकता है। मतलब अगर कोई संपत्ति वक्फ घोषित हो गई तो वह हमेशा के लिए वक्फ ही रहेगी, वह किसी भी सूरत में अपने पुराने मालिक के पास नहीं जा सकती।
वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन कैसे होता है?
भारत में वक्फ संपत्तियों को वक्फ अधिनियम, 1995 से मैनेज किया जाता है। हालांकि, भारत में 1913 से वक्फ के शासन के लिए एक कानूनी व्यवस्था रही है, जब मुस्लिम वक्फ मान्यकरण अधिनियम लागू हुआ था। इसके बाद मुस्लिम वक्फ अधिनियम, 1923 आया। स्वतंत्रता के बाद केंद्रीय वक्फ अधिनियम, 1954 पारित किया गया था, जिसे अंततः वक्फ अधिनियम, 1995 से बदल दिया गया था।
वक्फ एक्ट, 1995 में आखिरी संशोधन 2013 में हुआ था। तब वक्फ संपत्ति पर अतिक्रमण के लिए दो साल तक की कारावास की सजा का प्रावधान किया गया था। साथ ही, वक्फ संपत्ति की बिक्री, उपहार, विनिमय, बंधक या हस्तांतरण को स्पष्ट रूप से प्रतिबंधित कर दिया गया था। वक्फ कानून एक सर्वेक्षण आयुक्त की नियुक्ति का प्रावधान करता है जो स्थानीय जांच करके, गवाहों को बुलाकर और सार्वजनिक दस्तावेजों की मांग करके सभी वक्फ संपत्तियों की सूची तैयार करता है।
मुतवल्ली और ट्रिब्यूनल को समझें
वक्फ संपत्ति के प्रबंधन के लिए कानून में मुतवल्ली की व्यवस्था है। मुतवल्ली एक पर्यवेक्षक के रूप में कार्य करता है। वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन उसी तरह से किया जाता है जैसे भारतीय न्यास अधिनियम, 1882 के तहत न्यासों के अधीन संपत्तियों का प्रबंधन किया जाता है। वक्फ एक्ट में कहा गया है कि वक्फ संपत्तियों से संबंधित किसी भी विवाद का फैसला वक्फ ट्रिब्यूनल करेगा।
ट्रिब्यूनल का गठन राज्य सरकार करती है। इसमें तीन सदस्य होते हैं- एक अध्यक्ष जो जिला, सत्र या सिविल न्यायाधीश, प्रथम श्रेणी से कम रैंक का राज्य न्यायिक अधिकारी नहीं होता है; दूसरा राज्य सिविल सेवा का एक अधिकारी; और तीसरा शरीयत का ज्ञान रखने वाला व्यक्ति। कानून में राज्यों में वक्फ बोर्ड, वक्फ परिषद, मुख्य कार्यकारी अधिकारियों (सीईओज) के गठन और नियुक्ति के प्रावधान भी हैं। वक्फ बोर्ड में शामिल सीईओ और सांसद मुस्लिम समुदाय से होने चाहिए।
वक्फ बोर्ड की शक्तियां
वक्फ बोर्ड राज्य सरकार के अधीन एक निकाय है, जो पूरे राज्य में वक्फ संपत्तियों के संरक्षक के रूप में काम करता है। अधिकांश राज्यों में शिया और सुन्नी समुदायों के लिए अलग-अलग वक्फ बोर्ड हैं। देश की लगभग सभी प्रमुख मस्जिदें वक्फ संपत्तियां हैं और राज्य के वक्फ बोर्ड के अधीन हैं। वक्फ बोर्ड का नेतृत्व अध्यक्ष करता है और इसमें राज्य सरकार मुस्लिम विधायकों और सांसदों, राज्य बार काउंसिल के मुस्लिम सदस्यों, इस्लामी धर्मशास्त्र के मान्यता प्राप्त विद्वानों और 1 लाख रुपये या उससे अधिक की वार्षिक आय वाले वक्फ के मुतवल्ली में से एक या दो को नामित करती है।
वक्फ बोर्ड को कानून के तहत संपत्ति का प्रशासन करने और वक्फ की खोई हुई संपत्तियों की वसूली के उपाय करने और बिक्री, उपहार, बंधक, विनिमय या पट्टे के माध्यम से वक्फ की किसी भी अचल संपत्ति के हस्तांतरण को मंजूरी देने की शक्तियां प्राप्त हैं। हालांकि, मंजूरी तब तक नहीं दी जाएगी जब तक कि वक्फ बोर्ड के कम से कम दो-तिहाई सदस्य ऐसे लेन-देन के पक्ष में मतदान न करें।
वक्फ कानून में क्या-क्या बदलने का प्रस्ताव, लिस्ट देख लीजिए
विधेयक में वक्फ कानून के मौजूदा ढांचे को काफी हद तक बदलने के प्रस्ताव किए गए हैं। प्रस्तावित संशोधन में वक्फ को नियंत्रित करने की शक्ति को बोर्ड और ट्रिब्यूनल से हटाकर राज्य सरकारों को देने की बात कही गई है। अभी वक्फ बोर्ड और ट्रिब्यूनल में बड़े पैमाने पर मुस्लिम समुदाय के सदस्य होते हैं। विधेयक में वक्फ अधिनियम, 1995 का नाम बदलने का भी प्रस्ताव है। नया नाम एकीकृत वक्फ प्रबंधन, सशक्तिकरण, दक्षता और विकास अधिनियम, 1995 करने का प्रस्ताव है। विधेयक के जरिए वक्फ एक्ट में मुख्य रूप से तीन बदलावों के प्रस्ताव किए गए हैं…
➤ पहला, विधेयक की धारा 3ए में कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति तब तक कोई संपत्ति को वक्फ को दान नहीं कर सकता जब तक कि वह संपत्ति का वैध मालिक न हो और ऐसी संपत्ति को हस्तांतरित या समर्पित करने के लिए न सक्षम हो। इस प्रावधान से वैसी संपत्तियों पर वक्फ पर कब्जे रुकेंगे जो किसी के नाम से दर्ज नहीं हैं।
➤ दूसरा, विधेयक की धारा 3सी(1) में कहा गया है कि 'इस अधिनियम के प्रारंभ से पहले या बाद में वक्फ संपत्ति के रूप में पहचानी या घोषित की गई सरकारी संपत्ति को वक्फ संपत्ति नहीं माना जाएगा।' यानी, कोई भी सरकारी संपत्ति वक्फ प्रॉपर्टी नहीं हो सकती है।
➤ तीसरा, धारा 3सी(2), जो सरकार को यह तय करने का अधिकार देता है कि वक्फ के रूप में दी गई संपत्ति सरकारी भूमि है या नहीं। विधेयक में कहा गया है, 'यदि किसी संपत्ति को लेकर सवाल उठता है कि यह सरकारी संपत्ति है या नहीं, तो उसे क्षेत्राधिकार वाले कलेक्टर के पास भेजा जाएगा। कलेक्टर उचित जांच करके संपत्ति की पहचान करेगा और अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को भेजेगा।' मौजूदा वक्फ कानून में ऐसे विवाद का फैसला करने का अधिकार ट्रिब्यूनल के पास है। प्रस्तावित प्रावधान में यह भी कहा गया है कि ऐसी संपत्ति को 'तब तक वक्फ संपत्ति नहीं माना जाएगा जब तक कि कलेक्टर अपनी रिपोर्ट न भेज दे।' इसका मतलब है कि जब तक सरकार इस मुद्दे पर फैसला नहीं कर लेती, तब तक विवादित जमीन पर वक्फ का नियंत्रण नहीं हो सकता।
विधेयक में यह भी प्रस्ताव किया गया है कि वक्फ संपत्तियों की ऑडिटिंग की भी की जाएगी और इसका अधिकार केंद्र सरकार के पास होगा। प्रस्ताव कहता है कि केंद्र सरकार को 'भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक द्वारा नियुक्त लेखा परीक्षक द्वारा या उस उद्देश्य के लिए केंद्र सरकार द्वारा नामित किसी भी अधिकारी द्वारा किसी भी समय किसी भी वक्फ के लेखा परीक्षण का निर्देशन' करने की शक्ति भी देगा।
➤ विधेयक इस बात को भी फिर से परिभाषित करता है कि कैसे किसी संपत्ति को वक्फ के कब्जे में माना जाता है। विधेयक में 'उपयोग के आधा पर वक्फ' की अवधारणा को खत्म करने का प्रस्ताव है। 1995 के कानून के तहत, वैसी हर संपत्ति वक्फ है जिसका उपयोग मुसलमान धार्मिक उद्देश्यों के लिए निरंतर और अबाधित रूप से करते रहे हैं। इसका मतलब है कि एक संपत्ति को उपयोग के माध्यम से वक्फ माना जा सकता है, भले ही उसका मालिकाना हक किसी के पास हो। कई मस्जिदें और कब्रिस्तान इसी आधार पर वक्फ प्रॉपर्टी घोषित कर दिए गए हैं। विधेयक में कहा गया है कि वैध वक्फनामे के बिना कोई भी वक्फ संपत्ति संदिग्ध है। इसमें 'उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ' घोषित संपत्तियों को अलग रखा गया है।
➤ विधेयक राज्यों में वक्फ बोर्डों की संरचना को बदलने का प्रस्ताव करता है। लोकसभा में विपक्षी सांसदों ने इस बात का पुरजोर विरोध किया है कि विधेयक में गैर-मुस्लिम को भी वक्फ बोर्ड का सीईओ नियुक्त करने का प्रस्ताव है। साथ ही, राज्य सरकारों को यह शक्ति होगी कि वह वक्फ बोर्ड में कम से कम दो गैर-मुस्लिम सदस्य रख सके।
रिजिजू ने राज्यसभा से 10 नामों की संस्तुति करने का आग्रह किया है। आज राज्यसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित होने से पहले राज्यसभा के 10 सदस्यों के नाम भी घोषित कर दिए गएहैं। जेपीसी का कोरम कुल सदस्यों का एक तिहाई माना जाएगा। कमिटी इस बारे में अपनी रिपोर्ट अगले सत्र के आखिरी सप्ताह में सदन को सौंपेगी।
जेपीसी में लोकसभा के सदस्य
1-जगदंबिका पाल
2-निशिकांत दुबे
3-तेजस्वी सूर्या
4-अपराजिता सारंगी
5-संजय जायसवाल
6-दिलीप सैकिया
7-अविजीत गंगोपाध्याय
8-डी के अरुणा
9-गौरव गोगोई
10-इमरान मसूद
11-मोहम्मद जावेद
12-मौलाना मोइबुल्ला
13-कल्याण बनर्जी
14-ए राजा
15-श्रीकृष्णा देवारायलू
16-दिनेश्वर कमायत
17-अरविंद सावंत
18-एम सुरेश गोपीनाथ
19-नरेश गणपत मास्के
20-अरुण भारती
21-असदुद्दीन ओवैसी
जेपीसी में राज्यसभा के सदस्य
1-बृज लाल
2-डॉ. मेधा विसराम कुलकर्णी
3-गुलाम अली
4-डॉ. राधा मोहन दास अग्रवाल
5-सईद नासिर हुसैन
6-मोहम्मद नदीम उल हक
7-वी विजयसाई रेड्डी
8-एम मोहम्मद अब्दुल्ला
9-संजय सिंह
10-डॉ. डी वीरेंद्र हेगड़े