अमरनाथ यात्रा के 33 दिनों में 4.76 लाख श्रद्धालुओं ने किए बाबा बर्फानी के दर्शन
श्रीनगर
अमरनाथ यात्रा शांतिपूर्ण ढंग से आगे बढ़ रही है। पिछले 33 दिनों में 4.76 लाख से अधिक तीर्थयात्री अमरनाथ यात्रा कर चुके हैं। अधिकारियों ने बताया कि कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच तीर्थयात्रा सुचारू रूप से चल रही है। अमरनाथ यात्रा 29 जून को शुरू हुई थी। यह 52 दिनों के बाद 19 अगस्त को श्रावण पूर्णिमा और रक्षाबंधन के त्यौहार के साथ समाप्त होगी। अधिकारियों ने गुरुवार को बताया, कल यानी बुधवार को 5 हजार से ज्यादा लोगों ने बाबा बर्फानी के दर्शन किए। 1,295 यात्रियों का एक नया जत्था गुरुवार सुबह 3:32 बजे दो सुरक्षा काफिलों में जम्मू के भगवती नगर यात्री निवास से घाटी के लिए रवाना हुआ।
33 दिनों में 4.76 लाख श्रद्धालुओं ने किये बाबा बर्फानी के दर्शन
अमरनाथ यात्रा 29 जून को शुरू हुई थी
19 अगस्त को रक्षाबंधन के त्यौहार के साथ समाप्त होगी
1,295 यात्रियों का एक नया जत्था हुआ रवाना
15 वाहनों का पहला सुरक्षा काफिला 349 यात्रियों को लेकर उत्तरी कश्मीर के बालटाल बेस कैंप के लिए रवाना हुआ, जबकि 33 वाहनों का दूसरा काफिला 946 यात्रियों को लेकर दक्षिण कश्मीर के नुनवान बेस कैंप के लिए रवाना हुआ। पवित्र छड़ी के संरक्षक स्वामी दीपेंद्र गिरि ने बताया कि 9 अगस्त को भगवान शिव की छड़ी श्रीनगर शहर के श्री अमरेश्वर दशनामी अखाड़ा मंदिर में अपने स्थान से आगे बढ़ेगी। 14 अगस्त को पहलगाम से पवित्र गुफा मंदिर के लिए रवाना होगी।
सुरक्षा, सामुदायिक लंगर, पारगमन और बेस कैंपों की व्यवस्था तथा जम्मू से कश्मीर तक राजमार्ग पर सुरक्षा बलों की तैनाती ने इस साल सुरक्षित, सुचारू और परेशानी मुक्त यात्रा सुनिश्चित की है। गुफा मंदिर में बर्फ की एक संरचना है जो चंद्रमा के चरणों के साथ घटती-बढ़ती रहती है। भक्तों का मानना है कि यह बर्फ की संरचना भगवान शिव की पौराणिक शक्तियों का प्रतीक है। यह गुफा कश्मीर हिमालय में समुद्र तल से 3.888 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। भक्त या तो पारंपरिक दक्षिण कश्मीर पहलगाम मार्ग से या फिर उत्तर कश्मीर बालटाल मार्ग से गुफा मंदिर तक पहुंचते हैं।
जानें, गुफा मार्ग से बाबा बर्फानी तक पहुंचने में कितने दिन लगते हैं
पारंपरिक पहलगाम गुफा मंदिर मार्ग 48 किलोमीटर लंबा है। जिससे बाबा बर्फानी तक पहुंचने में 4 से 5 दिन लग जाते हैं। दूसरा मार्ग बालटाल का है। ये 14 किलोमीटर लंबा है। इस मार्ग का चयन करने वाले लोग ‘दर्शन’ करने के बाद उसी दिन आधार शिविर लौट आते हैं। बता दें कि उत्तरी कश्मीर मार्ग पर बालटाल और दक्षिण कश्मीर मार्ग पर चंदनवाड़ी में तीर्थयात्रियों के लिए हेलीकॉप्टर सेवाएं भी उपलब्ध हैं।