State News

चकमक और सजग कार्यक्रम से हो रहा बच्चों का रचनात्मक विकास…

कोरोनाकाल में भी महिलाओं और बच्चों तक पहुंच रहीं शासन की योजनाएं

नन्हें बच्चों और माताओं को मिली घर पहुंच पोषण सुविधा

इम्पेक्ट न्यूज़ रायपुर, 13 जून 2020/

कोरोना संक्रमण के बढ़ते दौड़ में भी सरकार की कई लोक कल्याणकारी योजनाओं का लाभ दूरस्थ क्षेत्रों तक लोगोँ तक पहुंचाया जा रहा है। महिला बाल विकास विभाग के द्वारा भी मुस्तैदी से महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ और पोषण के लिऐ घर-घर जाकर सेवा दी जा रही है। पौष्टिक खाद्य एवं पोषण आहार वितरण से नन्हें बच्चो और माताओं के लिये अति आवश्यक है, इसे देखते हुए आंगनबाड़ी बंद होने की दशा में भी ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों में पौष्टिक आहार वितरण को घर पहुंच सेवा के माध्यम से सुनिश्चित किया जा रहा है।

विगत महीनो में नक्सल प्रभावित कोंडागॉंव जिले के छह माह से 3 वर्ष के जिले के 26 हजार 207 बच्चों को, 3 से 6 वर्ष के 28 हजार 907 बच्चे, 5 हजार 497 गर्भवती महिलाओं, 6 हजार 29 शिशुवती माताओं और 11 से 14 वर्ष के 320 शालात्यागी किशोरी बालिकाओं को आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा घर पहुंच रेडी-टू-ईट के वितरण की सेवाऐं दी गई। मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान अंतर्गत 56 पंचायतो के लगभग 32 हजार 5 सौ कुपोषित बच्चों और एनीमिक महिलाओं को 15-15 दिन के अंतराल में सूखा राशन देने की भी व्यवस्था की गई है। इसके अलावा आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा स्वास्थ्य आंकलन हेतु निरंतर गृह भेंट भी किया जा रहा है। इसमें महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य जांच एवं टीकाकरण को प्राथमिकता दी जा रही है। आज जब कोरोना संक्रमण के चलते सभी आंगनबाड़ी केन्द्र बंद है ऐसे में बच्चों को घरो में ही पारिवारिक सदस्यों यथा दादा-दादी, नाना-नानी, माता-पिता अथवा पालको के द्वारा उन्हें रचनात्मक गतिविधियों में व्यस्त रखने की महती आवश्यकता है। इसे देखते हुए मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल द्वारा आंगनबाड़ी के बच्चों के समग्र विकास के लिए महिला बाल विकास विभाग और यूनिसेफ के सहयोग से तैयार किए गए ‘चकमक अभियान‘ और ‘सजग कार्यक्रम‘ का शुभारंभ एवं हल्बी एवं गोंडी बोली के दो पुस्तिका ’पहिल डांहका’एवं ’मोद्दोल डाका’ (पहला कदम) का विमोचन किया गया।

प्रदेश के आंगनबाड़ी केन्द्रो में बच्चों को दी जाने वाली शाला पूर्व शिक्षा के विकल्प के रुप में ‘चकमक‘ अभियान चलाया जा रहा है। पुस्तिका और सजग वीडियो के माध्यम से बच्चों के घर जाकर उनके पालको को भी संदेश दिया जा रहा है। चकमक अभियान के अंतर्गत नन्हें बच्चों को खेलकूद, अठखेलियों, बाल कविताओं, चित्र के माध्यम से पशु-पक्षियों के परिचय सहित वर्णमाला को रोचक तरीके से अवगत कराया जाता है, जबकि सजग कार्यक्रम के द्वारा आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के मोबाईल पर ऑडियो मेसेज में बच्चों के सही परवरिश के सुझाव, कहानी गीत भेजे जाते है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *