25 हजार पेड़ काटने अडानी की कंपनी एनएमडीसी के ठेकेदारों के फेरे लगाती रही, टेंडर फार्म भी भेजा पर सभी ने हाथ खड़े किए… फिर कौन तैयार हुआ पेड़ की कटाई के लिए? बड़ा सवाल…
इम्पेक्ट न्यूज. किरंदुल.
अडानी की कंपनी ने डिपाजिट 13 में पेड़ कटाई के लिए अनुमति मिलने के बाद सबसे पहले एनएमडीसी में काम कर रहे नियमित ठेकेदारों के पास अपना नुमाइंदा भेजा और साथ में एक एग्रीमेंट फार्म। इस फार्म में निर्धारित जगह के पेड़ों की कटाई के लिए अनुबंध किया जाना था।
इम्पेक्ट से चर्चा में कुछ ठेकेदारों ने स्पष्ट तौर पर स्वीकार किया कि उन्हें पेड़ कटाई काम के लिए अनुबंधित करने की कोशिश एईएल ने की थी। पर सामर्थ्य का अभाव बताकर काम करने से इंकार कर दिया।
जिस इलाके में पेड़ों की कटाई की जानी थी वहां नक्सलियों की मौजूदगी से इंकार नहीं किया जा सकता। ऐसे में कोई भी ठेकेदार इसके लिए तैयार हो जाए ऐसा आसान तो कतई नहीं था। बावजूद इसके डिपाजिट 13 में जब प्रदर्शनकारी और मीडिया पहुंच हुई तो साफ दिखा कि वहां कंपनी ने पेड़ों की कटाई शुरू कर दी है।
हांलाकि जो काम वहां चल रहा है वह पूरी तरह से शासकीय आदेशों के मुताबिक है। बावजूद इसके यह बड़ा सवाल है कि जब किरंदुल के ठेकेदार इसके लिए तैयार नहीं हुए तो किसके सहारे यह काम प्रगति में है।
सूत्रों का दावा है कि इस काम के लिए किसी ऐसे व्यक्ति को एईएल ने साथ लिया है जिसने इससे पहले एस्सार के पाईप लाईन को मरम्मत करने का काम किया था। हांलाकि उस पर नक्सलियों के साथ सांठ—गांठ का आरोप पर मामला भी चल रहा है।
नियमानुसार डिपाजिट—13 में पेड़ों को काटने के बाद उसे वन विभाग के सुपुर्द किया जाना है। मौके पर पहुंचे ग्रामीणों का आरोप है कि जितनी संख्या में पेड़ों की गणना बताई गई है उससे काफी ज्यादा संख्या में वहां पेड़ मौजूद हैं। ऐसे में गणना के मुताबिक पेड़ों की कटाई और सुपुर्दगी का काम किया जाना है बाकि को जलाकर नष्ट करने की कोशिश भी की जा रही है।
फेसबुक पर आदिवासी नेत्री सोनी सोरी ने एक विडियो अपलोड कर मौके की तस्वीर और विडियो को जारी किया है जिसमें पेड़ों को काटने के बाद जलाया गया प्रदर्शित किया गया है। (इम्पेक्ट इस विडियो के सत्यता की पुष्टि नहीं करता)