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इंद्रावती के पानी की तासीर ही कुछ ऐसी है कि… जान पर खेलकर जान बचाते हैं बस्तर के मीडियाकर्मी…

यह पहला मामला नहीं… इससे पहले भी जानपर खेलकर जान बचाई है बस्तर के पत्रकारों ने… त्वरित टिप्पणी /सुरेश महापात्र। बस्तर में पत्रकारिता हमेशा तलवार की धार पर होती है। थोड़ी सी चूक हुई तो या मौत मिलती है या जेल…। पर यहां के पत्रकारों का जज्बा ही कुछ ऐसा है कि वे खबर से पहले जान को महत्व देते रहे हैं। बीजापुर में आरक्षक संतोष की सुरक्षित रिहाई कोई पहली घटना नहीं है। संतोष के मामले में बीजापुर के पत्रकार गणेश मिश्रा, पी रंजन दास और चेतन कॉपेवार ने

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अब राजनीति का वायरस…

दबी जुबां से… / सुरेश महापात्र. छत्तीसगढ़ में कोरोना से उबरते हुए अब राजनीति का वायरस सक्रिय होने लगा है। करीब पांच हफ्तों तक राजनीतिक आरोप—प्रत्यारोप के रण में युद्ध विराम के बाद विपक्ष ने मोर्चा खोल दिया है। सत्ता पक्ष की ओर से भी जवाबी कार्रवाई हो ही रही है। बीते सप्ताह छत्तीसगढ़ का कोरिया जिला सबसे ज्यादा राजनीतिक सुर्खियों में रहा। यहां के क्वारंटीन सेंटर से मजदूर भागे या झारखंड की सीमा पर छोड़े गए पर सवाल मजदूरों के संक्रमण को लेकर उठा। छत्तीसगढ़ पर यह सवाल उठाया

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छत्तीसगढ़ में आंकड़े का खेल…

दबी जुबां से… / सुरेश महापात्र। ‘ सच्चाई को बताने के लिए किसी आंकड़े बाज की जरूरत नहीं पड़ना चाहिए… इसकी जिम्मेदारी सरकार को खुद निभानी होगी…। क्योंकि आंकड़े फर्जी होते हैं उसे जैसा चाहों वैसा दिखा दो… भले ही जमीन पर परिणाम आंकड़ों के उलट साबित होते रहें…’ छत्तीसगढ़ में भी देश के दूसरे हिस्सों की तरह ही समूचा व्यापार ठप है फिर भी हमें खुशी है कि हमारे प्रदेश में बेरोजगारी की दर सबसे कम है। आरबीआई ने अपनी रिपोर्ट में भी राज्य सरकार के प्रयासों की प्रशंसा

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वक्त है बदलाव का…

सुरेश महापात्र / दबी जुबां से… “कोरोना काल को भी राज्य सरकार ने अपने लिए सकारात्मक बनाने का अवसर मान लिया है। भले ही उद्योग धंधा बंद हो गए हों… लोगों के सामने दूसरी चुनौतियां खड़ी हो गई हों फिर भी ग्रामीण मतदाता के मन में स्थाई जगह बनाने की जुगत में है सरकार…” वक्त है बदलाव का… हां, इसी संदेश के साथ छत्तीसगढ़ में कांग्रेस का वनवास खत्म हुआ! छत्तीसगढ़ में बदलाव के बाद प्रयास और प्रयोग तो बहुत हुए पर परिणाम फिलहाल संशय में है। सरकार पहले बरस

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‘पढ़ई तुंहर द्वार’ और डाटा…?

सुरेश महापात्र / दबी जुबां से… अब तक ऐसी कोई पालिसी ही नहीं है कि किसी निजी सर्वर में प्रदेश के लोगों की जानकारी और शासकीय उपयोग के डाटा को रखा जाए या नहीं! यानी हम डाटा चोरी के बाद सोचेंगे करना क्या है…? प्रदेश में कोरोना के बीच सबसे बड़ी बहस शिक्षा से जुड़ी नई व्यवस्था को लेकर चल रही है। यह व्यवस्था है ‘पढ़ई तुंहर द्वार’ की। लॉक डाउन के चलते पूरी दुनिया में लोग अपने घरों के भीतर बंद हो गए हैं। शैक्षणिक संस्थान बंद हैं और

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CG कोरोना पत्र सीरीज : अब PCC प्रवक्ता त्रिवेदी ने सरकार की ओर से किया अटैक… कहा, तू इधर उधर की न बात कर, ये बता कि काफ़िला क्यों लुटा…

इम्पेक्ट न्यूज. रायपुर। – भाजपा बताए कि केंद्र सरकार ने समय पर कोरोना मरीजों को रोकने के उपाय क्यों नहीं किए? – भाजपा नेता बताएं कि मोदी सरकार ने राज्यों को कोरोना से लड़ने के लिए कौन से संसाधन मुहैया करवाए? – डॉ. रमन सिंह बताएं कि क्या वो प्रधानमंत्री से यह मांग करेंगे कि छत्तीसगढ़ को उसके अधिकारों से वंचित ना किया जाए ? प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के सलाहकार रुचिर गर्ग के पत्र के जवाब में भारतीय जनता पार्टी की ओर से आए दो पत्रों के जवाब

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रूचिर के पत्र पर ओपी का पलटवार… आपने एक सुझावात्मक पत्र के खिलाफ राजनीति करने का दुष्प्रयास किया है…

इम्पेक्ट न्यूज. रायपुर। पूर्व मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह द्वारा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को लिखे गए पत्र पर मीडिया सलाहकार रूचिर गर्ग ने जवाब दिया था। अब प्रशासनिक सेवा से राजनीति में शामिल हुए ओमप्रकाश चौधरी ने पत्र का जवाब पत्र से दिया है… यह पत्र ओम प्रकाश चौधरी ने अपने फेसबुक पेज पर डाला है पढ़िए पत्र का मजमून… आदरणीय रूचिर गर्ग जी           राम – राम ! कुशलता की कामना के साथ 15 सालों तक छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रहे रमन सिंह जी ने कोराना के

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कटघोरा ने सीएम भूपेश को किया बैकफुट पर… नहीं तो…

सुरेश महापात्र / दबी जुबां से… बीते 21 मार्च से छत्तीसगढ़ में बंद जैसे हालात हैं। यह सब प्रधानमंत्री द्वारा जनता कर्फ्यू से एक दिन पहले किया गया। ऐसा करके भूपेश बघेल ने राज्य में एक संदेश देने की कोशिश की कि वे कोरोना संक्रमण से राज्य को बाहर निकाल ले जाएंगे। प्रदेश में यदि कोरबा को छोड़ दें तो करीब—करीब यह रणनीति फलीभूत होती दिखी भी। पर जमाती कनेक्शन के बाद कोरबा जिले के कटघोरा में जिस तरह से तेजी से हालात बदले सरकार को रवैया सहमा सहमा से

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पृथ्वी की ओर लौटती दुनिया… कोरोना संक्रमण के बुरे दौर में सब कुछ बुरा नहीं है, दुनिया भर से अच्छी ख़बरें भी आ रही हैं…

विनोद वर्मा. दुनिया को कोरोना ने भयभीत कर रखा है. हर व्यक्ति आशंका से कांप रहा है कि पता नहीं कल क्या होगा. कारोबार ठप्प है. उद्योगों में ताले लटक रहे हैं. कल तक हम ‘लॉक-डाउन’ से शायद परिचित न रहे हों. लेकिन अब बच्चे तक जानते हैं कि ये क्या है. लेकिन बुरे के दौर में सब कुछ बुरा नहीं है. दुनिया भर से अच्छी ख़बरें भी आ रही हैं. कोरोना की मार से कराह रहे इटली, स्पेन, अमरीका से और दिल्ली, बंगलौर, मुंबई, रांची और रायपुर से भी.

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कोरोना : संकट के इस दौर में राजनीति… ये अच्छी बात नहीं…

सुरेश महापात्र / दबी जुबां से… पूरी दुनिया में कोरोना का संकट गहराया हुआ है। बेहतर से बेहतर स्वास्थ्य सुविधा संपन्न देश धाराशाई हैं। महामारी का ऐसा प्रकोप कभी देखने का अनुभव नहीं था। कोरोना जैसे संक्रमण को लेकर शुरूआत में विश्वास का अभाव रहा। पर जैसे—जैसे हालात बदलते जा रहे हैं उससे लगने लगा है कि वास्तव में यह मानव जाति पर सबसे बड़ा संकट है। इससे बचने के लिए हिंदुस्तान में सभी लोगों को राजनीति से उपर उठकर काम करने की दरकार है। छत्तीसगढ़ में कोरोना के संक्रमण

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