राखी के त्योहार पर बहनों का रहेगा कैदी भाइयो को इंतज़ार…नही होगी फोन से बात…90 फीसदी कैदियों के गाँवो में नही है नेटवर्क…
इस बार अधिकांश कैदी नहीं मिल पाएंगेें अपनी बहनों से और ना ही बात कर पाऐंगें
प्रदेश के गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू ने मोबाईल पर वीडियों काल से बात कराने का किया था एलान। लेकिन सुकमा जेल में 90 फीसदी कैदी नक्सल प्रभावित इलाकों के है जहां ना तो नेटवर्क है और ना ही एंड्रायड फोन।
इम्पेक्ट न्यूज़. सुकमा।
कोरोना संक्रमण को देखते हुए प्रदेश सरकार ने इस बार कैदियों को रक्षाबंधन का गिफ्ट दिया था कि अपनी बहनों से वीडियो काल पर बात कर सकेगें जिसका फायदा सुकमा जैल में बंद कैदियों को न के बराबर मिलेगा। क्योंकि यहां पर 90 फीसदी से ज्यादा कैदी नक्सल मामले में अंदरूनी इलाकों के है जहां ना तो नेटवर्क है और ना ही उनके पास एंड्रायड फोन ऐसे में इस बार इन कैदियों को अपनी बहनों से मिलने व बात करने का मौका नहीं मिलेगा।
जिला मुख्यालय में स्थित उप जेल जिसमे वर्तमान में कैदियों की संख्या में लगभग 154 है। जिसमें 20-30 कैदियों के अलावा बाकी सभी कैदी नक्सल मामले में अंदरूनी इलाकों में है। रक्षाबंधन का त्यौहार जिसमें बहन अपनी भाईयों की कलाई पर रक्षासूत्र बांधती है। जेल में भी हर साल सैकड़ों बहने पहुंच कर अपने भाईयों को राखी बांधती है। लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण के चलते राखी में भाईयों को अपनी बहन का दीदार नहीं होगा। ना तो बहनों से मिलने का मौका मिलेगा और ना ही उनसे बात करने का मौका मिलेगा। जबकि प्रदेश सरकर ने इस बार कोरोना संक्रमण को देखते हुए कैदियों को वीडियो काल पर बात करने की सुविधा दी है। लेकिन जिसका फायदा कुछ कैदी ही उठा पाऐंगें।
सरकार ने दी थी विडियो काल पर बात करने की छूट
कोरोना संक्रमण को देखते हुए प्रदेश के गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू ने रक्षाबंधन के त्यौहार पर जेलो में बंद कैदियो को अपनी बहनों से वीडियो काल पर बात करने की अनुमति दी थी। गृहमंत्री ने जेल प्रशासन को वीडियो काल पर बात कराने के निर्देश दिए थे।
नक्सल इलाकों में नो तो नेटवर्क और ना ही एंड्रायड फोन
भले ही सरकार ने इस रक्षाबंध त्यौहार के अवसर पर जेलों में बंद भाईयों को बहनों से वीडियों काल पर बात करने की अनुमति दे दी हो लेकिन उसका फायदा सुकमा जेल में बंद कुछ ही कैदी को मिलेगा। क्योंकि 90 फीसदी से ज्यादा कैदी नक्सल मामले में सजा काट रहे है। जिसमें अधिकांश ऐसे इलाकों से जहां नेटवर्क तक नहीं है। अगर कही नेटवर्क है तो उनके परिजनों के पास एंड्रायड फोन नहीं है। वही कुछ कैदियों के पास तो घर के नंबर तक नहीं है।
शासन का निर्देश है कि कैदियों को उनकी बहनों से वीडियो काल पर बात करानी है लेकिन जेल में अधिकांश कैदी ऐसे इलाके से है जहां नेटवर्क नहीं है। उसके बाद भी हमारे पास कोई भी कैदी नंबर लेकर आएंगा या उसके परिजन फोन करेंगें तो उन्हे बात करा दी जाऐंगी। – डीसी धु्रव सहायक जेल अधीक्षक