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देश में कोरोना संकट से 4 लाख करोड़ का टैक्स बोझ… राज्यों पर बढ़ा उधार लेने का दबाव… छत्तीसगढ़ में सरकार का दावा हम बेहतर…

इम्पेक्ट न्यूज. रायपुर।

केंद्र सरकार की वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) घाटे की भरपाई की बाध्यता न होने पर राज्यों को ऊंची दरों पर उधार लेने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है। आंकलन के मुताबिक राज्यों को कोरोना संकट के चलते करीब चार लाख करोड़ रुपये का टैक्स घाटा अनुमानित है। जानकारों की राय में केंद्र सरकार को कोई वैकल्पिक रास्ता तलाश कर राज्यों की मदद के लिए आगे आना चाहिए। कोरोना काल में छत्तीसगढ़ ने बेहतर परफारमेंस का दावा किया है।

आर्थिक मामलों के पूर्व सचिव सुभाष चंद्र गर्ग के मुताबिक ‘केंद्र सरकार राज्यों को महामारी के दौर में हो रहे घाटे की भरपाई के लिए बाध्य नहीं है। ऐसे में जीएसटी काउंसिल को चाहिए कि कुछ चीजों पर टैक्स बढ़ाएं और राज्यों के घाटे की भरपाई करें।’ वे कहते हैं कि ‘जीएसटी कानून में यह प्रावधान है कि घाटा होने की हालत में टैक्स बढ़ाकर उसकी भरपाई की जा सकती है। हालांकि राज्यों के पास भी उधारी लेने का विकल्प हैं लेकिन वो उनके हित में नहीं रहेगा।’ उन्होंने ये भी सलाह दी है कि या तो केंद्र सरकार या फिर जीएसटी काउंसिल को उधार लेकर राज्यों की आर्थिक जरूरतों को पूरा करने का जिम्मा लेना चाहिए।

मार्च 2020 में छत्तीसगढ़ ने 2093 करोड़ का जीएसटी कलेक्शन किया। यह कलेक्शन लक्ष्य से सिर्फ दो प्रतिशत कम है। छत्तीसगढ़ से केंद्रीय जीएसटी भी 880 करोड़ पहुंच गई है। हालांकि यह अपने लक्ष्य 900 करोड़ पीछे है, लेकिन पिछले साल के कलेक्शन की अपेक्षा 10 प्रतिशत अधिक है। जीएसटी की रिपोर्ट के मुताबिक मार्च 2020 में सर्वाधिक जीएसटी कलेक्शन महाराष्ट्र में 15002 करोड़, इसके बाद कर्नाटक में 7144 करोड़ और गुजरात 6820 करोड़ रुपये हुआ।

वर्ष 2017-18 में सीजीएसटी 4763.87 करोड़ थी, जो वित्तीय वर्ष 2018-19 में बढ़कर 8950 करोड़ हो गई। इस प्रकार दो सालों में सीजीएसटी के रूप में 13717.87 करोड़ की आय हुई है।

लॉकडाउन के दौरान भी छत्तीसगढ़ में जीएसटी में इजाफा हुआ है। यह दावा सरकार ने किया है कि ‘पिछले साल जून महीने के मुकाबले इस साल जून में 22 फीसदी ज्यादा जीएसटी का संग्रह हुआ है। वर्ष 2019 में जहां 2,093 करोड़ रुपए जीएसटी संग्रह हुआ था, वहीं 2020 में 2,549 जीएसटी प्राप्त हुआ है।’

राज्य सरकार का यह दावा है कि छत्तीसगढ़ में 19.56 लाख किसानों से धान खरीदी और राजीव गांधी किसान न्याय योजना के माध्यम से सीधे ग्रामीण अर्थव्यवस्था में पैसा खातों में पहुंचा। यह राशि वापस बाजार में पहुंची जिससे अर्थव्यवस्था को गति प्राप्त हुई।

जून 2020 में जयपुर (राजस्थान) के बाद रायपुर (छत्तीसगढ) में सर्वाधिक कार और बाइक की बिक्री हुई है। रायपुर में मई माह में जहां 7 हजार 603 बाइकें बिकी थीं, वहीं जून माह में यह संख्या बढ़कर 27 हजार हो गई। इसी तरह मई माह में एक हजार 107 कारें बिकी थीं, वहीं जून में यह संख्या बढ़कर 2 हजार 889 हो गई। आरटीओ कार्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार लॉकडाउन अवधि में छत्तीसगढ़ में अप्रैल माह में 891 वाहन, मई माह में 9681 वाहन और जून माह में 32 हजार 982 वाहनों का रजिस्ट्रेशन में हुआ है।

कांग्रेस के प्रवक्ता आरपी सिंह कहते हैं ‘मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में राज्य सरकार द्वारा किए गए सकारात्मक प्रयासों से राज्य में जीएसटी, आटोमोबाईल, कृषि सहित अन्य क्षेत्रों में तेजी देखी जा सकती है। इसके साथ ही मनरेगा के तहत लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने और वनवासियों को राहत पहुंचाने के लिए वनोपजों के संग्रह में छत्तीसगढ़ देश में पहले स्थान पर है।’

यह सही है कि लॉक डाउन के दौरान उद्योगों और व्यापार के संचालन को लेकर राज्य सरकार ने कई कदम उठाए जिसका लाभ जीएसटी कलेक्शन में सामने आया। ऐसा नहीं है कि छत्तीसगढ़ की आर्थिक जरूरतों के लिए पर्याप्त टैक्स कलेक्शन हो पाया हो। पर अन्य राज्यों की तुलना में प्रदेश में सरकार ने अपने सक्रिय और एहतियाती कदमों से अर्थव्यवस्था को संभालने की जोरदार कोशिश की है।

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